मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियों को और तेज कर दिया। पिछले दिनों में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं, जिनसे मध्यप्रदेश भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है। नारी सशक्तिकरण की दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना ‘लाड़ली बहना योजना’ के कारण एक बड़ी जनसंख्या में उत्साह का वातावरण बन गया है। भाजपा सरकार का समर्थन करते हुए महिलाओं को स्पष्टतौर पर देखा जा सकता है। भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव बहुत प्रतिष्ठा का प्रश्न है। इसलिए केंद्र सीधे तौर पर रुचि लेता दिख रहा है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बार कोई कमी नहीं रहने देना चाहता है। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को सह-प्रभारी बनाये जाने से साफ संकेत मिलते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह निर्वाचन से पहले ही चुनावी माहौल को भाजपा के पक्ष में करने के लिए राज्य के नेतृत्व के साथ मिलकर अंजाम देना चाहते हैं। दोनों केंद्रीय मंत्री चुनावी जमावट में सिद्ध हैं। विशेषकर भूपेन्द्र यादव को राजनीतिक जमावट का अच्छा अनुभव है। भाजपा के चाणक्य कहे जानेवाले नेता अमित शाह ने अपने भोपाल प्रवास के दौरान दोनों प्रभारियों के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री, अध्यक्ष, संगठन मंत्री एवं कद्दावर नेताओं के साथ बैठक की है। राजनीति विश्लेषक साफ तौर पर देख पा रहे हैं कि गृहमंत्री विधानसभा चुनाव पर पूरी नजर रखेंगे। देश की वर्तमान राजनीति में चुनावी प्रबंधन में शाह के नजदीक भी कोई दिखायी नहीं देता है। प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अमित शाह की सक्रियता को देखकर निश्चित ही कांग्रेस के खेमे में खलबली तो मच गई होगी। भाजपा को मजबूती देनेवाला एक और घटनाक्रम हुआ विश्व हिन्दू परिषद में लंबे समय तक प्रांतीय एवं केंद्रीय दायित्व पर रहे राजेश तिवारी का सक्रिय राजनीति में आना। उन्होंने कार्यकर्ताओं की भारी उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ली है। देखना होगा कि भाजपा में उनकी भूमिका क्या रहती है? क्योंकि राजेश तिवारी का प्रदेश के प्रत्येक हिस्से में व्यापक संपर्क है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा ऐसा कोई नेता दिखायी नहीं देता है, जिसकी पकड़ प्रदेश के प्रत्येक जिले में हो। अब राजेश तिवारी के रूप में भाजपा को एक और कद्दावर नेता मिल गया है, जो कार्यकर्ताओं के साथ ही जनसामान्य के बीच में उत्साह का संचार कर सकते हैं। राजेश तिवारी के भाजपा में सक्रिय होने से यह भी संकेत मिल रहा है कि विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों के साथ ही हिन्दुत्व के मुद्दों पर भी होंगे। हिन्दुत्व के मुद्दों पर भाजपा का मुकाबला करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। यह बात अवश्य है कि कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने कार्यकाल में कांग्रेस को हिन्दुत्व की ओर मोड़ा है। कांग्रेस कार्यालय में अब हनुमान जयंती के कार्यक्रम होते हुए दिखायी देते हैं। परंतु उनकी समस्या है कि उनके सहयोगी नेता एवं शीर्ष नेतृत्व कभी भी ऐसी हरकत कर देते हैं कि कांग्रेस का हिन्दू प्रेम बनावटी दिखायी देता है। जैसे कर्नाटक में सत्ता में आते ही हिन्दू विरोधी गतिविधियां प्रारंभ हो चुकी हैं। पिछले दिनों प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर तथ्यहीन पोस्ट करके कांग्रेस के विरुद्ध एक नकारात्मक वातावरण बना दिया है। उस प्रकरण में प्रदेशभर में उनके विरुद्ध प्रदर्शन एवं पुलिस प्रकरण दर्ज कराए जा रहे हैं। पिछले दिनों के ये कुछ घटनाक्रम भविष्य के संकेत दे रहे हैं, जो कांग्रेस पर भाजपा की बढ़त को प्रदर्शित करते हैं।
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