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- भारत ने कई वर्षों से राजनयिक सौदों के माध्यम से गेहूं का आयात नहीं किया है
- भारत खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और महंगाई पर अंकुश लगाना चाहता है
देश में गेहूं की लगातार बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए भारत सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार देश में आपूर्ति बढ़ाने के लिए रूस से रियायती कीमत पर गेहूं आयात करने पर विचार कर रही है। - भारत ने कई वर्षों से राजनयिक सौदों के माध्यम से गेहूं का आयात नहीं किया है
भारत ने कई वर्षों से राजनयिक सौदों के माध्यम से गेहूं का आयात नहीं किया है। आखिरी बार भारत ने 2017 में बड़ी मात्रा में गेहूं का आयात किया था। तब निजी व्यापारियों ने विदेशों से 5.3 मिलियन यानी 53 लाख मीट्रिक टन गेहूं का आयात किया था। पिछले महीने खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था कि सरकार की रूस से गेहूं आयात करने की कोई योजना नहीं है। - भारत खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और महंगाई पर अंकुश लगाना चाहता है
सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार सप्लाई बढ़ाने के साथ-साथ खाद्य महंगाई और अनाज की बढ़ती कीमतों पर भी अंकुश लगाना चाहती है। यही कारण है कि दुनिया भर में बढ़ती कीमतों के बावजूद भारत रियायती मूल्य पर गेहूं आयात करने के लिए रूस से बातचीत कर रहा है। - भारत रूस से 80-90 लाख मीट्रिक टन गेहूं आयात कर सकता है
सूत्रों के मुताबिक, कमी को पूरा करने के लिए भारत को केवल 30 से 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत है, लेकिन रूस से 80-90 लाख मीट्रिक टन गेहूं का आयात किया जा सकता है। जिससे सरकार देश में गेहूं की कीमतों को यथासंभव कम कर सकेगी। रूसी गेहूं आयात करने की सरकार की योजना गरीबों पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करना है। इसके अलावा सरकार ग्रामीण योजनाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ ईंधन, अनाज और दालों जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतें कम करके आपूर्ति बढ़ाना चाहती है। - भारत को रूस से प्रति टन 25 से 40 डॉलर की छूट मिल सकती है
मुंबई स्थित एक डीलर ने कहा कि भारत को रूस से प्रति टन 25 डॉलर से 40 डॉलर (2,076 रुपये से 3,322 रुपये) की छूट मिल सकती है। इससे देश में पहुंचने पर रूसी गेहूं की कीमत स्थानीय कीमत से काफी कम होगी. पिछले दो महीनों में देश में गेहूं की थोक कीमत में 10% की बढ़ोतरी हुई है। अगस्त में गेहूं की कीमतें सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। - भारत रूस से रियायती कीमत पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है
पिछले साल यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा माल आपूर्तिकर्ता बन गया है। तब से भारत रियायती कीमतों पर रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है। रूस से रोजाना 20 लाख बैरल से ज्यादा कच्चा तेल भारत आ रहा है। रूस कच्चे तेल पर भारत को भारी छूट दे रहा था, लेकिन हाल के दिनों में इसमें कमी आई है। इसके बावजूद यह अरब देशों की तुलना में सस्ता है।