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हिंदू धर्म पर बातें नहीं आचरण अपेक्षित

कांग्रेस स्वयं को हिंदू हितैषी सिद्ध करने के लिए यथासंभव प्रयास कर रही है। इसी संदर्भ में राहुल गांधी ने ‘हिंदू धर्म’ पर एक लेख लिखा है, जिसकी खूब चर्चा की जा रही है। याद रहे कि ‘हिंदू विरोधी’ होने की छवि से बाहर निकलने के लिए राहुल गांधी मंदिर–मंदिर परिक्रमा कर चुके हैं और स्वयं को जनेऊधारी ब्राह्मण तक बता चुके हैं। परंतु कांग्रेस के ये सब प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि उसकी ओर से बुनियादी बातों पर विचार ही नहीं किया गया है। केवल राजनीतिक लाभ की दृष्टि से जब प्रयास किए जाएंगे तब उसके सार्थक परिणाम प्राप्त होने की संभावनाएं क्षीण ही रहती हैं। कहते हैं न कि कागज के फूलों से सुगंध नहीं आती। कांग्रेस भी यही कर रही है। राहुल गांधी के लेख का कथ्य अच्छा है लेकिन आम हिंदू समाज में उसकी स्वीकार्यता नहीं है। उसे यह विश्वास ही नहीं कि राहुल गांधी या कांग्रेस हिंदू धर्म को बढ़ावा देने के प्रयास कर सकती है। क्योंकि जब हिंदू धर्म का पक्ष लेने का समय आता है तब कांग्रेस कहीं पीछे छिप जाती है। उस समय देश की जनता को भारतीय जनता पार्टी ही सामने खड़ी दिखाई देती है। यदि वास्तव में कांग्रेस को हिंदू धर्म की चिंता होती तब वह उस समय अपनी सक्रियता दिखाती जब हिंदू धर्म पर हमले होते हैं। अभी पिछले कुछ समय से हिंदू धर्म पर हमले होने शुरू हुए हैं, उसके समूल नाश का आह्वान भी किया गया है लेकिन कांग्रेस ने अभी तक ऐसी ताकतों का विरोध नहीं किया है। बल्कि कांग्रेस ने उनके साथ गठबंधन कर रखा है। देश की जनता भूली नहीं है कि जब जेएनयू में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारे लगाए गए तब उनके साथ खड़े होने के लिए कौन गया था? आज भी जब फिर से जेएनयू में ‘भगवा जलेगा’ और ‘कश्मीर को आजाद करो’ जैसे भारत विरोधी नारे दीवारों पर लिखे गए तो किसी कांग्रेसी नेता ने विरोध नहीं किया है। आज भी भाजपा ही मुखर होकर इस मानसिकता के विरुद्ध खड़ी हुई। कांग्रेस की मानसिकता पर किसी का नाम लिए बिना भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा, ”कुछ लोगों की जिंदगी और राजनीति हिंदू विरोध की धुरी पर टिकी है। वह हिंदू को हीन करने और राम को काल्पनिक सिद्ध करने के लिए तन-मन-धन से समर्पित रहे हैं। आज वह झूठे आवरण में हिंदू-हिंदुत्व का प्रवचन दे रहे हैं। वह यह भूल रहे हैं, यह नया भारत है, जो धार्मिक आक्रांताओं को पहचानता भी है और उन्हें दर्पण दिखाना भी जानता है”। अनुराग ठाकुर ने जो बात तंज में कही, वही विचार मोटे तौर पर अधिकतर हिंदुओं का है। इसलिए हिंदू विरोधी छवि से बाहर निकलने के प्रयासों में कांग्रेस सफल नहीं हो पा रही है। दरअसल, हिंदू धर्म और हिंदुत्व पर लंबे लेख लिखना आसान है, मगर हिंदुत्व को जीवन में उतारना, आचरण में लाना उसे जीना एक चुनावी हिंदू के बस की बात नहीं। राहुल गांधी ने जो बातें कहीं हैं, वे तो सभी हिंदू जानते और मानते हैं। इसलिए केवल ‘हिंदू धर्म’ की परिभाषा देने से हिंदू हितैषी नहीं बना जा सकता है। कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को समझना होगा कि हिंदू धर्म के बारे में बोलने से अधिक आवश्यक है कि जब हिंदू धर्म पर हमले किए जाएं तो वह खुलकर सामने आए। कांग्रेस को चाहिए कि बीते दिनों में जिन राजनीतिक दलों एवं नेताओं ने सनातन पर हमले किए हैं, उनसे दूरी बनाए। उनकी कटु आलोचना करे। उन्हें विपक्षी गठबंधन से बाहर करे। यदि हिंदू समाज को ऐसा होते हुए नहीं दिखेगा, तो उसे हिंदू धर्म पर कांग्रेस के विचारों पर भला क्यों विश्वास होगा।

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