हम जो भी व्यवसाय अपनाते हैं, उसकी वृत्ति हमारे भीतर होती है। जैसे अच्छा अध्यापक वही बन सकता है, जिसका स्वभाव अध्यापन का हो। सफल व्यवसायी वही हो सकता है, जिसकी स्वाभाविक वृत्ति व्यवसायिक हो। इसी तरह सैनिक वही व्यक्ति बन सकता है, जिसमें देशसेवा, समर्पण, साहस और शौर्य की भावना उच्च स्तर की हो। ये जो सरकार से असहमत होने पर अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए देश की संपत्ति को आग लगा रहे हैं, वे कुछ और बन सकते हैं, परंतु सैनिक तो कतई नहीं बन सकते हैं। भारतीय सेना में ऐसे उपद्रवियों के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। सेना की भर्ती योजना अग्निपथ का विरोध कर रहे लोगों को भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ स्वर्गीय बिपिन रावत का वह बयान अवश्य सुनना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना कोई नौकरी नहीं है। नौकरी करनी है तो रेलवे में जाइए और कहीं जाइए। सेना में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सेना में समर्पण लगता है। भारतीय सेना एक जज्बा है। जो जोखिम उठा सकते हैं, उन्हें ही भारतीय सेना में आना चाहिए। सड़कों पर हिंसक विरोध कर रहे युवाओं को समझना चाहिए कि भारतीय सेना एक जिम्मेदारी है। अगर उन्हें अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर कोई आपत्ति है तो उसका विरोध करने के और तरीके हैं। यह आगजनी और हिंसा तो किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जा सकती। इस प्रकार के हिंसक प्रदर्शन से इन युवाओं की ही छवि खराब हो रही है। प्रश्न यह भी है कि एक दिन पहले ही घोषित योजना का देशभर में अगले ही दिन इस प्रकार संगठित विरोध कैसे हो सकता है? इतनी संख्या में लोग एक साथ अलग–अलग शहरों में कैसे सड़कों पर उतर आए? यह गंभीर प्रश्न है। इसकी गहराई से पड़ताल होनी चाहिए। जैसे पिछले दिनों हुए दंगों के पीछे बाहरी ताकतों की भूमिका सामने आई है। संभव है कि सरकार की छवि बिगाड़ने और देश को अस्थिर करने के लिए कुछ ताकतें सक्रिय हों। यदि इस सबके पीछे विरोधी राजनीतिक दल हैं, तब राजनीति का यह स्तर और अधिक चुनौतीपूर्ण है। प्रश्न यह भी है कि विपक्षी दल के राजनेता क्यों इस हिंसा पर चुप हैं? क्यों वे अपने जनप्रतिनिधि होने की भूमिका का निर्वहन नहीं कर रहे हैं? भ्रमित युवाओं को समझने और शांतिपूर्ण अपनी बात रखने की अपील सबको करनी चाहिए। वहीं, सड़कों पर उपद्रव कर रहे लोगों को यह समझना चाहिए कि अग्निपथ योजना से सेना की स्थाई सेवा समाप्त नहीं होगी। बल्कि अधिक युवाओं को देश की सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा। युवाओं को पहले योजना की सभी बारीकियों का अध्ययन करना चाहिए और उसके बाद कोई प्रश्न या शंका है तो उसे सरकार के सामने रखे। यह कोई तरीका नहीं कि आपको योजना पसंद नहीं आई तो सड़कों पर उत्पात करें। युवाओं को किसी के भ्रामक प्रचार में पड़कर विरोध प्रदर्शन करने की जगह अधिक जिम्मेदारी के साथ आगे आना होगा। यदि सही में आप सैनिक बनना चाहते हैं तो वैसा आचरण भी प्रस्तुत करना होगा। देश में शायद ही कोई व्यक्ति मिले जो कहे कि देश की संपत्ति के साथ आगजनी कर रहे लोग भारतीय सेना में सेवाएं देने के पात्र हैं। हिंसा और उपद्रव का रास्ता अपनाकर युवक न केवल देश का नुकसान कर रहे हैं, बल्कि स्वयं को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। अच्छा होगा कि सब जिम्मेदारी दिखाएं। यह सरकार बहुत संवेदनशील है, यदि शंकाएं जायज होंगी तो सरकार सुनेगी और विचार भी करेगी।
