लोकप्रिय टेलीविजन शोज में अपने दमदार अभिनय के साथ कई भूमिकायें निभाने के बाद, एक्टर मिक्की डुडाने अब एण्डटीवी के फैमिली ड्रामा ‘दूसरी माँ‘ में नजर आ रहे हैं। वह वरुण शर्मा का खलनायक का किरदार निभा रहे हैं, जोकि यशोदा (नेहा जोशी) और कृष्णा (आयुध भानुशाली) की जिन्दगी में नई-नई अड़चनें और चुनौतियाँ लेकर आ रहा है। इस बेबाक बातचीत में मिक्की अपने किरदार, निगेटिव भूमिकाओं, आदि के बारे में बता रहे हैं। उनके साथ हुए इंटरव्यू के मुख्य अंश इस प्रकार हैं
‘दूसरी माँ’ में काम करने और वरुण शर्मा का किरदार निभाने में आपकी दिलचस्पी कैसे हुई?
वरुण के आने से यशोदा और कृष्णा की जिन्दगी में भूचाल आ गया है, जिसके कारण हमारे दर्शक हाई-वोल्टेज ड्रामा देख रहे हैं। वह कामिनी की सारी शैतानी चालों का हिस्सा है और कृष्णा का पिता होने का दावा कर रहा है। एक्टर के तौर पर मुझे लगता है कि निगेटिव किरदार निभाने से हमारा दायरा बढ़ता है और हम ज्यादा मजबूत भावनाएं दिखाते हैं। मेरे किरदार के अलावा ‘दूसरी माँ’ की कहानी में भी मेरी दिलचस्पी थी। मैं शुरूआत से ही यह शो देख रहा हूँ और इसका हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं।
- आपने कई निगेटिव भूमिकाएं की हैं, तो क्या यह आपके लिये सहज है?
मैंने जब इंडस्ट्री में कदम रखा था, तब निगेटिव भूमिकाएं करने के बारे में कभी नहीं सोचा था। मैं दूसरे कई कलाकारों की तरह हीरो बनना चाहता था। लेकिन एक्टर के तौर पर मैं चुनौती वाली भूमिकाओं के लिये हमेशा खुला था। मैंने अपने पहले शो में एक विरोधी किरदार निभाया था और वह हिट हो गया। लोग मुझे बुरे पहलुओं वाले किरदार निभाते देखना पसंद करते हैं। मैं इसे सहज नहीं मानूंगा, क्योंकि निगेटिव किरदार में काफी इंटेंसिटी चाहिए होती है और ऐसे किरदारों के साथ न्याय करने के लिये आपको अभिनय में अपना हुनर लगातार साबित करना होता है। - बार-बार खलनायक का किरदार करने से ट्रोल्स आकर्षित होते हैं और विरोध होता है। क्या निजी तौर पर आपको ऐसा कोई अनुभव मिला है?
पर्दे पर बुरे इंसान का किरदार निभाने से असल जिन्दगी में भी आपको बुरा समझा जा सकता है। यह आम बात है कि खलनायक के किरदार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नायकों के प्रशंसक ट्रोल करते हैं और यह मेरे साथ भी हुआ है। मेरे पहले शो में एक सीन था, जिसमें मैंने नायक के नवजात बच्चे को मारने की कोशिश की थी। उस सीन को देखने के बाद मेरी अपनी दादी ने एक महीने तक मुझसे बात नहीं की। वह कहा करती थीं ‘कुछ अच्छा रोल नहीं कर सकता था?’ या ‘ये क्यों कर रहा है?’। हालांकि एक्टर के तौर पर ऐसी प्रतिक्रियाओं को शाबाशी के रूप में लेना चाहिये, क्योंकि मैं सचमुच किरदारों में ढल जाता हूँ। सोशल मीडिया पर ट्रोल्स और निगेटिव कमेंट्स यह समझने में मेरी मदद करते हैं कि मैंने अपना किरदार अच्छी तरह निभाया। - शो के लिये परिवार से दूर रहना कितना मुश्किल होता है?
दूसरे शहर में शूटिंग करने को लेकर मुझे एक ही बात खलती है और वह है अपनी बेटी नाऐशा से दूर जाना। ‘दूसरी माँ’ का सेट जयपुर में है, इसलिये मुझे वहाँ जाना पड़ा, जबकि मेरा परिवार मुंबई में है। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब मैं अपनी बेटी को देखने और उसकी बातें सुनने के लिए उसे कॉल नहीं करता हूं। हालांकि जैसे-जैसे समय बीता, मैंने शांति से काम लिया, क्योंकि एक्टिंग के अपने जुनून पर चलने के लिये मुझे सफर करना ही था और अपने घर से दूर रहना ही था। जब मैं उसे कॉल करता हूँ और वह कहती है ‘‘पापा’’, तब मेरे कानों में संगीत बजने लगता है। मेरा परिवार, खासकर मेरी पत्नी मेरी सबसे बड़ी ताकत रही है। उन्होंने एक्टिंग के लिये मेरे पैशन को सपोर्ट किया है और यह उन कारणों में से एक है, जिनके चलते शोबिज़ को कॅरियर के रूप में चुनने पर मैं अपनी पेशेवर और निजी जिन्दगी को आसानी से मैनेज कर सका। - क्या आपको लगता है कि एक माध्यम के रूप में टेलीविजन आपको रातों-रात शोहरत दिला सकता है?
मेरा मानना है कि टेलीविजन आपको तुरंत शोहरत और लोकप्रियता दिला सकता है। इसके हमारी इंडस्ट्री में कई उदाहरण हैं। लोग घर बैठे आपको रोजाना देखते हैं और आपके किरदार से जुड़ते हैं। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, हर चीज के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। आप एक सेलेब्रिटी है, जब तक कि आपका शो प्रसारित हो रहा है। मैंने निजी तौर पर इस स्थिति का अनुभव किया हैः जब आपके शो का प्रसारण खत्म हो जाता है, तब आप टीवी स्टार नहीं रह जाते हैं और कोई और आपकी जगह ले लेता है। इस इंडस्ट्री में स्थायी कुछ भी नहीं है, इसलिये काम करते रहना चाहिये।