
स्वदेश डेस्क [मीनाक्षी मिश्रा] : यदि एकाग्रचित्त मन हो तो क्या नहीं हासिल किया जा सकता है। एकाग्रता हमें जीवन जीने की कला सिखाती है किसी भी काम में यदि एक्सपर्ट होना चाहते है तो उसके लिए चित्त का शांत होना अति आवश्यक है और चित्त को शांत करने की कला हमें एकाग्रता प्रदान करती है। एकाग्र मन से हर असंभव कार्य को भी संभव किया जा सकता है। यदि हर संभव लक्ष्य तक पहुँचना है तो उसकी पहली सीढ़ी एकाग्रता है। हम कितने भी पथप्रदर्शक को उठा कर पढ़ ले उनका सिर्फ एक ही कहना है मन को एकाग्र करो।
संस्कृत के श्लोकों में एकाग्रता को सभी तपो में सर्वोपरि बताया गया है. एकाग्रता को प्रत्यक्ष रूप से एक मूर्तिकार द्वारा मूर्ति बनाने तथा एक चित्रकार द्वारा चित्र बनाते समय उसकी मनो स्थिति के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। जैसा की हम सब जानते है की मन चलाये मान होता हैब है किन्तु इससे नियंत्रण में रखना हमारा कर्त्तव्य है। सफल जीवन जीना है तो एकग्रता ही एकमात्र साधन है। मन की एकाग्रता का सीधा संबंध इंटरेस्ट या रुचि से है. अरुचिकर विषयों में मन नहीं लगता एकाग्रता नहीं रहती, इसलिए किसी भी विषय पर एकाग्रता बढ़ाने की पहली शर्त उस विषय में रुचि पैदा करना है.योग ऋषि पतंजलि ने भी एकाग्रता को महत्व देते योग साधना में निपुड़ता हासिल करने का एकमात्र रहस्य बताया है। मन को एकाग्र करने का सबसे सही तरीका मन को उस कार्य के लिए प्रेरित करना जिमे हमारी रूचि मात्रा भर भी नहीं और धीरे -धीरे उस कार्य के प्रति मन में लगन उत्पन्न होने लगती है।
पौराणिक काल से ही एकाग्रता के महत्व पर बल दिया जाता रहा हैं. जब कौरव और पांडव गुरुकुल में पढ़ते थे तो उनके गुरु भी उन्हें एकाग्रता का पाठ पढ़ते थे। आपकों वह कहानी तो याद हैं न जब एक दिन गुरु द्रोण ने पेड़ पर लकड़ी की चिड़िया रखकर सभी शिष्यों को उस पर निशाना साधने के लिए कहा।निशाना लगाने से पहले उन्होंने सबसे पूछा था कि तुम्हे पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है। अनेक शिष्यों ने उत्तर दिया कि उन्हें पेड़, पत्तियां, चिड़ियाँ आदि दिखाई दे रही है। अंत में उन्होंने अर्जुन से पूछा तुम्हे क्या दिखाई दे रहा है।अर्जुन बोले- गुरूजी मुझे तो केवल चिड़ियाँ की आँख दिखाई दे रही है। अपने मन को शांत और एकाग्र कर अर्जुन ने बड़ी ही आसानी से सही निशाना लगाया और यही कारण था कि वे महान धनुर्धर बन पाए।
एकाग्रता के साथ काम करने से तनाव और अन्य कई बीमारियाँ दूर होती है। क्योंकि एकाग्र व्यक्ति अपने कार्य को पूरी तन्मयता से करता है और उसके मस्तिष्क में कोई ऊल -जुलूल सवाल नहीं प्रकट होते जिससे मन में कई तरह की मानसिक बीमारिया उत्पन्न होने का सवाल ही नहीं उठता।मेरी मानिये तो आप भी एकाग्रता को अपनी निजी ज़िन्दगी का हिस्सा बना लीजिये ताकि आप का जीवन खुशियों से भर जाये और अन्य लोगो के लिए आप प्रेरणास्रोत बन सके।
2 Responses
Very nice essay , loved to read 🤩🤩🤩🤩
Very interesting and gives us a new way how to live cheerfully and peaceful