दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके सड़क पर घुमाने और अमानवीय व्यवहार करने का जो वीडिया मणिपुर से आया है, उससे समूचा देश आक्रोशित और शर्मसार है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दु:खी मन से इस घटना पर खेद व्यक्त किया है। उन्होंने जो कहा, वही भाव जन सामान्य के भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि “मेरा हृदय आज पीड़ा से भरा है, क्रोध से भरा है। मणिपुर की घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। पाप करने वाले कितने हैं और कौन हैं ये अपनी जगह है। ये बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार होना पड़ा है। सभी मुख्यमंत्रियों से कहता हूं कि कानून-व्यवस्था को मजबूत करें। माताओं-बहनों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाएं”। प्रधानमंत्री मोदी की ओर उम्मीदों से देख रहे नागरिकों को उन्होंने आश्वासन दिलाया है कि देश में हिंदुस्तान के किसी भी कोने या किसी भी राज्य सरकार में राजनीतिक वाद-विवाद से ऊपर उठकर कानून-व्यवस्था और बहनों का सम्मान प्राथमिकता है। किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। नि:संदेह, यह अपराध माफी के लायक नहीं है। मणिपुर की परिस्थितियों की जानकारी रखनेवाले लोग बता रहे हैं कि कुकी समाज के लोगों ने इसी प्रकार के घिनौने अपराध वहाँ के बहुसंख्यक समुदाय मैतई की महिलाओं के साथ भी किए हैं। उनके घरों में घुसकर महिलाओं के साथ व्यभिचार किया और उनके घर जला दिए। परंतु, कहना होगा कि महिलाएं चाहे मैतई समुदाय की हों या कुकी समाज की, उनके सम्मान के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ कतई स्वीकार नहीं है। इस तरह की घटनाएं सामान्य अपराध नहीं हैं, इससे समूची मानवता का सिर झुक जाता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विधर्मियों का प्रभाव बढ़ने के बाद से मणिपुर जैसे राज्यों में महिलाओं को वस्तु और ढाल की तरह इस्तेमाल किए जाने के अनेक मामले सामने आते रहे हैं। हमें भूलना नहीं चाहिए कि भारतीय सेना के जवानों को रोकने के लिए प्रदर्शनकारी महिलाओं को नग्न होने के लिए उकसाते रहे हैं। अफस्पा कानून को हटाने के लिए कितने ही ऐसे प्रदर्शन हुए, जिनमें प्रदर्शनकारियों ने ही महिलाओं का अपमान किया गया। मणिपुर की इस घटना की जितनी निंदा की जाए, कम है। अभी एक अपराधी पकड़ा गया है। जल्द ही वे सभी अपराधी पकड़े जाने चाहिए, जो भीड़ का हिस्सा हैं। केन्द्र सरकार को इस मामले को अपने हाथ में लेना चाहिए और एक निष्पक्ष जाँच समिति बनाकर घटना के सभी पहलुओं की पड़ताल करानी चाहिए। यह जाँच इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि घटना लगभग 70-75 दिन पुरानी है लेकिन उसका वीडियो मानसून सत्र से ठीक एक शाम पहले वायरल होता है। सरकार पर हमलावर रहनेवाला समूचा वर्ग एक साथ, एक ही समय में इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरने सोशल मीडिया के रणक्षेत्र में उतर आया। मणिपुर की वर्तमान परिस्थितियों एवं पुराने इतिहास के आधार पर भी इस घटना की निष्पक्ष जाँच आवश्यक है बहरहाल, पिछले कुछ समय से यह ध्यान में आ रहा है कि संसदीय सत्र से ठीक पहले कोई न कोई ऐसा मामला उछाला जाता है, जिससे संसदीय कार्यवाही को चलने ही न दिया जाए। हंगामा खड़ा करके सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाए। इस मामले में भी यही हुआ। सरकार मणिपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर चर्चा के लिए तैयार थी, इसके बाद भी विपक्ष ने हंगामा करके संसद ठप करा दी। अच्छा होता कि विपक्ष संसद में नियमानुसार इस मुद्दे पर संसद में अपनी बात रखती और सरकार से सवाल पूछती। ऐसा होता तो सरकार भी अपना रुख देश के सामने रखती।
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