भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश की 39 और छत्तीसगढ़ की 21 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करके मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली है। इसी वर्ष नवंबर में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं। हालांकि अभी विधानसभा चुनाव की दिनांकों की घोषणा नहीं हुई है। लगभग दो माह पूर्व टिकटों की घोषणा से राजनीतिक गलियारों में हैरानी देखी जा रही है। यह स्वाभाविक ही है क्योंकि इतने समय पहले टिकटों की घोषणा करना भाजपा की कार्यशैली नहीं रही है। बहरहाल, दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। यह कदम उठाकर भाजपा ने कई प्रकार से संदेश देने का काम किया है। भाजपा यह बताना चाहती है कि उसकी तैयारी पक्की है। वह पूरी दमखम से, अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय हो चुकी है। दूसरी बात, भाजपा हारी हुई सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। यदि कांग्रेस के कब्जे की इन सीटों पर भाजपा को अपेक्षित सफलता मिलती है तब उसके लिए आगे की राह सरल हो जाएगी। 39 में से कई सीट ऐसी हैं, जहाँ लंबे समय से भाजपा का प्रत्याशी नहीं जीता है। इसके साथ कुछ ऐसी सीटें भी हैं, जिन पिछली बार ही भाजपा के हाथ से फिसली थी, लेकिन यदि उन पर ढील छोड़ दी जाए, तो उनका वापस जीतना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा के इस कदम को इसलिए अच्छा बताया जा रहा है क्योंकि अब घोषित उम्मीदवारों को विधानसभा क्षेत्र में संपर्क करने, अपना प्रबंधन जमाने और प्रतिस्पद्धी भाजपा नेताओं के साथ सामंजस्य बैठाने में सहयोग मिलेगा। पार्टी को भी यह ध्यान में आ जाएगा कि कौन नेता हैं, जा भीतरघात कर सकते हैं। भाजपा के जिम्मेदार नेता या तो उन असंतुष्ट नेताओं को संभाल लेंगे या फिर उनका कोई तोड़ निकालने के लिए भी पार्टी को समय मिल जाएगा। कुल मिलाकर कहना होगा कि कांग्रेस के पंजे से सीटों को निकालकर, उन पर कमल खिलाने का वातावरण बनाने के लिए भाजपा नेताओं को अच्छा-खासा समय मिल गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जिस तरह से मध्यप्रदेश में गृहमंत्री अमित शाह ने लगातार प्रवास किया, उससे भी एक स्पष्ट संदेश गया कि इन राज्यों के चुनाव प्रबंधन की कमान अब सीधे केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में होगी। भाजपा को मनोवैज्ञानिक बढ़त इसलिए भी मिल गई है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में अमित शाह को लेकर यह धारणा बन गई है कि वे जिस राज्य के चुनाव को अपने हाथ में ले लेते हैं, वहाँ भाजपा की विजय सुनिश्चित होती है। मध्यप्रदेश में जब से अमित शाह सक्रिय हुए हैं, कांग्रेसी खेमा थोड़ा हतोत्साहित नजर आया है। एक बार फिर 20 अगस्त को अमित शाह मध्यप्रदेश आ रहे हैं और आगे की तैयारियों को परखेंगे। इस बार मध्यप्रदेश में भाजपा एक और बड़ा प्रयोग करने जा रही है। देशभर से 230 ऐसे विधायकों को मध्यप्रदेश में सक्रिय किया जा रहा है, जो चुनावी प्रबंधन में कुशल हैं। एक-एक विधायक को मध्यप्रदेश की एक-एक सीट की जिम्मेदारी दी जाएगी। ये विधायक स्थानीय प्रत्याशियों एवं संगठन के साथ मिलकर जीत की राह सुनिश्चित करनेवाली योजनाएं बनाएंगे। देखना होगा कि भाजपा यहाँ से किस प्रकार आगे बढ़ेगी और कांग्रेस वापस किस प्रकार मुकाबले में आएगी।
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