भारत के हृदय में बसा मध्य प्रदेश पूरे देश में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। इसका हर एक कोना अपने आप में बेहद खास और कला को समेटे हुए है। लेकिन अपनी स्वच्छता के लिए देश भर में अलग पहचान बनाने वाली मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी ‘इंदौर’ विविध ऐतिहासिक पारंपरिक और प्राकृतिक विरासत से समृद्ध है।
ये शहर अपने बहु-जातीय और पारंपरिक समाज के साथ, इंदौर बहुत अच्छी तरह से भारत के सच्चे शहरी सांस्कृतिक मिश्रण को दर्शाता है। यह देश के केन्द्र पर स्थित होने के कारण इंदौर बहुत उड़ानें, ट्रेनों और बसों के माध्यम से भारत के लगभग सभी भागों में अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इंदौर शहर की नींव 17वीं शताब्दी में पड़ी थी और इसे राव नंदलाल चौधरी ने बसाया था। इस शहर की नींव 17वीं शताब्दी में पड़ी थी और इसे राव नंदलाल चौधरी ने बसाया था। शहर में कई सारे घूमने के स्थान है जहां अनेक फिल्मों की शूटिंग भी की जा चूकी है है
सेंट्रल म्यूजियम
इसे इंदौर म्यूजियम के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर कई दुर्लभ वस्तुएं संरक्षित की गईं हैं। कई दुर्लभ मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं जिनका ऐतिहासिक महत्व है। यहां रखी गणपति की मूर्ति 8 मीटर लंबी है जो दुनिया में गणपति की सबसे बड़ी मूर्ति है।
लाल बाग पैलेस
यह भव्य भवन कारीगरी का अद्भुत नमूना है। इसका निर्माण 1886 में हुआ जो 1921 में पूरा हुआ। इसकी वास्तुकला में यूरोपियन प्रभाव देखने को मिलता है। इस भवन के दरवाजे बकिंघम पैलेस की तरह ही बनाये गए हैं।होलकर वंश के शासकों द्वारा बसाया गया लाल बाग पैलेस भव्य है। महल 28 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और होलकर राजवंश के शासकों के टेस्ट को दर्शाता है। वह महल जो कभी होलकर राजवंश की भव्यता का गवाह था, यह नदी के किनारे स्थित है। इसका निर्माण 1886 में तुकोजी राव होल्कर के समय के दौरान शुरू हुआ था और 35 साल बाद 1921 में उनके उत्तराधिकारी तुकोजी राव होल्कर ने इसे पूरा किया।
पाताल पानी वाटरफॉल
यह प्रसिद्ध झरना इंदौर शहर से 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वाटरफॉल 200 से 300 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। बारिश के दिनों में यहां के नजारे कुछ अलग ही हो जाते हैं। घने जंगल, राजसी पहाड़ियों, साफ आसमान और हरे-भरे मैदानों से घिरा पातालपानी झरना घूमने के लिए एक आदर्श स्थान है। पातालपानी वॉटरफॉल प्रतिदिन की भाग दौड़ और भीड़-भाड़ भरी जिन्दगी से दूर कुछ समय प्राकृतिक सुन्दरता और शांत वातावरण के मध्य व्यतीत करने के लिए शानदार और मनोह्नीय दृश्यों की पेशकश करता है, और इसी कारण सालभर इस स्थान पर पर्यटकों और पिकनिक माने वाले लोगो का जमावड़ा लगा रहता है।
राजवाड़ा
राजवाड़ा एक शानदार और ऐतिहासिक महल है जो इंदौर शहर में स्थित है और इसका निर्माण होलकरों ने 200 साल से भी पहले किया था। यह छत्रियों के पास स्थित एक सात मंजिला संरचना है और शाही भव्यता और वास्तु कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है। कजुरी बाज़ार की भीड़-भाड़ वाली सड़कों के बीच बसे और शहर के मुख्य चौक के सामने, राजवाड़ा महल में एक सुंदर बगीचा है, जिसमें रानी अहिल्या बाई की मूर्ति, एक कृत्रिम झरना और कुछ खूबसूरत फव्वारे हैं। महल इंदौर में सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों और सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है।
कांच मंदिर
पूरी तरह से कांच से निर्मित, यह जैन मंदिर जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए कांच के पैनलों पर उत्कृष्ट कलाकृति प्रदर्शित करता है। मंदिर कांच पर जटिल विवरण कलाकारों की प्रतिभा और समर्पण को दर्शाता है।
बड़ा गणपति
मंदिर का नाम भगवान गणेश की मूर्ति के आकार के कारण पड़ा है। गणपति मुकुट से लेकर पैर तक लगभग 25 फीट ऊंचे हैं और यह दुनिया में भगवान की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है। मूर्ति देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों से चूना पत्थर, गुड़, ईंटों और पवित्र मिट्टी और पानी के मिश्रण से बनी है। इंदौर शहर में एक लेन के अंत में स्थित, बड़ा गणपति एक मामूली दिखने वाला मंदिर है, लेकिन यह भगवान की प्रतिमा की विशालता के आधार पर महत्व रखता है।
मेघदूत गार्डन
मेघदूत गार्डन इंदौर के सबसे पुराने उद्यानों में से एक है, लेकिन इसकी महिमा समय के साथ बढ़ी है। विभिन्न रंगों के साथ शानदार घने परिदृश्य बगीचे के परिसर को सजाते हैं और आराम करने के लिए सही वातावरण बनाते हैं। इस पार्क में बच्चों के लिए झूले और खाने के कई स्टॉल्स भी हैं।
फूड और कल्चर के लिए बेहद खास
इंदौर खाने के शौकीनों के लिए स्वर्ग है। इसे नमकीन कैपिटल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। यहां 101 किस्म का नमकीन बनती है जो पूरे भारत में कहीं नहीं बनती है। आपने इंदौर के पोहे के बारे में तो जरूर सुना होगा। यहां पोहे भी कई तरह के मिलते हैं जिनमें उसल पोहा, मिसल पोहा भी शामिल है। दाल-बाटी वो भी मालवा स्टाइल में। कई तरह की कचौड़ी है। इंदौर के दो फूड डेस्टिनेशन तो वर्ल्ड फेमस हैं पहला सराफा और दूसरा 56 दुकान है।
सर्राफा बाजार
इंदौर को चटोरों का शहर कहा जाता है। आप सोच रहे होंगे मैं खाने की बात करते-करते सराफा बाजार को कहां से ले आया। यही तो इंदौर की खासियत है। पुराने इंदौर में सराफा बाजार में दिन में गहनों की बिक्री होती है और रात में शटर डाउन होते ही चटोरा का मेला लग जाता है। इसे चौपाटी भी कहते हैं। ये चौपाटी सुबह 5 बजे तक खुली रहती है वो भी 12 महीना। है ना मजेदार। यहां जोशी के दही बड़े, भुट्टे की कीस, इंदौर स्टाइल में हॉट डॉग, इंदौर स्टाइल बर्गर, गराडू, साबूदाना की खिचड़ी सब कुछ इंदौर स्टाइल में मिलता है। इंदौर स्टाइल का मतलब हर डिश में सेव।
इंदौर से नजदीक कई सारे टूरिस्ट प्वॉइंट भी है जैसे
उज्जैन – 54 किमी , मांडू – 76 किमी, ओमकारेश्वर – 77
,बाघ की गुफाएं – 144 किमी और महेश्वर – 78 किमी इंदौर से दूर है