डीएमके के नेता एवं तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को समाप्त करने संबंधी बयान पर देशभर से निंदात्मक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अब तक एक शब्द नहीं बोला है। अपितु कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंक खड़गे और पी. चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम की ओर से उदयनिधि को समर्थन देनेवाले बयान ही आए हैं। इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर जनता के सामने यह स्पष्ट हो रहा है कि कौन हिन्दू धर्म का हितैषी है और कौन सिर्फ कुर्सी के लिए हिन्दू हितैषी होने का स्वांग रचता है। कांग्रेस की ओर से अक्सर यह प्रश्न उछाला जाता है कि क्या भाजपा हिन्दू धर्म की ठेकेदार है, इस घटनाक्रम ने बता दिया है कि हिन्दुओं के स्वाभिमान का मुद्दा आनेपर भाजपा ही बेहिचक सबसे आगे खड़ी दिखायी देती है। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि हाँ, भाजपा हिन्दू धर्म की ठेकेदार के तौर पर इकलौती पार्टी के नाते दिखायी देती है। सनातन को समाप्त करने संबंधी मामले में भी भाजपा की ओर से ही कड़ा विरोध दर्ज कराया जा रहा है। यहाँ तक कि अब तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पार्टी की बैठक में जिम्मेदार नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि सनातन धर्म के विरोधियों को अच्छे से जवाब दिया जाना चाहिए। यहाँ उन्होंने यह भी कहा है कि विरोध कानून के दायरे में हो, हमें अपनी मर्यादा नहीं छोड़नी है। प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी सहयोगी होगा। उल्लेखनीय है कि उदयनिधि स्टालिन के बयान से लोगों को भयंकर आक्रोश है। यह आक्रोश हिंसक रूप न ले, इसलिए भी देश के किसी बड़े नेता की ओर से इस तरह का संदेश अपेक्षित था। यह सनातन धर्म के अनुयायियों की सहनशीलता ही है कि उदयनिधि स्टालिन के आपत्तिजनक बयान के बाद भी उसका विरोध केवल तर्कों के आधार पर किया जा रहा है। यह बात अवश्य ही उदयनिधि जैसों को समझनी चाहिए। इस प्रकरण में एक और बात महत्व की है, जो समाज की सज्जनशक्ति को अनुभव करनी चाहिए। यदि समाज संगठित हो, तब उस पर आघात करने की हिम्मत कम ही लोगों की होगी। बीते दिन तक अपने बयान पर अड़े रहनेवाले उदयनिधि स्टालिन के तेवर अब ढीले पड़ते दिख रहे हैं। अब उन्होंने यह कहना प्रारंभ कर दिया है कि वे किसी धर्म के विरोधी नहीं है और उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, जो उदयनिधि के पिता भी हैं, अब तक इस मामले में चुप्पी साधकर बैठे थे, प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया के बाद उनको भी मजबूर होकर बचाव में उतरना पड़ा है। यदि समाज इसी प्रकार की संगठित रहे तो किसी भी स्टालिन की हिम्मत ही नहीं होगी कि वह सनातन की तुलना मच्छर, मलेरिया, डेंगू, कोरोना से करे और उसे समाप्त करने की अभिलाषा व्यक्त करे। इस मामले में कांग्रेस ने चुप्पी अवश्य साध रखी है लेकिन उसे भी ध्यान आ रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में अपने सहयोगी दल के नेता के यह विचार उसको भारी पड़ सकते हैं। इसके लिए कांग्रेस स्वयं भी जिम्मेदार होगी क्योंकि उससे अपेक्षा की जा रही थी कि वह अपने गठबंधन से डीएमके को बाहर का रास्ता दिखाए। डीएमके को बाहर का रास्ता दिखाना तो दूर, कांग्रेस ने उदयनिधि के बयान पर कड़ा प्रतिरोध तक दर्ज नहीं कराया है।
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