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- आकड़ो के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति 25 महीने के निचले स्तर 4.25% पर पहुंच गई थी।
भोपाल, आज शाम 5:30 पी.एम. को जारी होंगे जून के महीने की खुदरा महंगाई के आंकड़े। तथा मई के आई.आई.पी के विकास के आंकड़े भी जारी होंगे। आकड़ो के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति 25 महीने के निचले स्तर 4.25% पर पहुंच गई थी। विश्लेषकों को उम्मीद है कि सब्जियों की ऊंची कीमतों के कारण जून में मुद्रास्फीति बढ़कर 4.6% हो जाएगी। मानसून के बारिश के वजह से फसलों का नुक्सान हुआ है जिसके कारण सब्ज़ियों की कीमत बढ़ गई है । हालाँकि, पूरे वित्तीय वर्ष २०२२३-२०२४ के लिए मुद्रास्फीति भारतीय रिज़र्व बैंक की 6% की ऊपरी सहनशीलता सीमा से नीचे रहने की संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक की निचली सहनशीलता सीमा 2% मुद्रास्फीति के लिए है।
मई में महंगाई दर घटकर 4.25% पर आ गई
पूरे देश में खुदरा महंगाई दर मई में घटकर 4.25% पर आ गई। यह आकड़ा पिछले 25 महीनो में महंगाई का सबसे निचला स्तर था। पिछले साल अप्रैल में महंगाई दर 4.23% पर थी। यह कमी जो महंगाई में आई है इसका मूल कारण यह है की खाने पीने की चीज़ो के दर में गिरावट आई है। अप्रैल २०२३ मे खुदरा महंगाई दर 4.70% थी। शहरी मुद्रास्फीति 4.85% से घटकर 4.27% हो गई थी वहीँ ग्रामीण मुद्रास्फीति 4.68% से घटकर 4.17% हो गई थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सी.पी.आई) बास्केट में खाद्य वस्तुओं का हिस्सा लगभग आधा है। मई में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 2.91% पर आ गई। अप्रैल 2023 में यह 3.84% और मार्च में 4.79% थी।
महंगाई अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है
महंगाई को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इसका होना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। सप्लाई चेन में सुधार और कमोडिटी कीमतों में राहत का भी फायदा मिला। हालांकि, जून में हुई मौद्रिक नीति बैठक की जानकारी देते हुए आर.बी.आई. के गवर्नर ने कहा था कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है।
सी.पी.आई क्या होता है?
एक ग्राहक के तौर पर आप और हम खुदरा बाजार से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सी.पी.आई. करता है। हसीपीआई वस्तुओं और सेवाओं के लिए हमारे द्वारा भुगतान की जाने वाली औसत कीमत को मापता है। कच्चे तेल, सामग्री की कीमतें, निर्मित लागत के अलावा और भी कई चीजें होती हैं, जिसकी खुदरा महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है।करीब 300 वस्तुएं ऐसी हैं जिनकी कीमतों के आधार पर खुदरा महंगाई दर तय होती है।
कैसे करता है महंगाई पर आर.बी.आई. नियंत्रण?
मुद्रास्फीति को कम करने के लिए बाजार में धन (तरलता) का प्रवाह कम किया जाता है। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो दर बढ़ाता है। जैसे आर.बी.आई. ने अप्रैल और जून में रेपो दर नहीं बढ़ाने का फैसला किया था। इससे पहले आर.बी.आई ने लगातार 6 बार रेपो दर में बढ़ोतरी की थी। आर.बी.आई. ने महंगाई दर के अनुमान में भी कटौती की थी।
महँगाई कैसे बढ़ती या घटती है?
मुद्रास्फीति का बढ़ना और घटना उत्पाद की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। यदि लोगों के पास अधिक पैसा है, तो वे अधिक चीजें खरीदेंगे। अधिक चीजें खरीदने से चीजों की मांग बढ़ जाएगी और अगर आपूर्ति मांग के अनुसार नहीं होगी तो इन चीजों की कीमत बढ़ जाएगी। इस प्रकार बाजार मुद्रास्फीति की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसे का अत्यधिक प्रवाह या वस्तुओं की कमी मुद्रास्फीति का कारण बनती है। दूसरी ओर, यदि मांग कम है और आपूर्ति अधिक है, तो मुद्रास्फीति कम होगी।
महंगाई पर रखनी होगी अर्जुन की नज़र: आर.बी.आई.
आर.बी.आई. गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर नजर रखने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि महंगाई दर अभी भी 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। आर.बी.आई. के मुताबिक ये अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 (एफ.वाई.24) में मुद्रास्फीति 4% से ऊपर रहने की संभावना है। आर.बी.आई. ने वित्त वर्ष 2024 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.2% से घटाकर 5.1% कर दिया है। – (आशियान खान)