कांग्रेस ने जैसे-तैसे कुछ विपक्षी राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा से विरोध के नाम पर एकजुट किया था लेकिन चुनाव सिर पर आते ही यह बिखरने लगा है। जैसा कि शुरू से आशंका व्यक्त की जा रही थी कि सीटों के बंटवारे पर यह गठबंधन कभी भी बिखर सकता है। कोई भी क्षेत्रीय दल अपने प्रभाववाले राज्य में कांग्रेस के साथ सीट साझा नहीं करेगा। संयोग से फिलहाल ऐसे राज्यों में चुनाव है, जहाँ विपक्षी दलों में कांग्रेस का वर्चस्व है। यहाँ कांग्रेस के पास एक अवसर था कि वह अपने सहयोगी दलों को कुछ सीटें देकर आपसी सहयोग का उदाहरण प्रस्तुत कर सकती थी लेकिन उसने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीट साझा न करके क्षेत्रीय दलों को झटका दे दिया है। जब विपक्षी गठबंधन की अगुआ कांग्रेस ही अपने सहयोगी दलों के प्रति उदार नहीं है, तब उत्तर प्रदेश में सपा, पंजाब में आआपा, केरल में कांग्रेस और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस भला क्यों कांग्रेस के साथ सीट साझा करेंगी। विधानसभा चुनावों में ही नहीं अपितु लोकसभा के चुनावों में भी कांग्रेस को अपने इस अनुदार रवैया का परिणाम भुगतना पड़ सकता है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने तो कांग्रेस को खरी-खरी सुना दी है। उन्होंने तो साफ संकेत दे दिया है कि लोकसभा के चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस का साथ नहीं देगी। अखिलेश यादव ने खुलकर कह दिया है कि “समाजवादी पार्टी के साथ जहां जैसा व्यवहार होगा, वैसी ही व्यवहार उनको भी देखने को मिलेगा। जिस तरह से वे यहां (मध्यप्रदेश के चुनावों में) हमारे साथ व्यवहार कर रहे हैं, वही व्यवहार लोकसभा चुनावों के लिए उत्तरप्रदेश में उनके (कांग्रेस) साथ किया जाएगा”। गठबंधन में उभर रही दरारों पर धूल डालने के लिए कांग्रेस के क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय नेता और उनके समर्थक बुद्धिजीवी यह कह रहे हैं कि आईएनडीआईए गठबंधन राज्यों के चुनाव के लिए नहीं अपितु लोकसभा चुनाव के लिए बना है। तब उन्हें अखिलेश यादव के बयान को ध्यान से सुनना चाहिए और कांग्रेस के मंतव्य को भी समझना चाहिए। क्या कांग्रेस लोकसभा के चुनाव में मध्यप्रदेश में सपा के साथ कोई सीट साझा करेगी? इस प्रश्न का उत्तर भी आपको उस दृश्य की कल्पना दे देगा, जो लोकसभा के समय घटनेवाला है। कांग्रेस और सपा के बीच यह रार मध्यप्रदेश में ही नहीं अपितु उत्तरप्रदेश में भी दिख रही है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय लगातार सपा के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक कांग्रेस के नेताओं के व्यवहार को देखकर समाजवादी पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता आक्रोशित हैं। जो अखिलेश यादव अब तक अपने कार्यकर्ताओं को धैर्य रखने और बड़ा दिल दिखाने के लिए कह रहे थे, अब तो वे ही कांग्रेस के व्यवहार से चिढ़ गए हैं। बहरहाल, मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने जिस प्रकार सपा को झटका दिया है, उससे अखिलेश यादव बहुत गुस्से में हैं। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने उनका समय खराब किया है। यदि उन्हें पहले से पता होता कि कांग्रेस उन्हें छह सीटें भी नहीं दे सकती, तब वे कांग्रेस के साथ कोई बात नहीं करते। कांग्रेस के नेताओं से मिलने भी नहीं जाते। अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाया है। सपा की यह नाराजगी मध्यप्रदेश के चुनावों में कांग्रेस पर भारी पड़ेगी या नहीं, यह तो आनेवाला समय ही बताएगा लेकिन कांग्रेस को समझना होगा कि गठबंधन का धर्म निभाना आसान नहीं है। गठबंधन को संभालने के लिए बड़ी पार्टी को अपने हितों का त्याग करना पड़ता है।
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