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- फिरोज अहमद बख्त
ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद के संबंध में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू-मुस्लिम पक्षों को जोड़ने की पहल करते हुए कहा है कि मुस्लिम भाई दिल बड़ा कर के ज्ञानवापी ज्योतिर्लिंग को अपने हिन्दू भाइयों को भेंट कर दें। यह बड़ा बयान है। योगी ने कहा-मस्जिद के अंदर त्रिशूल क्या कर रहा था। यहां ज्योर्तिलिंग है, देव प्रतिमाएं हैं। दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं।मस्जिद कहेंगे तो फिर विवाद होगा। मुस्लिम समाज के लोगों को सिर जोड़कर बैठना चाहिए और कोर्ट के बाहर अमन की आशा को बनाए रखने के लिए इसका शांतिपूर्ण हल निकाल लेना चाहिए।
ज्ञानवापी का मामला भी राम जन्म भूमि के रास्ते पर ही चल पड़ा है। सच्चाई तो यह है कि जो पहल योगीजी ने अब की है, अगर इस प्रकार की पहल संघ या भाजपा की ओर से राम मंदिर –बाबरी मस्जिद प्रकरण के समय हो जाती तो शायद हालात इतने संगीन न होते जैसे अब दिखाई देते हैं। सभी भारतीय मुस्लिम शायद नहीं जानते कि संघ व भाजपा का बहुत पहले से ही तीन बातों का प्रण लेकर चल रहे हैंैं। प्रथम, राम मंदिर, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मस्थान का जीर्णोद्धार। दूसरा, समान नागरिक संहिता को लागू करना और तीसरा, गऊ वध पर रोक। हां, इस प्रण में उस समय बदलाव आ सकता था कि जब राम जन्म भूमि के संबंध में मुस्लिम तबका कहता कि आप हमारे भाई हैं और हम सदियों से भाइयों की तरह इस लिए भी साथ रहते चले आए हैं कि हमारा डीएनए एक है और हम मुग़लों की संतान नहीं हैं। हम आपके सबसे बड़े आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम के लिए यह ज़मीन आपको पेश करते हैं और बाक़ी अपने अल्लाह पर छोड़ते हैं। काफी मुमकिन है कि इस प्रकार की सद्भावना का यह प्रभाव हिन्दू तबके पर पड़ता कि न केवल वे काशी व मथुरा को आदरभावना को अधिक मोल देते हुए छोड़ देते। यही नहीं, हिन्दू तबका सहिष्णुतापूर्ण होने के नाते बाबरी मस्जिद की स्थापना हीरे-जवाहरात और सोने-चांदी के मोल कर देते! अफसोस, मुस्लिम संप्रदाय इस डिप्लोमेसी से काम नहीं कर पाया और जो फैसला कोर्ट के बाहर प्यार-मुहब्बत से हो जाता, उसका सुनहरी मौका खो दिया, जैसा कि शायर ने कहा था, लम्हों ने खता के थी, सदियों ने सज़ा पाई! यदि अब भी मुसलमान ठंडे दिमाग़ से योगी द्वारा दिए गए आह्वान पर विचार कर उसे अमली जामा पहना दें तो जो राम मंदिर के समय पर हुई गलती की भरपाई हो जाए और शायद बड़ा दिल रखने वाले हिन्दू मथुरा पर भी अपना दावा न जमाएं।