श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के साथ-साथ प्राचीन नगर अयोध्या धाम भी नया रूप ले रहा है। भारत की ‘सांस्कृतिक राजधानी’ के तौर पर अयोध्या धाम को विकसित किया जा रहा है। भारत सरकार और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के प्रयासों से अयोध्या धाम का विकास सांस्कृतिक पक्ष को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। आधुनिकता के साथ प्राचीन छटा का सुंदर संयोजन किया गया है। जब यह सांस्कृतिक राजधानी पूर्ण रूप से विकसित हो जाएगी तो इसके मार्ग, चौराहे, गलियां, भवन एवं मंदिर सब रामराज्य की कहानी सुनाएंगे। श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा उत्सव से पूर्व शनिवार को अयोध्या धाम पहुँचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या के विकास की कई योजनाओं को गति दे दी। 178 परियोजनाओं के माध्यम से एक ही लक्ष्य को साधने की कोशिश की जा रही है कि दुनियाभर में प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या अतुलनीय बने। विश्व के कोने-कोने से श्रद्धालु यहाँ पहुँचे तो भारत की थाती को देखकर दंग रह जाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने 821 एकड़ में बनी 2200 मीटर लंबी और 45 मीटर चौड़े रनवे के साथ अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या धाम का उद्घाटन किया। इस एयरपोर्ट के पहले चरण को 1450 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। अयोध्या धाम विमान पत्तन का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यहाँ पहुंचने पर यात्रियों को भगवान श्रीराम के मंदिर की झलक देखने को मिलेगी। यह अपनी तरह का अनूठा विमानपत्तन है। यहाँ उतरते ही यात्रियों को आभास हो जाएगा कि वे सांस्कृतिक राजधानी में आ गए हैं। यहाँ भगवान श्रीराम के जीवन को दीवारों पर उकेरा गया है विमानपत्तन के भवन का स्थापत्य भी सांस्कृतिक स्वरूप का है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का उपहार भी जनता को सौंपा है। अयोध्या के पुन: विकसित रेलवे स्टेशन में यात्रियों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। हम कह सकते हैं कि विरासत के साथ विकास के मंत्र को साकार करते हुए भारतीय रेलवे ने अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन में विश्व स्तरीय सुविधाएं दी है। विश्व स्तरीय सुविधाओं युक्त इस रेलवे स्टेशन के अलावा अयोध्या से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर को दो अमृत भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई है। अमृत भारत ट्रेन मूल रूप से स्वदेशी तकनीक से बनी है जिसमें यात्रियों को यात्रा के दौरान झटके लगने से छुटकारा मिलेगा। अमृत भारत ट्रेनों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या की पावन भूमि से छह वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की सौगात भी दी है। अयोध्या के इस विकास को देखकर आम लोग भी विपक्षी राजनीतिक दलों से सवाल पूछने लगे हैं कि उनकी सरकारों ने अयोध्या का इस तरह का विकास क्यों नहीं किया? माना कि मंदिर का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन था लेकिन अयोध्या धाम का विकास तो किया ही जा सकता था। विपक्षी राजनीतिक दलों पर निश्चित ही इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं है। दरअसल, उनके लिए कभी भी अयोध्या प्राथमिकता में रही ही नहीं। चूँकि भाजपा के लिए अयोध्या केवल एक शहर नहीं है, यह श्रद्धा का केंद्र है। भगवान राम की जन्मभूमि है। इसलिए इसको सब प्रकार से संवारने की उत्कंठा भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार के मन में है। यह ईश्वर की कृपा है कि केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी भाजपा की सरकार है, जिसके कारण से भारत की ‘सांस्कृतिक राजधानी’ की संकल्पना को साकार करने में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो रही है। अयोध्या नगरी में 5 अगस्त, 2019 को श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन किया गया था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “रामकाज किए बिना मोहे कहा विश्राम”। प्रधानमंत्री मोदी ने यह सिद्ध कर दिया कि अयोध्या धाम के निर्माण के लिए उनकी प्रतिबद्धता सर्वोच्च एवं अनुकरणीय है। देश की जनता अब एक बार फिर से दीपावली मनाने के लिए बड़ी बेसब्री से 22 जनवरी की प्रतीक्षा कर रही है।
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