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मुस्लिम लीग के मंसूबे

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और मुख्य चेहरे राहुल गांधी जिस मुस्लिम लीग को पूरी तरह से सेक्‍युलर पार्टी बताते हैं, उसी मुस्लिम लीग ने केरल में एक जुलूस निकालकर हिन्दुओं को नरसंहार की धमकी दी है। लेकिन अभी तक राहुल गांधी तो क्या किसी भी कांग्रेसी ने मुस्लिम लीग की, उसके खतरनाक मंसूबों के लिए आलोचना नहीं की है। मुस्लिम संगठनों के समाज विरोधी बयानों पर कांग्रेस की यह चुप्पी क्या कहती है? मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप से बढ़कर कांग्रेस की जो हिंदू विरोधी छवि बनी है, उसके पीछे इसी प्रकार की चुप्पी और प्रोत्साहन है। जब विदेश की धरती से राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग का बचाव किया और कहा कि मुस्लिम लीग में सांप्रदायिकता जैसा कुछ नहीं है तो देश की जनता हैरान रह गई थी। कोई कितने भी प्रयास कर ले मुस्लिम लीग को सर्वसमावेशी और सेकुलर पार्टी/विचार सिद्ध नहीं किया जा सकता। मुस्लिम लीग का इतिहास ही नहीं, वर्तमान भी उन सभी दावों को झुठला देता है। समान नागरिक संहिता के विरोध में निकाले गए जुलूस में मुस्लिम लीग ने नेताओं ने भड़काऊ नारेबाजी की। ‘तुम्हें तुम्हारे ही मंदिरों में लटका देंगे, तुम्हें जिंदा जला देंगे’, हिंदुओं के विरोध में इस तरह के नारे उस जुलूस में लगाए गए। किसी को हैरानी नहीं होगी कि कांग्रेस की मुहब्बत की दुकान में इस तरह के विचार/मंसूबे रखनेवाले राजनीतिक दल बने रहेंगे। टुकड़े–टुकड़े गैंग से लेकर हिंदुओं को उनके मंदिर में लटकाने का इरादा पालकर बैठे लोग/पार्टी आईएनडीआईए गठबंधन में शामिल हैं। भारत का हिंदू समाज कैसे इस बात पर भरोसा करे कि गठबंधन का नाम बदलकर रखने से उसमें शामिल राजनीतिक दलों की नीयत, नीति और विचार बदल जायेंगे। उल्लेखनीय है कि केरल में हुए मोपला नरसंहार को दो साल पहले ही 100 वर्ष पूरे हुए हैं। देश अभी तक भूला नहीं है कि खिलाफत आंदोलन में मुस्लिम समाज का सहयोग करने की क्या कीमत हिंदुओं को चुकानी पड़ी थी। यह भी सबको याद है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कट्टरपंथी तत्वों ने किस प्रकार का अराजक वातावरण बनाया था। जबकि नागरिकता संशोधन कानून का तो किसी भी प्रकार से मुसलमानों पर प्रभाव नहीं पड़ता था। समान नागरिक संहिता भी मुसलमानों के विरुद्ध नहीं हैं। यह समझना मुश्किल हो रहा है कि क्यों इस कानून का विरोध किया जा रहा है? केरल में मुस्लिम लीग ने एक तरह से हिंदुओं को भयाक्रांत करने का प्रयास किया है। इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद ने उचित ही आपत्ति दर्ज कराई है। विहिप ने पूछा है कि मंदिरों में हिन्दुओं को फांसी देने की धमकी देने वाले क्या मोपलाओं के द्वारा किए गए नरसंहार को दोहराना चाहते हैं? इसका उत्तर उन सबको देना चाहिए जो मुस्लिम लीग को सेकुलर होने का प्रमाण पत्र दे रहे थे। यह भी ध्यान देने की बात है कि छोटी–छोटी बातों को आधार बनाकर हिंदू संगठनों की छवि खराब करने के सुनियोजित उद्देश्य से हमलावर रहनेवाले समूह इस्लामिक आक्रामकता पर सदैव चुप्पी साध लेते हैं। हिन्दुओं की धार्मिक यात्राओं पर, हमले किए जा रहे हैं, कांवड़ यात्राएं हों या रामनवमी की शोभा यात्रायें इन पर हमले किए गए हैं। प्रतिदिन देश में कहीं न कहीं से किसी न किसी जिहादी के द्वारा हिन्दू समाज के ऊपर हमले होते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन तथाकथित सेकुलर समूहों ने इन सब हिंसक/सांप्रदायिक गतिविधियों की निंदा नहीं की है। बहरहाल, इस प्रकार की घटनाएं समाज को इस सच से अवगत करा देती हैं कि वास्तव में कौन सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द को लेकर ईमानदार है और कौन राजनीति/वैचारिक ढोंग करता है।

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