कर्नाटक में हिन्दू विरोध एवं बदले की राजनीति की आहट सुनायी देने लगी है। जैसे ही कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला, उसके बाद से वहाँ के कांग्रेसी नेताओं ने गोहत्या और हिजाब सहित अन्य विषयों पर बयानबाजी शुरू कर दी। संदिग्ध गतिविधियों के लिए विवादित अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी कर्नाटक की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार के सामने ऐसे सुझाव/माँग प्रस्तुत कर दीं, जो सीधेतौर पर हिन्दू विरोधी मानसिकता की ओर संकेत करती है। बहरहाल, अब इस शृखंला में स्कूली पाठ्यक्रम बदलने का विवाद भी जुड़ गया है। कांग्रेस सरकार के मंत्री दिनेश गुंडुराव ने कहा है कि सिद्धारमैया सरकार पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई पाठ्यपुस्तकों से कुछ पाठों को हटाएगी। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार से जुड़ी सामग्री भी शामिल है। कांग्रेस के इस रवैये को क्या वैचारिक असहिष्णुता नहीं माना जाना चाहिए? कर्नाटक की जनता को विभिन्न प्रकार के सब्जबाग दिखाकर सत्ता में आई कांग्रेस की प्राथमिकता भाजपा सरकार के उन सब निर्णयों को पलटना है, जो हिन्दुओं को ध्यान में रखकर लिए गए थे। कांग्रेस पर अकसर यह आरोप लगते हैं कि उसने भारत के नायकों को वह स्थान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। कांग्रेस ने पाठ्यपुस्तकों से लेकर अन्य स्थानों पर केवल गांधी-नेहरू परिवार का महिमामंडन किया। क्या भारत का इतिहास केवल गांधी-नेहरू परिवार तक सीमित है? क्या बच्चों को दूसरे महापुरुषों के बारे में नहीं पढ़ना चाहिए, जिन्होंने अपना सर्वस्व देश-समाज की सेवा में समर्पित कर दिया और बदले में किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं किया। कितने ही नायक हैं, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया लेकिन उन्होंने और उनके परिवारों ने कभी सरकार में अपनी भूमिका की माँग नहीं की। कांग्रेस की मानसिकता को समझिए कि बच्चों को तानाशाही लेनिन, स्टॉलिन, माओ और मार्क्स तो पढ़ाए जाते हैं, लेकिन भारतीय विचार को पोषित करनेवाले महापुरुष एवं चिंतक को पाठ्यक्रमों से दूर रखा जाता है। या फिर बहुत चालाकी से उनके बारे में भ्रामक एवं नकारात्मक टिप्पणियां विभिन्न पाठों के मध्य शामिल कर दी जाती हैं। पाठ्यक्रम बदलने के इस विवाद में कांग्रेस के कई नेता जन्मजात देशभक्त डॉ. केशल हेडगेवार संबंध में घृणा से भरी मूर्खतापूर्ण टिप्पणियां कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं को इतिहास का थोड़ा अध्ययन करना चाहिए ताकि उन्हें ध्यान आ सके कि हेडगेवार कौन थे और उनका व्यक्तित्व कितना महान था।संघ के संस्थापक सरसंघचालक डॉ. केशव हेडगेवार ने अपने जीवन की चिंता न करते हुए अपना सबकुछ देश की स्वतंत्रता एवं उसको सशक्त करने के लिए लगा दिया। अपने इस ध्येय की साधना के लिए प्रारंभ में उन्होंने कांग्रेस में रहकर बहुत काम किया। एक दूरदृष्टा की तरह भविष्य की चुनौतियों को देखकर उन्होंने सक्रिय राजनीति से स्वयं को अलग करके राष्ट्रीय विचार से अभिभूत संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ’ की स्थापना की। उनका संपूर्ण जीवन का अध्ययन करेंगे, तो उनके प्रति मन श्रद्धा से भर उठेगा। ऐसे महान व्यक्ति को पाठ्यक्रम से हटाने का निर्णय यदि कांग्रेस ले रही है, तब यह उसकी संकीर्ण और असहिष्णु मानसिकता को ही प्रदर्शित करता है। वैसे स्मरण रखें कि कांग्रेस जब पिछली बार मध्यमप्रदेश में भी सत्ता में आई थी, तब यहाँ भी उसने पाठ्यक्रम बदलने के प्रयास शुरू कर दिए थे।
116