कांग्रेस की तथाकथित सॉफ्ट हिंदुत्व की नई नीति का विरोध पार्टी के भीतर से ही होने लगा है। कांग्रेस का खोल ओढ़कर बैठे कम्युनिस्टों और मुस्लिम कांग्रेसी नेताओं को पार्टी के बड़े नेताओं का मंदिर जाना और हिंदुत्व की बात करना पसंद नहीं आ रहा है। कई लोग दबे–छिपे तो कई लोग खुलकर विरोध करने लगे हैं। इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने अपनी ही पार्टी को निशाने पर लिया है। कुरैशी के बयान से यह तो ध्यान में आता ही है कि हिंदू धर्म और उसकी पहचान को लेकर कांग्रेस में स्वीकार्यता नहीं रही है। अन्यथा कुरैशी साहब कांग्रेस के तथाकथित हिंदू प्रेम पर अपनी ही पार्टी की कड़ी आलोचना नहीं करते। सही मायनों में तो कुरैशी का भाषण आलोचनात्मक कम हिंदू धर्म के विरोध में अधिक दिख रहा है। भला कोई समझदार व्यक्ति जय गंगा मैया और जय नर्मदा मैया कहने के लिए कांग्रेसियों को डूब मरने की सलाह कैसे दे सकता है? कुरैशी ने यह सलाह तब किसी कांग्रेसी को नहीं दी होगी, जब कांग्रेस कार्यालय में इफ्तार पार्टियां होती हैं, एक–दूसरे को ईदी दी जाती है, कांग्रेस के हिंदू नेता जालीदार टोपी पहनते हैं। यह सब करना कुरैशी जैसे मुस्लिम नेताओं को खूब पसंद आता है, लेकिन हिंदू धर्म का दिखावा करना भी उन्हें पसंद नहीं है। इसके लिए वे कांग्रेसी नेताओं को डूब मरने का उलाहना देते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्मदिन पर अल्पसंख्यक सम्मेलन में संबोधित करते हुए कुरैशी यह भी कहते हैं– “आज जवाहरलाल नेहरू के वारिस कांग्रेस के लोग धार्मिक यात्राएं निकाल रहे हैं। गर्व से कहो हम हिंदू हैं बोलते हैं। भोपाल में पीसीसी दफ्तर में मूर्तियां लगाते हैं। यह सब शर्मनाक है। ऐसा कहने के लिए कांग्रेस मुझे निकालना चाहे तो निकाल दे लेकिन यह सब डूब मरने की बात है”। नि:संदेह, कुरैशी साहब के बयान घोर सांप्रदायिक हैं और हिंदू धर्म के प्रति द्वेष से भरे हुए हैं। क्योंकि उन्होंने कभी भी कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर प्रश्न नहीं उठाए। आज जबकि हिंदुत्व का वातावरण है और कांग्रेस को वोट पाने के लिए थोड़ा हिंदू प्रेम दिखाने पर मजबूर होना पड़ा है तब कुरैशी साहब जैसे नेताओं को कष्ट हो रहा है। सोचिए, कांग्रेस ने किस प्रकार की मानसिकता के लोगों को आगे बढ़ाया? उलीखनीय है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में पार्टी ने थोड़ा हिंदुत्व की राह पकड़ी है। कांग्रेस ने स्वयं को हिंदू पार्टी दिखाने के प्रयास प्रारंभ किए हैं। पार्टी कार्यालय पर हनुमान जयंती मनाई जाने लगी है। हनुमान जयंती पर कार्यालय को भगवा पताकाओं से सजा दिया गया। अब कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा का आयोजन कर दिया। कांग्रेस के समर्थकों, कम्युनिस्टों और मुस्लिम नेताओं को इस सबसे अथाह पीड़ा पहुंची है। कांग्रेस और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजीज कुरैशी के विचारों पर स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि उनका हिंदू प्रेम चुनावी नहीं अपितु यह कांग्रेस में प्रारंभ से स्वीकार है। यदि कांग्रेस कुरैशी के विचारों की निंदा नहीं करती है तब यही माना जाना चाहिए कि वह मुस्लिम तुष्टिकरण भी चाहती है और हिंदुत्व की नाव की सवारी भी करनी है। परंतु कांग्रेस के नेतृत्व को यह समझना चाहिए कि जनता सब देख और समझ रही है।
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