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- ओटीटी को टक्कर देने के लिए साथ आई दोनों संगठन।
- खाने-पीने के बिल पर जी.एस.टी. 18% से घटाकर 5% कर दिया गया।
भोपाल:- मल्टीप्लेक्स श्रृंखला पी.वी.आर आई.नॉ.क्स ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में 40% तक की कटौती की है। पिछले दिनों संगठन को अपनी दरों को लेकर सोशल मीडिया पर विरोध का सामना करना पड़ा था। कंपनी ने अब 99 रुपये से शुरू होने वाला फूड कॉम्बो पेश किया है। वहीं, 11 जुलाई को जी.एस.टी समिति ने सिनेमा हॉल में खाने-पीने के बिल पर जी.एस.टी. 18% से घटाकर 5% कर दिया है। इस फैसले का सकारात्मक असर मल्टीप्लेक्स श्रृंखला के कारोबार पर देखा जा सकता है, जिन्हें ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इस साल की शुरुआत में, ओ.टी.टी. के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए आईनॉक्स और पीवीआर आ गए। विलय के बाद, यह 1500 से अधिक स्क्रीन के साथ भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स श्रृंखला बन गई। शीर्ष पर ए.एन.सी. थियेटर्स है जिसमें 10,500 स्क्रीन हैं।
पीवीआर आईनॉक्स को साथ क्यों आना पड़ा?
दोनों संगठन के साथ आने की 3 बढ़ी वजह हैं:
१) ओटीटी प्लेटफॉर्म से मुकाबला:
साल 2018 में ओ.टी.टी. बाजार 2,590 करोड़ रुपये का था। कोरोना महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी। भारत में ओ.टी.टी. बाजार में अब तक लगभग 10,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। यानी 5 साल में इसमें 300% की बढ़ोतरी हुई है। 2030 तक इसके 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में ओ.टी.टी. से टक्कर लेने की लिए पीवीआर और इनॉक्स का साथ आना ज़रूरी था।
२) ख़र्चे कम करें, मुनाफ़ा बढ़ाएँ:
विलय से लागत अनुकूलन में मदद मिलेगी। यानी व्यवसाय मूल्य बढ़ाते हुए लागत कम करना। यह व्यवसाय के दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है। पीवीआर आईनॉक्स ने जनवरी-मार्च तिमाही में 334 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा और 1,143 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया। वित्तीय वर्ष 2021 में पीवीआर का राजस्व 91% और इनॉक्स का 92% गिर गया।
३) सिनेमा अनुभव को बढ़ाना:
कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सिद्धार्थ जैन कहते हैं- ‘हमें बड़े पर्दे पर आने की आदत बरकरार रखनी होगी और यह तभी संभव है जब हम सिनेमा के अनुभव को बेहतर बनाएंगे।’ वहीं एमडी अजय बिजली का कहना है- ‘कोरोना महामारी के बाद बदलाव कुछ ऐसा है जिसे हम नकार नहीं सकते। सवाल यह है की थियेट्रिकल बिज़नेस की रक्षा कैसे कर सकते हैं।’
मल्टीप्लेक्सों को 3 बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
१) सिनेमाघरों में कम दर्शक:
साल 2018 में भारत में 94.5 करोड़ लोग सिनेमाघर पहुंचे। कोविड से पहले 2019 में ये संख्या 103 करोड़ थी। 2020 में लॉकडाउन के कारण यह संख्या घटकर 22.5 करोड़ रह गई। साल 2022 में रिकवरी आई और यह 89.2 करोड़ तक पहुंच गई। यानी पांच साल पहले 2018 में फुटफॉल की जो संख्या थी, वहां तक भी नहीं पहुंच पाई है।
२) दर्शकों का बदलता रुझान:
हिंदी सिनेमा उद्योग इस समय दर्शकों के बदलते रुझान का सामना कर रही है। लोग साउथ फिल्मों की ओर पलायन कर रहे हैं। कोरियाई फिल्मों में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। बड़ी संख्या में बॉलीवुड फिल्में फ्लॉप हुई हैं। एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट में इसकी वजह खराब कंटेंट क्वालिटी को बताया गया है।
३) ‘बहिष्कार’ अभियान और ऊंची टिकट कीमतें:
एमके ग्लोबल के अनुसार, सोशल मीडिया पर सक्रिय ‘बहिष्कार’ अभियान और ऊंची टिकट कीमतों ने सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या को प्रभावित किया है। इससे मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन मालिकों को नुकसान हुआ है। आदिपुरुष, ब्रह्मास्त्र, राम सेतु, पठान जैसी फिल्मों को अलग-अलग कारणों से बहिष्कार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इसके बावजूद शाहरुख खान की ‘पठान’ ब्लॉकबस्टर रही।
पीवीआर-इनॉक्स विलय कब?
27 मार्च 2022 को, पीवीआर और आईनॉक्स लीज़र ने देश में सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स श्रृंखला बनाने के लिए एक विलय सौदे की घोषणा की। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, स्टॉक एक्सचेंज, सेबी और शेयरधारकों की मंजूरी के बाद 6 फरवरी 2023 को उनका विलय हो गया। विलय के बाद बनी कंपनी का नाम पीवीआर-इनॉक्स रखा गया।
पीवीआर के सीएमडी अजय बिजली नई कंपनी के प्रबंध निदेशक बने और आईनॉक्स के निदेशक सिद्धार्थ जैन को गैर-कार्यकारी गैर-स्वतंत्र निदेशक बनाया गया। विलय के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि कोरोना महामारी के कारण दोनों कंपनियों का संयुक्त राजस्व 1,000 करोड़ रुपये से कम था। – (आशियान खान)