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भारत का एक ऐसा गाँव जहाँ आजादी के बाद भी निभाई जाते है अनोखी परंपरा, होली से पहले दो लड़को के बीच कराई जाती शादी

आपने अलग -अलग बिराधरीयो में अलग- अलग और अनोखे ढंग से होने वाली शादियों के बारे मे कई बार सुना होगा और देखा भी होगा।भारत में हर राज्य में शादियों से लेकर त्योहारों तक अलग- अलग परम्पराए और रीति-रिवाज हैं, जिनका लोग पालन करते हैं। हालांकि, दुनियाभर में शादी को लेकर कई अजीबोगरीब परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। क्या आपने खभी दो लड़को के बिच होने वाले शादी की परम्परा के बारे में सुना है।राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के बड़ोदिया गांव में होली से पहले एक बेहद अनोखी परंपरा निभाई जाती है।यहां होली से पहले 2 लड़कों की आपस में शादी कराने की परंपरा है, जिसका पालन कई सालों से होता आ रहा है। आइये आपको इस परम्परा के बारे के बारे में विस्तार से बताते है।


धूमधाम से कम उम्र के लड़कों की होती है शादी


दरासल राजस्थान में स्तिथ बड़ोदिया गांव में होली से पहले 2 युवा लड़को कि आपस में शादी करई जाति हैं। हालांकि, यह कोई असली शादी नहीं होती है, बल्कि सिर्फ एक परंपरा के रूप में होती है। यह काम होली से ठीक पहले किया जाता है। ग्रामीण हर साल इस परंपरा का पालन करते हैं।और गांव के ज्यादा से ज्यादा लोग इस समारोह में शामिल होते हैं।इसमें दूल्हा और दुल्हन दोनों ही कम उम्र के लड़के बनते हैं और उनकी शादी में पूरा गांव जश्न मनाता है और फिर उन्हे बैलगाड़ी में बैठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता है। हालांकि, इसके लिए दूल्हा-दुल्हन चुनते समय बहुत ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि इसके लिए उन्हीं लड़कों का चयन किया जाता है, जिनका जनेऊ संस्कार न हुआ हो।


ऐसे चुने जाते हैं दूल्हा और दुल्हन


हालांकि, इसके लिए दूल्हा-दुल्हन चुनते समय बहुत ध्यान रखना पड़ता है और इनका चुनाव खास तरीके से होता है क्योंकि इसके लिए उन्हीं लड़कों का चयन किया जाता है, जिनका जनेऊ संस्कार न हुआ हो। इनका चुनाव गोरिया समुदाय के लोग करते हैं और इस प्रक्रिया को गेरिया कहा जाता है। ये लोग ढोल बजाते हुए गाते और नाचते हुए पूरे गांव में घूमते हैं। इस दौरान परंपरा के लिए उन्हें जो पहला लड़का मिलता है, उसे दूल्हा और दूसरे लड़के को दुल्हन घोषित किया जाता है।पूरे विधि-विधान से दोनों लड़कों का विवाह कराया जाता है। शादी के बाद अगले दिन उन्हे बैलगाड़ी में बैठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता है। इसके बाद सभी एक दूसरे को रंग लगाकर होली का त्योहार मनाते हैं।


क्या है इस परम्परा की पीछे के वजह


बड़ोदिया गांव में इस अजीबों-गरीब शादी की परंपरा के पीछे एक खास वजह है। गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ोदिया में काफी साल पहले एक नाला था, जो गांव को 2 हिस्सों में बांटता था।ऐसे में लोगों ने दोनों हिस्सों में रह रहे लोगों के बीच के प्यार को बनाए रखने के लिए यह अजीबोगरीब तरीका निकाला। उन्होंने गांव के दोनों हिस्सों की तरफ से एक-एक लड़के को चुनकर उनकी शादी करा दी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

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