मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एक-दो सीटों को छोड़कर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। अर्थात् सब यह तस्वीर साफ हो चुकी है कि कहाँ, किसका, किससे मुकाबला है। इधर, नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। अब सबको मतदान के दिन की प्रतीक्षा है। इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक चिट्ठी को लेकर राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा है। जनता के नाम लिखे अपने इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश के मतदाताओं से समर्थन माँगा है और यह लिखा है कि उन्हें अटूट विश्वास है कि प्रदेश की जनता भाजपा को चुनेगी और डबल इंजन की सरकार बनाएगी। यह देखना दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री मोदी मध्यप्रदेश के चुनाव में विशेष रुचि ले रहे हैं। उनकी यह रुचि उस नारे को सही साबित करती है, जिसमें कहा गया है- ‘मोदी के मन में मध्यप्रदेश’। प्रधानमंत्री मोदी लगातार मध्यप्रदेश आते रहे हैं और प्रदेश के विकास की योजनाओं सहयोग करते हैं। बीते दिन भी ग्वालियर में उनका प्रवास था। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र लिखकर मध्यप्रदेश की जनता के साथ एक भावनावत्मक संबंध स्थापित करने का प्रयास किया है। पत्रों का महत्व मोदीजी जानते हैं। सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी जब सीधे जनता को पत्र लिखकर उनका साथ माँग रहे हैं और उनके प्रति विश्वास भी जता रहे हैं, तो इसका मनोवैज्ञानिक असर जनता पर स्वाभाविक रूप से पड़ता है। वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी को लेकर देश की जनता में एक दीवानगी है। पत्र की भाषा-शैली को देखें तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि वे प्रदेश के मतदाताओं का यह विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि बीते 20 वर्षों में जो विकास हुआ है, उसे और आगे ले जाने में उनकी गहरी रुचि है। प्रधानमंत्री पहले भी मध्यप्रदेश के साथ अपने संबंधों का उल्लेख करते रहे हैं। इस पत्र की एक और विशेषता है। उन्होंने स्पष्ट उल्लेख किया है कि मध्यप्रदेश के विकास में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके नेतृत्व में 20 वर्ष में प्रदेश ‘बीमारू राज्य’ की छवि से बाहर निकलकर ‘विकसित राज्य’ की छवि बनाने में सफल हुआ है। स्मरण रहे कि कुछ लोग योजनापूर्वक यह स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच अच्छे संबंध नहीं है। विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किनारे कर दिया है। जबकि हम अब तक का भाजपा का प्रचार अभियान एवं टिकट वितरण की प्रक्रिया को देखें, तो स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री चौहान की अपनी भूमिका बहुत महत्व की है। समूचे प्रचार की बागडोर उनके ही हाथ में दिख रही है। उनसे अधिक सभाएं पिछले दिनों में प्रदेश में किसी की नहीं हुई हैं। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी का यह पत्र सामान्य मतदाता भी ध्यानपूर्वक और पूर्वाग्रह हटाकर पढ़ेगा तब उसका मानस बदल सकता है। वह भाजपा की ओर आकर्षित हो सकता है। कांग्रेस के समय में मध्यप्रदेश की स्थिति क्या थी और अब भाजपा के दौर में मध्यप्रदेश कहाँ पहुँच गया है, इसकी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश की जनता का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है। देखना होगा कि यह पत्र जनता के हृदय में मोदी और भाजपा को स्थापित करने में कितना सफल होता है। मोदी के मन में जिस तरह मध्यप्रदेश है, क्या उसी तरह प्रदेश की जनता के मन में मोदी हैं? प्रधानमंत्री मोदी के प्रति जनता का प्रेम और विश्वास, जनादेश में बदल पाएगा? यह आनेवाले समय में ही पता चलेगा। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यप्रदेश और यहाँ की जनता के साथ अपनी ओर से आत्मीय संबंध स्थापित कर लिए हैं।
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