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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर सख्ती

अपने कार्यकाल के पहले दिन से ही मोदी सरकार ने स्पष्ट किया हुआ है कि वह आतंकवाद पर शून्य सहनशीलता की नीति का अनुपालन करेगी। परिणामस्वरूप भारत में आतंकी घटनाएं अब बीते दौर की बात हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर में भी पहले के मुकाबले आतंकी हमलों में बहुत कमी आई है। दरअसल, सरकार आतंकवाद को रोकने के लिए लगातार कार्रवाईयां कर रही है। इसी कड़ी में बीते दिनों मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन तहरीके हुर्रियत को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा संबंधी मामलों को लेकर बीते मंगलवार को भी गृह मंत्रालय ने उच्च स्तरीय बैठक की थी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव कराने की ओर केंद्र सरकार बढ़ रही है। लेकिन सरकार उससे पहले यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोकतंत्र पर आतंकवादी एवं अलगाववादी ताकतों का साया न पड़े। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अलीशाह गिलानी द्वारा स्थापित तहरीके हुर्रियत की अगुआई 2021 में उनकी मौत के बाद मसरत आलम भट के हाथों में आ गई थी, जो आजकल जेल में है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, यह गिरोह न केवल कश्मीर में पत्थरबाजी जैसी घटनाएं करवाने और लोगों को भड़काने की कोशिशों में लगा रहता था बल्कि जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करके वहां इस्लामी शासन स्थापित करने की साजिश में भी शामिल था। यह इसके लिए पाकिस्तान से फंड जुटाने में लगा था। इसमे दो राय नहीं कि ये आरोप बेहद गंभीर हैं। कोई भी जिम्मेदार सरकार इन आरोपों को हलके में नहीं ले सकती। पिछले सप्ताह ही बुधवार को सरकार ने भट की अगुआई वाली पार्टी मुस्लिम लीग, जम्मू-कश्मीर को भी प्रतिबंधित किया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई को मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति से जोड़ते हुए कहा है कि आगे भी अगर कोई संगठन या व्यक्ति भारत विरोधी कार्रवाई में लिप्त पाया जाता है तो उसे तुरंत रोका जाएगा। आतंकवाद के खिलाफ इस तरह की सख्ती की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। याद रहे कि मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में इस तरह की कार्रवाई का यह पहला मामला नहीं है। तहरीके हुर्रियत 17वां संगठन है, जिसे मोदी सरकार ने आतंकवादी निरोधक कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित किया है। प्रतिबंधित किए गए अन्य समूहों में सिख्स फॉर जस्टिस, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया, जमात-ए-इस्लामी और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन जैसे चर्चित समूह भी शामिल हैं। यही नहीं ऐसे संगठनों के अलावा अब तक 55 व्यक्ति को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आतंकवादी करार दिए जा चुके हैं। सरकार की अब तक की कार्रवाई और उसके रुख से स्पष्ट है कि इस मामले में वह किसी तरह दुविधा, उलझन या संदेह के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ने वाली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बातों से यह भी संकेत मिलता है कि आगे कुछ और संगठनों के खिलाफ इस तरह के कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाले तत्वों के साथ सख्ती से निपटना समय की आवश्यकता है।

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