कांग्रेस द्वारा अपने गठबंधन का नाम संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की जगह ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलाइंस’ (आईएनडीआईए) रखने के पीछे की मानसिकता एवं रणनीति अब खुलकर सामने आ गई है। भारतीयता विरोधी होने के आरोपों का सामना कर रहे विपक्षी दलों ने अपनी छवि बचाने और अपने आलोचकों को भारत विरोधी घोषित करने की नयी तरकीब के तौर पर अपने गठबंधन के नाम ‘आईएनडीआईए’ का दुरुपयोग शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि जैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि “जो लोग सत्ता चाहते हैं और देश को तोड़ना चाहते हैं। वे ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे नाम रख रहे हैं। इनमें भी इंडिया आता है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) में भी इंडिया नाम आता है, लेकिन देश का नाम इस्तेमाल करने से लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता”। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस सहित इस गठबंधन में शामिल दलों को आईना दिखाने का काम किया है लेकिन उन्हें तो सच स्वीकार ही नहीं करना है। इसलिए उन्होंने एक सुर में यह कहना शुरू कर दिया कि प्रधानमंत्री विपक्षी दलों का विरोध करते-करते अब इंडिया का भी विरोध करने लगे हैं। यह ठीक वही तर्क है, जो कांग्रेस को समझाइश देते समय देश का प्रबुद्ध वर्ग रखता है कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रति इतनी घृणा और नफरत भी ठीक नहीं कि विरोध करते-करते कांग्रेस भारत का ही विरोध करने लग जाए। विदेशी धरती से जिस प्रकार की बातें राहुल गांधी ने अपने पिछले विदेशी दौरे के दौरान कही थीं, उन बातों को बहुसंख्यक लोगों ने भारत के संविधान एवं लोकतंत्र के विरुद्ध माना था। बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने आईएनडीआईए गठबंधन के नामकरण पर की गई अपनी इसी टिप्पणी में स्पष्ट कहा है कि देश के नाम का उपयोग करके लोगों को भ्रमित नहीं किया जा सकता। इसलिए दिशाहीन विपक्ष जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी को ‘इंडिया विरोधी’ ठहराने की कोशिश कर रहा है, उससे प्रधानमंत्री की बात ही सच साबित होती दिख रही है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी कह रहे हैं कि मिस्टर मोदी आप कुछ भी कहें, हम ‘इंडिया’ ही हैं। कांग्रेस के नेताओं को अकसर यह भ्रम हो जाता है कि वे ही इंडिया हैं। ऐसा भ्रम राहुल गांधी की दादी एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी लोगों को भी हुआ था, जिन्होंने यह कहना शुरू कर दिया था कि ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’, लेकिन परिणाम क्या हुआ, जनता ने इस अधिनायकवादी विचार को नकार दिया। देश की जनता को पता है कि उनका ‘भारत’ कौन है? हाय-तौबा मचा रहे विपक्षी दलों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि देश का नाम इस्तेमाल करके कोई भी लोगों को भ्रमित नहीं कर सकता। यह बात सभी संगठनों एवं समूहों पर बराबर लागू होती है। कांग्रेस और उसके गठबंधन में शामिल दलों को भले ही यह भ्रम हो कि अपने गठबंधन को ‘इंडिया’ कहकर वे जनता को उलझा देंगे, लेकिन देश की जनता इतनी समझदार है कि उसे पता है कि यह देश के नाम का दुरुपयोग करना है। देश की जनता यह भी जानती है कि आईएनडीआईए की आलोचना, इंडिया की आलोचना नहीं है। इसलिए अपने आलोचकों को इंडिया विरोधी ठहराने के सभी प्रयास विफल ही साबित होने हैं अपितु इंडिया नाम का अधिक दुरुपयोग देखकर देश की जनता में इस गठबंधन के दलों के प्रति और अधिक नाराजगी बढ़ सकती है।
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