इजरायल पर हुए आतंकी हमले ने सबको दहला कर रख दिया है। जिस तरह की नृशंसता और वहशीपन के वीडियो सामने आ रहे हैं, उनको देखकर कोई भी भला व्यक्ति फिलिस्तीन के साथ खड़ा नहीं हो सकता। परंतु जो लोग इस सबके बाद भी फिलिस्तीन और हमास के साथ खड़े हैं, उनकी मानसिकता को समझना कठिन नहीं है। ये लोग मानवता के विरोधी हैं। इनकी संवेदनाएं झूठी और बनावटी हैं। ये संवेदनाओं का उपयोग विरोधी विचार पर हमला करने के लिए करते हैं। एक तरह से इन्हें बौद्धिक आतंकवादी कहा जा सकता है। इससे यह भी ध्यान आता है कि ऐसी ही बर्बरता यहूदियों के साथ इतिहास के उस कालखंड में की गई होगी, जब उन्हें इजरायल से बेदखल किया गया। हमास के आतंकी जिस बर्बरता से इजरायल की महिलाओं एवं महिला सैनिकों के साथ पेश आ रहे हैं, उसकी एक सुर में भर्त्सना ही की जा सकती है। हमास के आतंकी हमले की निंदा दुनिया भर में हो रही है। भारत भी इस कठिन समय में अपने मित्र इजरायल के साथ खुलकर खड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (ट्विटर) पर इजरायल के नाम संदेश लिखा और कहा कि भारत इस मुश्किल समय में इजरायल के साथ है। इस पर इजरायल के राजनयिक ने भारत के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है। याद रखें कि कोई और सरकार होती तो मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण इजरायल का समर्थन करने में संकोच करती। उसे हमास के आतंकियों की बर्बरता दिखाई नहीं देती। तब भारत फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संतुलन बिठाने के ही प्रयत्न करता। परंतु भारत की वर्तमान सरकार आतंकवाद पर स्पष्ट विचार रखती है। यदि भारत ही आतंकवाद को देखने में भेद करेगा तो आतंकवाद पर दुनिया की एक राय बन ही नहीं पाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार स्पष्ट किया है कि भारत किसी किस्म का आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा। जिस तरह का यह हमला हुआ है, वह चिंताजनक है। हमास एक आतंकवादी समूह है। जमीन से लेकर हवा तक एक आतंकी समूह के पास जिस तरह का सामर्थ्य आ गया है, वह दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। इस तरह यदि सभी देश अपने विरोधी देश के खिलाफ आतंकी संगठनों को खड़ा करने लगेंगे तो स्थितियां भयावह हो जाएंगी। भारत इस बात को अच्छी तरह समझता है क्योंकि उसका पड़ोसी देश पाकिस्तान इसी नीति पर चल रहा है। पाकिस्तान ने आतंकी समूहों को मजबूत किया और उनका उपयोग भारत को क्षति पहुंचाने के लिए किया है। जब से देश में दृढ़ इच्छाशक्ति की सरकार बनी है, तब से अवश्य ही पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है। राज्य पोषित आतंकवाद के खतरे को भली प्रकार जानने के कारण ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत इसकी निंदा ही नहीं करता है, बल्कि स्पष्ट तरीके से इजरायल के साथ खड़ा है। बहरहाल, एक बार सोशल मीडिया पर सरसरी नजर डालें तो ही यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में तथाकथित सेकुलर, कम्युनिस्ट और इस्लामिस्ट पूरी निर्लज्जता के साथ हमास के आतंकी हमले को सही सिद्ध करने की धूर्तता कर रहे हैं। इतना भी वैचारिक विरोध नहीं होना चाहिए कि विरोध के लिए मानवता के खिलाफ खड़े हो जाएं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या कम है। भारत की बहुसंख्यक जनसंख्या तो मित्र देश इजरायल के साथ ही खड़ी है।
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