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ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ज्यादा जीएसटी दर देनी पड़ेगी! आम यूजर की जेब का बढ़ सकता है बोझ

  • केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो, हॉर्स रेस पर जीएसटी दर में बढ़ोत्तरी करने जा रही है.
  • खेलों से जुड़ी कंपनियों की मुश्किल बढ़ गई है. 11 जुलाई को इस पर अंतिम फैसला आने की संभावना है.
    नई दिल्ली :
    कैसिनो, हॉर्स रेस पर जीएसटी दर बढ़ाए जाने की संभावना है. क्योंकि, कई राज्यों ने इस पर सममति जताई है. जीएसटी दर बढ़ने का असर कंपनियों पर पड़ेगा, जिसके नतीजे में आम यूजर की जेब ढीली होने की आशंका है. बता दें कि वर्तमान में इन गतिविधियों पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होती है. वहीं, इन गतिविधियों से जुड़ी कंपनियां ने ऐसा नहीं करने की अपील टैक्स बोर्ड से की है. कैसीनो, रेसकोर्स और ऑनलाइन गेमिंग के टैक्सेशन से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GOM) मोटे तौर पर इस बात पर सहमत हुआ है कि इन तीनों गतिविधियों पर 28% जीएसटी लगाया जाना चाहिए. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली परिषद यह भी निर्धारित कर सकती है कि क्या ये गतिविधियां सट्टेबाजी और जुए के दायरे में आएंगी या नहीं. जीएसटी परिषद 11 जुलाई को प्रस्तावित बैठक में जीएसटी बढ़ाने पर अंतिम निर्णय लेने वाली है. इसके अलावा परिषद इस पर भी निर्णय लेगी कि क्या ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू पर टैक्स लगाया जाए या प्लेटफॉर्म द्वारा ली जाने वाली फीस पर या ऑनलाइन गेमिंग, हॉर्सरेस और कैसीनो के खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए दांव के पूरे मूल्य पर लगाए जाए. शीर्ष ऑनलाइन गेमिंग फर्मों के एक समूह ने फिक्की गेमिंग समिति के माध्यम से केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) से आग्रह किया है कि इस क्षेत्र के लिए जीएसटी दर को 18% से बढ़ाकर 28% न किया जाए. कंपनियों ने कहा कि जीजीआर पर जीएसटी दर को 18% से बढ़ाकर 28% करना ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के अस्तित्व के लिए हानिकारक होगा. क्योंकि कोई भी व्यवसाय संचालन इतने हाई टैक्सेशन के साथ सर्वाइव नहीं कर सकता है.

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