- ‘तुम ही तो वो हो’ गाने पर लगी थी बोली
- लोगों ने बनवाए मंदिर और संग्रालय
किशोर कुमार, नाम सुनते ही दिमाग में कई फ़िल्में आ जाती हैं, फिल्मों के साथ साथ अगर कोई आवाज़ का भी बादशाह कहा गया तो वो किशोर कुमार ही थे। भले ही आज का बॉलीवुड काफी आगे बढ़ चुका है पर किशोर कुमार के योगदान को कोई भी नहीं भूल सकता क्योंकि उन्होंने न सिर्फ फिल्मी जगत में पर उसके साथ ही संगीत जगत में भी बड़ा नाम कमाया था। अपनी इस आवाज़ से वह उस दशक में काफी चर्चित किरदार माने जाते थे।
एक व्यक्तित्व कई हुनर
किशोर कुमार को सभी इसलिए भी याद रखते हैं क्योंकि एक व्यक्ति में इतना हुनर किसी ने उस समय में कभी नहीं देखा था। उनके कई हुनरों में महिला की आवाज में गाना, गाना गाने के साथ अभिनय करना, आदि गुण शामिल थे। इन सब कारणों से उन्हें बहुमुखी कलाकार भी कहा जाता था।
किशोर कुमार की काल्पनिक उड़ान
किशोर दा शुरुआत से एक घर बनाने का सपना देखते थे जिसके लिए उन्होंने एक बार आर्किटेक्ट को भी बुलाया था। उन्होंने आर्किटेक्ट को जब अपना नक्शा बताया तब वह भी दंग रह गया क्योंकि उनका सपना था की उनके घर में हर कामरे में पानी हो और उनके पलंग के पास एक नाव हो जिसपर बैठकर वह खाना खाने डाइनिंग मेज तक जाएं। इनका ये सपना काफी अलग था पर अफ़सोस की ये कभी पूरा ना हो सका।
काम का पैसा था आवश्यक
किशोर कुमार ने शुरुआत से ही कभी कोई भी कार्य मुफ़्त में नहीं किया भले ही वो गाना ही क्यों न गाने का काम हो। कार्य करने से पहले ही उनकी फीस ले लेते थे फिर काम करते थे। वह पैसे लेने के मामले में इतने पक्के थे की एक बार एक फिल्म निर्माता ने उनको आधे पैसे दिए और बोले आधे पैसे फिल्म पूरी होने के बाद देंगे तब अगले दिन जब किशोर दा शूटिंग पर आए तो आधी मूछों और आधे मेकअप में आए और बोले की अगर पूरे पैसे नहीं मिले तो वह फिल्म की शूटिंग ऐसे ही करेंगे। इस चक्कर में निर्माता ने उन्हें तुरंत पूरे पैसे देकर फिल्म की शूटिंग शुरू करवाई।
गाने की लगी सबसे ज़्यादा बोली
किशोर कुमार शुरुआत से ही अपने गानों के लिए काफी प्रसिद्ध माने जाते थे। 2012 में उन्होंने आखिरी गाना गया था जिसका नाम था ‘तुम ही तो वो हो’, जिसे कुलवंत जानी ने लिखा और संगीत उषा खन्ना ने दिया था। इस गाने की बोली 15 लाख 60 हज़ार तक हुई थी जो की उस समय के हिसाब से भारतीय गायक के लिए सबसे ज़्यादा कीमत थी। यह गाना ‘खेल तमाशा’ नाम की फिल्म के लिए था जो की कभी बन नहीं पाया क्योंकि यह गाना 1987 में किशोर के निधन से 3 दिन पहले रिकॉर्ड किया गया था।
किशोर कुमार का निधन भले ही हो गया पर आज भी इनके गाने और फ़िल्में काफी ज़्यादा पसंद करते हैं। लोगों ने अपने प्रेम को प्रकट करने के लिए कहीं उनके नाम का मंदिर बनवाया तो कहीं संग्रालय। किशोर कुमार कभी ना भूले जाने वाले किरदार बन कर चले गए। (आस्था त्रिपाठी)