कांग्रेस के नेतृत्व में बने आईएनडीआईए गठबंधन के नेताओं की ओर से सनातन के विरुद्ध एक के बाद एक नफरती टिप्पणियों एवं यूरोप की यात्रा पर गए राहुल गांधी द्वारा हिन्दुत्व पर विवादास्पद टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी हमलावर हो गई है। वैसे तो भारत के सामान्य लोग भी सनातन और हिन्दुत्व को लेकर की गई नकारात्मक टिप्पणियों को लेकर अपना आक्रोश व्यक्त कर ही रहे थे परंतु अब भाजपा की ओर से भी कांग्रेस को हिन्दुत्व के अपमान पर घेरा जाएगा, इस बात के पूरे संकेत मिल रहे हैं। यह जानना भी रोचक है कि भाजपा को इस मामले में खुद राहुल गांधी ने खींच लिया है। अपनी यूरोप यात्रा के दौरान भाजपा की राजनीति एवं हिन्दुत्व पर बात करते हुए राहुल गांधी ने दावा किया कि उन्होंने गीता, उपनिषद और अन्य हिंदू पुस्तकें पढ़ी हैं, जिनके आधार पर वे कहते हैं कि भाजपा जो करती है, उसमें कुछ भी हिंदू नहीं है। ये बीजेपी के लोग हिंदू राष्ट्रवादी नहीं हैं। उनका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। वे सत्ता पाने के लिए कुछ भी करते हैं। वे कुछ लोगों पर अपना प्रभुत्व दिखाना चाहते हैं। इसमें कुछ भी हिंदू से संबंधित नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि “मैंने कभी किसी हिंदू किताब में नहीं पढ़ा कि आपको लोगों को आतंकित करना चाहिए या कमजोर लोगों को नुकसान पहुंचाना चाहिए। भाजपा की नीति के तहत 20 करोड़ लोग असहज महसूस कर रहे हैं। इनमें सिख समुदाय भी है”। राहुल गांधी ने जो कुछ कहा, वह सब गोल-मोल है। उसमें कुछ भी स्पष्टता दिखायी नहीं देती है। आखिर भाजपा क्या कर रही है, जो हिन्दुत्व नहीं है? हिन्दुत्व के हितैषी बनने की कोशिश कर रहे राहुल गांधी को बताना चाहिए कि प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर बन रहे भव्य-दिव्य मंदिर का कार्य हिन्दू धर्म के अनुसार है या नहीं? देश की जनता जानती है कि आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर बन पा रहा है तो उसके पीछे भाजपा का संकल्प है, संघर्ष और बलिदान है। कांग्रेस ने तो इस मामले को लटका कर ही रखा अपितु श्रीराम मंदिर के निर्माण की बात करनेवालों का उपहास ही उड़ाया। भाजपा के आने के बाद से समूचे देश में हिन्दू संस्कृति का गौरव बढ़ा है और उसके मान बिन्दुओं की प्रतिष्ठा बढ़ी है। काशी में विश्वनाथ मंदिर का विस्तार हिन्दू हित की श्रेणी में आएगा या नहीं? अभी जी-20 जैसे वैश्विक आयोजन में हिन्दू संस्कृति को प्रतिष्ठित करना हिन्दुत्व का सम्मान करना माना जाएगा या नहीं? राहुल गांधी यह भी बताएं कि उनकी सरकार ने ऐसे कौन से कार्य किए, जिनसे यह ध्यान आए कि कांग्रेस हिन्दुओं के हितों की चिंता करनेवाली पार्टी है। मुगल आक्रमणों में ध्वस्त हुए सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को शामिल होने से रोकने के प्रयास किसने किए, यह भी एक बार राहुल गांधी को पढ़ लेना चाहिए। यह भी राहुल गांधी के मन की कपोल कल्पना है कि भारत में कमजोर लोगों को आतंकिया किया जा रहा हो या फिर सिखों सहित 20 करोड़ लोग असहज महसूस कर रहे हों। एक बार उन्हें कांग्रेस का इतिहास देखना चाहिए कि कैसे उनकी शासन व्यवस्था में निर्दोष सिखों का नरसंहार किया गया, बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया था। भारत के माथे पर लगे उस कलंक को कोई कैसे भूल सकता है। यह सब प्रश्न भाजपा के साथ देश की सामान्य जनता भी सोशल मीडिया पर पूछ रही है। कांग्रेस से यह भी पूछा जा रहा है कि उसके सहयोगियों की ओर से सनातन को समाप्त करने के लिए जो आह्वान किया जा रहा है, उस पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का क्या मत है? सनातन के विरुद्ध यह नफरत है या नीति? अगर राहुल गांधी ने गीता, उपनिषद और हिन्दू ग्रंथ पढ़े हैं, तब उन्हें यह भी पता होगा कि उनके सहयोगी सनातन के संबंध में आधारहीन बातें करके लोगों को भड़काना चाह रहे हैं। ऐसे सनातन विरोधियों की भर्त्सना कर कांग्रेस उनसे दूरी क्यों नहीं बनाती? बहरहाल, भाजपा ने जिस तरह आक्रामक ढंग से पत्रकारवार्ता का आयोजन करके हिन्दुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है, उससे साफ है कि भाजपा इस मुद्दे पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी।
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