आज दो राज्यों, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थापना दिवस है। संयोग है कि दोनों ही राज्यों में राज्य सरकार के निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। मध्यप्रदेश की जनता 17 नवंबर को और छत्तीसगढ़ की जनता दो चरणों में 7 एवं 17 नवंबर को राज्य की सरकार चुनने के लिए मतदान करेगी। यह तथ्य हम सब जानते हैं कि लोकतंत्र में मतदान का बहुत महत्व है। पाँच वर्षों में जनता के पास सरकार चुनने का अवसर आता है। ऐसे में जनता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। मतदाताओं को यह विचार करना चाहिए कि उसे लोक लुभावनी घोषणाओं और जाति एवं अन्य छोटे विचारों में उलझना है या फिर समूचे प्रदेश के भविष्य को ध्यान में रखकर मतदान करना है। याद रखें कि हमारे वोट से चुनी गई सरकार के हाथ में ही हमारा और प्रदेश का भविष्य छिपा हुआ है। दोनों ही राज्यों के बारे में विचार करें तो ध्यान आता है कि 15-20 वर्ष पहले बुनियादी सुविधाओं, यथा- सड़क, बिजली और पानी की उपलब्धता की क्या स्थिति थी? रोजगार का संकट कितना व्यापक था? विकास और आधारभूत सरंरचनाओं कहीं दिखायी नहीं देती थीं। गाँव और शहरों के बीच संपर्क की स्थिति विकट थी। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की गिनती देश के पिछड़े राज्यों में होती थी। मध्यप्रदेश पर तो ‘बीमारू राज्य’ का ठप्पा लगा था। वहीं, छत्तीसगढ़ में नक्सल एवं माओवादियों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था। नक्सलियों के कारण राज्य में बड़े उद्योग-धंधे आने के तैयार नहीं थे। नक्सलियों के कारण सरकारों ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में चिकित्सालय और विद्यालय तक बनाने की हिम्मत नहीं दिखायी। जब जनता ने विवेकपूर्ण ढंग से अपने मताधिकार का उपयोग किया और लोक लुभावनी घोषणाओं से इतर उसने प्रदेश के विकास के लिए मतदान किया, तब उसके बाद के परिणाम हमारे सामने हैं। मध्यप्रदेश देश का विकसित राज्य बन गया है। प्रदेश में देशी-विदेशी निवेशक उद्योग लेकर आए हैं, जिसके कारण रोजगार के अवसर बढ़े। मध्यप्रदेश के शहर स्वच्छता इत्यादि प्रतिस्पर्धाओं में प्रथम आ रहे हैं। प्रदेश ने लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड जीतकर स्थापित किया कि कृषि के मामलों में उनकी स्थिति पहले से कई गुना ज्यादा बेहतर हो गयी है। प्रदेश में वर्ष 2003 में जहाँ सिर्फ सात लाख हेक्टेयर के आसपास सिंचित भूमि थी। शिवराज सरकार के प्रयासों से अब यह 45 लाख हेक्टेयर से अधिक है। इसे 2025 तक 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। शिवराज सरकार ने खेती, किसानी के साथ ही स्वरोजगार को बढ़ावा देने के प्रयत्न किए हैं। मध्यप्रदेश में जनहितैषी सरकार थी इसलिए किसानों की आर्थिक स्थिति में सहयोग करने के लिए किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी की। देश में इकलौता मध्यप्रदेश है जहाँ किसानों को छ हजार नहीं अपितु 12 हजार रुपये वार्षिक आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। इसी तरह सरकार ने महिलाओं का आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से लाड़ली बहना योजना शुरू की है। युवाओं को भी बाजार की माँग के अनुरूप कौशल सिखाने की रचना बनायी गई है, जिसमें युवाओं को प्रशिक्षण प्राप्त करने के दौरान भी एक सहयोग राशि मिल रही है। आज जब हम मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थापना दिवस मना रहे होंगे, तब हमें अपने-अपने प्रदेश का सिंहावलोकन करना चाहिए। यह भी संकल्प करना चाहिए कि हम प्रदेश को सशक्त एवं विकसित बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन जिम्मेदारी से करेंगे। अपने प्रदेश के लिए ऐसी सरकार चुनेंगे, जो तुष्टीकरण की राजनीति न करे, जो देश के सांस्कृतिक मूल्यों की संरक्षक हो, जो विकास पर जोर दे। हमारा एक वोट, हमारे और प्रदेश के भविष्य की दिशा को तय करेगा। इसलिए चुनावी वायदों के शोर से हटकर, शांतिपूर्वक विचार करें कि हमारा वोट किसे मिलना चाहिए।
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