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- 10-12 लाख श्रमिकों की आजीविका प्रभावित
- तीन महीने में हीरे का निर्यात 29.37% घटा
सूरत की हीरा इंडस्ट्री का सालाना टर्नओवर 3.3 लाख करोड़ है। रूस पर प्रतिबंध के कारण इस उद्योग के कामकाज में 30-35% की कमी आई है। उसी अनुपात में कंपनियों की कमाई और वेतन में भी कमी आई है। गुजरात डायमंड वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष भावेश टांक ने कहा कि 10-12 लाख हीरा काटने-चमकाने वाले श्रमिकों का रोजगार प्रभावित हुआ है। एक साल में करीब 20,000 कर्मचारियों की छटनी हो चुकी है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. दो महीने पहले जी-7 देशों की बैठक में रूसी जहाजों, विमानों और रूसी हीरों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. इससे सूरत में हीरे का कारोबार करीब एक तिहाई घट गया. 10-12 लाख श्रमिकों की आजीविका प्रभावित हुई और लगभग 20,000 की छँटनी हो गई। - तीन महीने में हीरे का निर्यात 29.37% घटा
अप्रैल-जून तिमाही में देश से 36,723 करोड़ रुपये के कटे और पॉलिश किए गए हीरे का निर्यात किया गया। यह पिछले साल की समान तिमाही के निर्यात से 29.37% कम है। कुल मिलाकर रत्न और आभूषण निर्यात 28.08% घटकर 60,222 करोड़ रुपये रह गया।
अमेरिका ने रूसी हीरों और उनसे बने उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक, 2022-23 में भारत के आभूषण निर्यात में अमेरिका की 33.2% हिस्सेदारी थी। ऐसे में सूरत में रूसी हीरों से बने सामान का सबसे बड़ा बाजार बंद हो गया है। - हीरा श्रमिक आत्महत्या करने लगे
तीन महीने में हीरा उद्योग से जुड़े करीब 10 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से अधिकतर कर्मचारी कई पीढ़ियों से यह काम कर रहे हैं। वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, इसलिए दूसरा काम नहीं कर सकते। छोटे हीरों को काटने और चमकाने के लिए उन्हें प्रति हीरा 6-30 रुपये मिलते हैं। 50,000 रुपये से 4 लाख रुपये तक बिकने वाले बड़े हीरों को चमकाने के लिए उन्हें 600-1800 रुपये मिलते हैं। - रूस से सीधा संबंध
1) दुनिया के हर 10 कच्चे हीरों में से 9 सूरत में काटे और पॉलिश किए जाते हैं।
2) रूस की अलरोसा कंपनी दुनिया के 30% कच्चे हीरे का उत्पादन करती है।
3) सूरत में आने वाले 40% से अधिक कच्चे हीरे रूस से आते हैं।