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किसके वादों में कितना दम

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब कांग्रेस और भाजपा, दोनों के चुनावी वादे जनता के सामने हैं। कांग्रेस ने जहाँ ‘वचन पत्र’ नाम से अपना घोषणा-पत्र जारी किया था। वहीं, भाजपा ने ‘संकल्प पत्र’ के माध्यम से अपनी चुनावी वादों को जनता के सामने रखा है। छोटी दीपावली के शुभ अवसर पर भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें उसने जन आकांक्षाओं का ध्यान रखने का यथासंभव प्रयास किया है। जनता की जिस प्रकार की अपेक्षाएं सामने आ रही हैं, भाजपा ने उन सबको ध्यान में रखा है। भाजपा ने समाज के अंतिम छोर में रहने वाले लोगों की जन आकाक्षाओं को एकत्रित किया। 52 जिलों में घोषणा पत्र के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन किया। अलग-अलग राज्य के घोषणा पत्रों का भी अध्ययन किया। भाजपा का दावा है कि उसे 7 लाख लोगों के सुझाव मिले हैं। यही कारण है कि भाजपा के घोषणा पत्र में महिलाओं, युवाओं, किसानों और व्यापारियों के हितों की साफ दिखाई दे रही है। भाजपा और कांग्रेस के घोषणा-पत्रों की यदि तुलना की जाए, तो भाजपा कहीं आगे खड़ी दिखायी देती है। यही कारण रहा होगा कि कांग्रेस की ओर से प्रमुख चेहरे कमल नाथ को स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आमदनी बढ़ाने की अतिरिक्त घोषणा करनी पड़ी है। याद हो कि मध्यप्रदेश में भाजपा के प्रमुख चेहरे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता महिलाओं में अत्यधिक है। अपने 18 वर्षों के शासन में उन्होंने स्त्री सशक्तिकरण के लिए जितना काम किया है, उतना उससे पहले किसी सरकार या मुख्यमंत्री ने नहीं किया। मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से उन्होंने बेटियों के प्रति एक सकारात्मक वातावरण बनाया और अब लाड़ली बहना योजना से महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबी बनाने की दिशा में ठोस पहल की है। कांग्रेस को भी यह बात समझ में आ रही है कि प्रदेश की महिलाओं के बीच शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के प्रति ‘अंडर करंट’ है, जो अप्रत्याशित रूप से भाजपा के पक्ष में मतदान करा सकता है। यदि महिलाओं का साथ भाजपा को मिलता है तो वह सब प्रकार के पूर्वानुमानों को ध्वस्त करके प्रचंड जीत के रूप में दिखाई देगा। बहरहाल, बीते समय में चुनावी घोषणा पत्रों के संदर्भ में यह धारणा भी बन गई थी कि ये तो चुनावी वादे हैं, इनका क्या है? ये सिर्फ लुभाने के लिए किए जाते हैं। पिछली बार कांग्रेस ने भी अनेक घोषणाएं की थीं और सरकार बनते ही सभी घोषणाओं पर अमल का वादा भी किया था, लेकिन कमल नाथ की सरकार न तो किसानों का ऋण माफ कर पाई और न ही युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दे सकी। वहीं, चुनावी घोषणाओं को पूरा करने में भाजपा की स्थिति बहुत बेहतर है। भाजपा ने अनुच्छेद–370 से लेकर राम मंदिर के निर्माण जैसे असंभव वादों को भी पूरा किया है। इन मुद्दों पर कांग्रेस के बड़े नेता भी भाजपा के कार्यकर्ताओं का मजाक बनाते हुए प्रश्न करते थे कि “मंदिर वहीं बनाओगे लेकिन तारीख नहीं बताओगे”। भाजपा ने न केवल हिंदू समाज की वर्षों की आकांक्षा को पूरा किया है, बल्कि उसने यह भी सिद्ध किया है कि घोषणा पत्र में किए गए वादे केवल चुनाव जीतने के लिए नहीं है। भाजपा अपने वादों को अपना संकल्प बताती है। ‘मोदी की गारंटी’ के आधार पर भी भाजपा यह दावा कर रही है कि ये वादे पूरे होंगे। और इस सच से कौन इनकार कर सकता है कि ‘मोदी की गारंटी’ पर जनता को शत प्रतिशत विश्वास है।

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