दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल अपनी भाषणबाजी और यू–टर्न के लिए प्रसिद्ध हैं। जब से उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और प्रमुख मंत्री जेल गए हैं, तब से उनकी ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने के लिए ओछे प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। लेकिन उनको भय इतना है कि ऊल–जलूल वक्तव्य जारी करने के लिए विधानसभा का दुरुपयोग कर रहे हैं। अब जबकि सीबीआई ने शराब घोटाले में केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया तब उनकी ओर से यह कहना अहंकार की चरम सीमा है कि– “मैं कहना चाहता हूं कि मोदीजी अगर मैं बेईमान हूं तो दुनिया में कोई ईमानदार नहीं है”। ऐसा लगता है कि केजरीवाल को अपने पुराने बयान स्मरण नहीं, जब उन्होंने दावे कुछ किए और व्यवहार ठीक उसके उलट। ऐसे में केजरीवाल के इस बड़े बोल पर कौन विश्वास करेगा। लोग अभी भूले नहीं है कि इन्हीं केजरीवाल ने कहा था कि सत्ता/राजनीति में आने के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। बच्चों की कसम खाकर बोले थे कि कभी राजनीति में नहीं आएंगे। राजनीति में आकर दावा किया था कि गाड़ी–बंगले नहीं लेंगे लेकिन गाड़ी और बंगले भी लिए, साथ में वेतन भी बढ़ाया। आम आदमी पार्टी के नेता/विधायक भ्रष्टाचार एवं अनैतिक मामलों में भी लिप्त पाए जा रहे हैं। यह सब बहुत पुरानी बातें नहीं है। ऐसे में उनके इस दंभ पर जनता कैसे विश्वास करेगी कि वे ही इकलौते ईमानदार हैं। केजरीवाल को चाहिए कि वे भाषणों से विश्वास जीतने की अपेक्षा कानूनी प्रक्रिया का सामना करें। कभी उनके गुरु रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी कहा है कि “कुछ दोष दिखाई दे रहा इसलिए पूछताछ होगी, अगर गलती की है तो सजा होनी चाहिए”। यही बात आम नागरिक भी सोचता है कि नेता आम लोगों की तरह कानूनी कार्यवाही का सामना क्यों नहीं करते? पूछताछ भर होने पर ही हो–हल्ला क्यों मचाने लगते हैं? दुर्भाग्य की बात यह है कि राजनीति बदलने और सुशासन देने का दावा करनेवाले अरविंद केजरीवाल की सरकार शराब घोटाले में घिर गई है। जब केजरीवाल सरकार की शराब नीति पर अंगुली उठी थीं तब भी अन्ना हजारे ने बहुत पीड़ा के साथ पत्र लिखा था। तब उन्होंने केजरीवाल को कहा था कि शराब के बारे में क्यों सोचते हैं, अच्छी बातें सोचो, पैसे के लिए कुछ भी करना ठीक नहीं। शराब ने किसी का भला किया हो ऐसा तो कभी नहीं हुआ। परंतु केजरीवाल ने अन्ना हजारे की हिदायत को अनसुना कर दिया। केजरीवाल के साथ एक दिक्कत यह भी दिखाई देती है कि जिद्दी स्वभाव के हैं और अपने आगे किसी को कुछ मानते नहीं। दिल्ली के उपराज्यपाल के संदर्भ में उनकी बयानबाजी को सुनकर कोई भी सामान्य व्यक्ति केजरीवाल की झल्लाहट पर हैरानी ही जताएगा। बहरहाल, कभी खुद को और अपने साथियों को कट्टर ईमानदार घोषित करनेवाले आज भ्रष्टाचार के आरोपों में बुरी तरह घिर गए हैं। केजरीवाल की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया शराब घोटाला मामले में जेल गये, स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद हुए लगभग साल भर होने वाला है। इससे पहले केजरीवाल की सरकार में मंत्री रहे संदीप कुमार का सेक्स स्कैंडल सामने आने पर उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उससे पहले केजरीवाल सरकार में गृह मंत्री रहे जितेंद्र तोमर को फर्जी डिग्री विवाद में मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। मजेदार बात है कि आज केजरीवाल सरकार के विधायक/मंत्री अपनी डिग्री दिखाते घूम रहे हैं। इसके अलावा केजरीवाल की सरकार में खाद्य और आपूर्ति मंत्री रहे असीम अहमद खान को रिश्वत मामला सामने आने पर मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हाल ही में केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम को भी हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ विवादित बयान के चलते मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। अब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है। यह आम आदमी पार्टी के सिर्फ दिल्ली के कट्टर ईमानदार नेताओं की एक छोटी-सी तस्वीर है। राष्ट्रीय स्तर पर यह तस्वीर और व्यापक है।
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