काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद स्थित शृंगार गौरी मंदिर मामले में न्यायालय के सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए हैं। अंजुमन-ए-इंतजामिया मस्जिद कमेटी न्यायालय के इस आदेश का विरोध कर रही है। उनका विरोध केवल विरोध तक सीमित नहीं है अपितु यह विरोध धमकी जैसा है। ‘हम मस्जिद में वीडियोग्राफी नहीं होने देंगे। यदि किसी ने जबरदस्ती घुसने की कोशिश की तो अशांति फैल जाएगीÓ। इस तरह की बयानबाजी आखिर किसलिए? ऐसा क्या सच है जिसे मुस्लिम समुदाय छिपाना चाहता है? अगर सब बातें सही और पारदर्शी हैं, तब सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी का विरोध क्यों किया जा रहा है? दरअसल, मुस्लिम समुदाय को पता है कि ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दू मंदिर को तोड़कर ही बनाई गई है। यदि शृंगार गौरी मंदिर के मामले में मस्जिद के भीतर सर्वे और वीडियोग्राफी हो गई तो वर्षों से छिपाया हुआ सच सामने आ जाएगा। जब न्यायालय के सामने तथ्य सामने आएंगे, तब संभव है कि जैसे आक्रांता के नाम पर स्थापित बाबरी का सच सामने आ गया, वैसे ही ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सामने आ जाएगा। दरबारी इतिहासकारों के अनेक धतकर्मों के बाद भी यह सच छिप नहीं सका कि क्रूर और धर्मांध शासक औरंगजेब ने भारत के अन्य प्रमुख मंदिरों सहित काशी के विश्वनाथ मंदिर को भी ध्वस्त किया था। हिन्दुओं का अपमान करने की दृष्टि से मंदिर के एक हिस्से पर जबरन मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया था। यह ढांचा आज भी हिन्दू समाज को मुंह चिढ़ाता है। अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तरह मथुरा का श्रीकृष्ण मंदिर और काशी का श्री विश्वनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था के प्रमुख मान बिन्दू रहे हैं। तीनों ही प्रमुख स्थानों पर आक्रांताओं एवं धर्मान्ध शासकों ने हमले किए। यह हमले राजनीतिक नहीं अपितु सांस्कृतिक थे। आस्था के साथ-साथ स्वाभिमान को रौंधने की दृष्टि से यह हमले किए गए। यही कारण है कि मंदिरों को केवल नुकसान नहीं पहुंचाया गया अपितु सदैव के लिए वहाँ मस्जिद नुमा ढांचे खड़े कर दिए गए। सच तो यह है कि इस्लाम के अनुसार ऐसे स्थान मस्जिद हो नहीं सकते, जो विवाद का कारण हों या फिर किन्हीं अन्य धार्मिक स्थलों को नष्ट करके उनका निर्माण किया गया हो। उल्लेखनीय है कि अयोध्या की तरह मथुरा और काशी से जुड़े मामले भी न्यायालय में विचाराधीन हैं। श्रीराम मंदिर की भाँति यदि इन स्थानों के भी तथ्य सामने आते हैं, तब सबकुछ पानी की तरह साफ हो जाएगा। इसलिए ही मुस्लिम समुदाय ज्ञानवापी में सर्वे और वीडियोग्राफी का विरोध कर रहा है। सही मायने में इसे रोकने के लिए प्रशासन और शेष समाज को धमकी दे रहा है। मुस्लिम समुदाय का व्यवहार यह समझाने के लिए पर्याप्त है कि उनके लिए न्यायालय का आदेश भी कुछ नहीं। लोकतांत्रिक देश में इस प्रकार की प्रवृत्ति एवं मानसिकता ठीक नहीं। प्रशासन सुनिश्चित करे कि हर हाल में न्यायालय के आदेश का पालन हो।
