बेटियों को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सदैव से संवेदनशील रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद से शिवराज सिंह चौहान ने बेटियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं एवं जागरूकता अभियान चलाए हैं। बेटियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता एवं जिम्मेदारी के भाव ने उन्हें ‘मामा’ के रिश्ते से सुशोभित किया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि इस उपाख्य और रिश्ते की जवाबदेही को ईमानदारी से निभाने का प्रयास मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करते हैं। जब वे मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले ‘बेटी बचाओ’ अभियान की शुरुआत की और उसके साथ ही बेटियों को सशक्त बनाने के लिए ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ भी प्रारंभ की। इन प्रयासों के सुखद परिणाम मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहे हैं। जनगणना-2001 और 2011 के आंकड़ों की तुलना करने पर ध्यान आता है कि मध्यप्रदेश में लिंगानुपात में 12 प्रतिशत से अधिक सुधार आया है। जनगणना-2021 के अनुमानित आंकड़ों की माने तो मध्यप्रदेश में प्रति हजार लड़कों पर अब लड़कियों की संख्या 956 हो गई है। इन अभियानों के सकारात्मक परिणामों को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ’ अभियान को और विस्तार दिया। उन्होंने समूचे देश में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के साथ समाज में बेटियों के प्रति जागरूकता लाने के प्रयास किए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी महत्वपूर्ण एवं लोककल्याणकारी योजना के दूसरे चरण ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0’ की शुरुआत की है। इसके लिए उन्होंने बेटियों की उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशि का वितरण किया। बेटियों को समर्पित लाड़ली पोषण वाटिका की स्थापना की और उनके नाम पर भोपाल की स्मार्ट रोड का नामकरण किया- लाड़ली लक्ष्मी पथ। यह अपने आप में अनूठी और अभिनव पहल है। इससे पहले बेटियों के लिए इस तरह किसी सड़क का नामकरण नहीं किया गया था। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि प्रत्येक जिले की एक सड़क लाड़ली लक्ष्मी पथ के तौर पर पहचानी जाएगी। हमने देखा है कि विभिन्न सड़कों के नाम महापुरुषों एवं नेताओं के नाम पर रखे जाते हैं। ताकि उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जा सके और उनके जीवन से हम प्रेरणा ले सकें। मध्यप्रदेश के ‘लाड़ली लक्ष्मी पथ’ भी हमें न केवल अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराएंगे अपितु बेटियों के प्रति एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण भी करेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि ये पथ बेटियों के जीवन में और अधिक रोशनी लेकर आएं। हमारा समाज और अधिक जिम्मेदार बने और बेटियों की उन्नति में बाधक नहीं बल्कि सहयोगी बने। बेटियों के साथ होनेवाले अपराधों में कमी आए। मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु समूचे देश के सभी रास्ते ऐसे बनें, जिन पर बेटियां निर्भय होकर अपने सपनों को पूरा करने के लिए चल पाएं।
