प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में एक बार फिर देशवासियों को अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहित किया और देशभर में व्यक्तिगत एवं संस्थागत उपलब्धियों की जानकारी देकर गौरव की अनुभूति जगाने का काम भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार लोगों को अंगदान/देहदान के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके लिए उन्होंने अंगदान करनेवाले लोगों के परिवारों से बात की। अपने आत्मीयजनों के अंगदान करनेवाले लोगों के पवित्र भाव समाज के सामने आएं और अन्य लोग भी संकोच छोड़कर अंगदान से जुड़ें, इस दिशा में यह चर्चा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हम जानते हैं कि भारत में अधिकतर लोग अपने परिजनों के निधन पर परंपरागत रीति-रिवाज के साथ ही उनको अंतिम विदाई देना चाहते हैं। यह एक बंधन है जिसके कारण अनेक लोग चाहकर भी देहदान के लिए आगे नहीं आ पा रहे हैं। जबकि अंगदान इतना अधिक पुण्य का कार्य है कि एक देह से कई लोगों का जीवन बच सकता है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी कि “आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के इस दौर में अंगदान किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है। कहते हैं, जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे आठ-नौ लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है। संतोष की बात है कि आज देश में अंगदान के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। वर्ष 2013 में हमारे देश में अंगदान के पांच हजार से भी कम मामले थे, लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर पंद्रह हजार से अधिक हो गई है। अंगदान करने वाले व्यक्तियों ने, उनके परिवार ने, वाकई बहुत पुण्य का काम किया है”। किसी को नया जीवन देना निश्चित ही सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। हमें सोचना चाहिए कि जब हम चलें जाएंगे, तब यदि किसी का जीवन बचाने में हमारे शरीर के अंग उपयोगी हो जाएं, तो इससे अच्छी बात क्या होगी? यानी हम इस दुनिया से जाकर भी यहाँ किसी के जीवन में सांस ले रहे होंगे। यही अच्छा संकेत है कि अंगदान करनेवाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। यानी अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इस गति को और बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें अपने मोह के बंधनों को तोड़कर आगे आना होगा। हमें उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए, जो किसी एक अंग की प्रतीक्षा में जीते-जी मृत समान अस्पताल में पड़े हैं। अंगदान की प्रवृत्ति बढ़ जाए तो ऐसे अनेक लोगों को नया जीवन मिल सकता है। एक और कड़वा सच हमें स्वीकार करना चाहिए कि अंगदान का प्रतिशत कम होने से इस क्षेत्र में संगठित अपराध भी है। यानी आपराधिक ढंग से मानव शरीर के अंगों का लेन-देन होता है। यदि अंगदान का प्रतिशत बढ़ जाए तो यह अपराध भी रुक सकेगा। अंगदान को प्रोत्साहन देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तरह सामाजिक नेतृत्व को भी सकारात्मक वातावरण बनाना चाहिए। वहीं, केंद्र सरकार को भी अंगदान को प्रोत्साहन देनेवाली योजनाएं एवं व्यवस्थाएं बनानी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ओर संकेत किया है कि सरकार इस दिशा में कुछ पहल करनेवाली है। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करनी चाहिए कि राजनीति से इतर भी वे सामाजिक जागरण के लिए पहल करते हैं।
40