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न्याय यात्रा, कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन

कांग्रेस के मुख्य नेता राहुल गांधी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ‘भारत न्याय यात्रा’ पर निकलेंगे। इससे पूर्व उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकाली थी। उस यात्रा के बाद से कांग्रेस के भीतर यह मानस बना है कि इस प्रकार की राजनीतिक यात्रा से पार्टी को उसका जनाधार वापस मिल रहा है और राहुल गांधी की छवि भी एक जमीनी नेता के तौर पर स्थापित हो रही है। हालांकि, धरातल पर यह दिखायी नहीं देता है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का कोई लाभ नहीं मिला। बहरहाल, कांग्रेस 14 जनवरी से भारत न्याय यात्रा शुरू करेगी, जो मणिपुर से मुंबई तक लगभग छह हजार किमी से अधिक दूरी तय होगी। यह यात्रा जिन राज्यों से होकर गुजरेगी, वहां से लोकसभा की 355 सीटें आती हैं। राहुल गांधी इस बार जिन राज्यों से होकर गुजरेंगे उनमें से अधिकांश राज्य ऐसे हैं जहां विपक्षी गठबंधन के भीतर सीटों के तालमेल को लेकर सवाल हैं। इसमें बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र प्रमुख, उत्तरप्रदेश रूप से शामिल हैं। यात्रा के पहले या बीच सीटों के बंटवारे की बात तय होती या नहीं, दोनों ही सूरत में यह देखने वाली बात होगी कि विपक्ष के दूसरे साथी इस यात्रा को कैसे देखते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले भारत न्याय यात्रा के माध्यम से कांग्रेस इन सीटों पर बढ़त लेना चाहती है। फिलहाल तो इन सीटों पर उसका मुकाबला भाजपा से नहीं अपितु विपक्षी गठबंधन में शामिल अपने सहयोगी दलों से ही है। विपक्षी गठबंधन में इस बात की प्रतिस्पर्धा चल रही है कि किस राज्य में किसको अधिक सीटें मिलेंगी? अब चूँकि विधानसभा चुनावों में करारी पराजय के बाद विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हो गई है। क्षेत्रीय राजनीतिक दल उस पर हावी हो रहे हैं। क्षेत्रीय दल कांग्रेस को अधिक सीटें देना नहीं चाह रहे हैं। बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने आपस में सीटों पर सहमति बना ली है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दो-चार सीटें छोड़कर सभी सीटों पर अपना दावा करके बैठी हैं। यही स्थिति उत्तरप्रदेश में है। वहाँ समाजवादी पार्टी कांग्रेस को चार-छह सीट से ज्यादा देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में भारत न्याय यात्रा के माध्यम से एक बार फिर कांग्रेस सहयोगी दलों को अपनी ताकत एवं अखिल भारतीय स्वरूप को दिखाना चाहती है। अपनी स्थिति को मजबूत करने और लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बरक्स राहुल गांधी को विपक्षी नेता के तौर पर स्थापित करने के प्रयासों के तौर पर ही कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा को राजनीतिक पंडित देख रहे हैं। इसलिए इस यात्रा पर विपक्षी गठबंधन ‘आईएनडीआईए’ के साथियों की भी नजर रहेगी। कांग्रेस ने भारत न्याय यात्रा को मणिपुर से शुरू करके एक संदेश देने का प्रयास किया है कि उनके नेता राहुल गांधी उस राज्य से अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं, जहाँ पिछले कुछ समय से स्थितियां सामान्य नहीं हैं। कांग्रेस के नेता यह कह भी रहे हैं कि जहाँ प्रधानमंत्री मोदी नहीं गए, वहाँ उनके नेता राहुल गांधी जा रहे हैं। परंतु जब भाजपा एवं नागरिक समुदाय की ओर से यह पूछा जा रहा है कि राहुल गांधी अपनी यात्रा अरुणाचल प्रदेश से क्यों शुरू नहीं कर रहे हैं? तब कांग्रेस निरुत्तर है। यह प्रश्न तो उठेगा कि यात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर आएगी, तब सबसे पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश को कांग्रेस ने क्यों छोड़ दिया? बहरहाल, कांग्रेस के नेता उम्मीद कर रहे हैं कि विधानसभा चुनावों में मिली पराजय से हतोत्साहित कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव से पूर्व नयी ऊर्जा और उत्साह मिलेगा। देखना होगा कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा कांग्रेस को राजनीतिक लाभ दिला पाती है या यह भी भारत जोड़ो यात्रा की भाँति निष्प्रभावी साबित होगी।

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