नई दिल्ली: भारत में क्लियर अलाइनर्स (दांतों की बनावट ठीक करने का ट्रे) का बाजार लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है और इसके 2023 के अंत तक 50 करोड़ डॉलर या 4,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में जारी तेजी के प्रमुख कारण हैं – भारतीय आबादी के बीच मैलोक्लूजन या दांतों की बेतरतीब बनावट के बढ़ते मामले, इस वजह से ऑर्थोडॉन्टिक उपचार की बढ़ती मांग और उद्योग में तकनीकी प्रगति। इसके अलावा, एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में भारत और चीन क्लियर अलाइनर्स बाजार को आगे बढ़ाने में सबसे आगे है। ओर्थोडोंटिक उपचार की मांग भारत में लगातार बढ़ रही है, जो मुंह के स्वास्थ्य और सुंदर दिखने पर बढ़ते जोर से प्रेरित है। दांतों को सुंदर बनाने पर अब ज्यादा लोग निवेश करने लगे हैं। आरोग्य पर प्रति व्यक्ति खर्च में भी वृद्धि हुई है। इससे लोकप्रिय ऑर्थोडोंन्टिक समाधान को ज्यादा लोग अपनाने लगे हैं तथा क्लियर अलाइनर्स का प्रयोग कर रहे हैं। कशोरों, युवा वयस्कों और यहां तक कि वृद्ध व्यक्तियों सहित सभी आयु समूहों में इसे अपना रहे हैं। कंप्यूटर-एडेड डिजाइन और मैन्युफैक्च रिंग तकनीक जैसे नवाचारों ने क्लियर अलाइनर्स को ज्यादा सटीक और दक्ष बनाया है। उद्योग के जिग्ग्ज भी अपनी-अपनी ताकत और विशेषज्ञता को मिलाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन हेल्थकेयर यूटिलिटी प्रोडक्ट्स प्लेटफॉर्म जीमेड्ज ने एलाइनर मार्केट को लोकतांत्रित बनाने के लिए क्लियर एलाइनर क्षेत्र की कंपनी 32 वाट के साथ करार किया है। हाल ही में मुंबई की कंपनी डेंटल सेरामिक्स ने, जिसके अध्यक्ष दिनेश जैन हैं, दिल्ली स्थित रेजोव अलाइनर्स के सहयोग से क्लीयर एलाइनर बाजार में प्रवेश किया है। रेजोव अलाइनर्स के सह-संस्थापक कैप्टन विक्रम कुमार हैं। इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) के महासचिव डॉ. अशोक ढोबले भी इस अवसर पर उपस्थित थे जो उद्योग की उच्च क्षमता को दशार्ता है। ये सहयोग डॉक्टरों और रोगियों को बेहतर मूल्य का विकल्प प्रदान करते हैं, संयुक्त रूप से प्रतिस्पर्धी कीमतों पर व्यापक, नवीन और उच्च गुणवत्ता वाले दंत चिकित्सा समाधान की पेशकश करने वाली अपनी विशेषज्ञता के साथ भारत में क्लियर डेंटल अलाइनर बाजार में पहुंच बढ़ाते हैं।
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