भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या धाम में बना भव्य राममंदिर प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों एवं नेताओं की आँखों में चुभ क्यों रहा है? यह एक गंभीर प्रश्न है, जो प्रत्येक भारतीय एवं रामभक्त के मन में उठ रहा है। वर्षों तक कांग्रेस में रहे वरिष्ठ नेता एवं कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा किए गए खुलासे के बाद से यह चिंता और अधिक बढ़ गई है। आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है कि राम मंदिर का निर्णय आने के बाद एक गोपनीय बैठक के दौरान अमेरिका के रहनेवाले अपने नजदीकी से राहुल गांधी ने यह कहा था कि यदि उनकी सरकार आई तो वह शाहबानों प्रकरण की ही तरह राम मंदिर का फैसला भी बदल देंगे। उनका यह बयान चौंकानेवाला है। यह बात सत्य है कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को एक बार पलट चुकी है। शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस सरकार ने एक वृद्ध और पीडि़त महिला का साथ देने के की बजाय कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों के आगे घुटने टेकना पसंद किया था। इसलिए आचार्य के खुलासे के बाद से जनता के मन में यह संदेह तो घर कर ही गया है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो राम मंदिर के निर्णय को पलटा जा सकता है। अपनी बात को मजबूती से रखते हुए कल्कि पीठाधीश्वर ने यह भी कहा कि “मैं कांग्रेस में 32 साल से अधिक समय तक रहा हूँ। जब राम मंदिर बनना शुरू हुआ उसके बाद राहुल गांधी ने अपनी नजदीकी लोगों की बैठक बुलाई थी। इसमें अमेरिका के रहने वाले अपने एक शुभचिंतक को भी बुलाया था। उनके कहने पर इशारे में यह बात कही थी कि अगर हमारी सरकार बनती है तो हम सुपर पावर कमीशन बनाकर राम मंदिर के फैसले को पलट देंगे”। यह दावा कितना सही है और गलत, यह तो कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ही बता सकते हैं। आचार्य के खुलासे के बाद से अभी तक राहुल गांधी ने इस बात का खंडन नहीं किया है। उन्होंने एक बार भी नहीं कहा है कि आचार्य प्रमोद कृष्णम की बात बेबुनियाद है। कांग्रेस की सरकार आई तो कभी भी राम मंदिर का निर्णय नहीं बदला जाएगा। वे चाहें तो यह भी कह सकते हैं कि राम मंदिर निर्माण के कार्य में कांग्रेस बड़ी सहयोगी की भूमिका निभाएगी। हालांकि इस प्रकार के बयान की अपेक्षा कांग्रेस से नहीं है। लेकिन कम से कम राहुल गांधी को कल्की पीठाधीश्वर के आरोपों का खंडन तो करना ही चाहिए। राम मंदिर को लेकर किस प्रकार के भ्रम उत्पन्न किए जा रहे हैं, यह तो सबको ज्ञात ही है। विपक्षी गठबंधन की प्रमुख सहयोगी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने राम मंदिर को लेकर जिस प्रकार का बयान दिया है, वह भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लुटिया डुबोने का काम करेगा। रामगोपाल यादव के बयान से इस आशंका को ही बल मिलता है कि यदि विपक्षी गठबंधन सत्ता में आ गया तब राम मंदिर का निर्माण कार्य रुक सकता है। कांग्रेसनीत विपक्षी गठबंधन के प्रमुख नेता रामगोपाल यादव साफ कह रहे हैं कि “राम मंदिर बेकार है। क्या मंदिर ऐसे ही बनाए जाते हैं? पुराने मंदिर देखें, वे इस तरह नहीं बनाए गए। दक्षिण से उत्तर के मंदिरों को देखें। इस मंदिर का नक्शा उचित नहीं है और वास्तु के अनुरूप नहीं है”। स्पष्ट है कि विपक्षी नेता राम मंदिर के निर्माण, उसके स्वरूप एवं वास्तु पर प्रश्न उठा रहे हैं। जब लोगों के मन में यह आशंका घर कर गई हो कि विपक्षी राजनीतिक दल सत्ता में आए तो राम मंदिर के निर्णय को उलट देंगे, तब मंदिर के वास्तु पर प्रश्न उठाने से यह भी आशंका गहराती है कि अब तक बने राम मंदिर को तोड़ दिया जाएगा? यदि कांग्रेस के मन में राम मंदिर को लेकर सद्भावना है तब उसे अविलंब सभी प्रकार के आरोपों का खंडन करना चाहिए और मंदिर के विरोध में दिए गए बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। अन्यथा जनता के मन में संदेह के बादल घुमड़ते रहेंगे।
95