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जम्मू-कश्मीर को पृथक करने वाले विवादित अनुच्छेद के संशोधन पर आपत्ति क्यों?

  • विनोद कुमार सर्वोदय
    हमारे संविधान के अनुच्छेद 35ए एवं 370 दोनों जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के उत्तरदायी बने हुए थे। इन्हीं के कारण वहां के हिन्दुओं का व्यापक नरसंहार हुआ और शेष को पलायन करने को विवश होना पड़ा। निसंदेह ये अनुच्छेद जो एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे भारत सरकार ने अगस्त 2019 में लोकसभा और राज्यसभा में पूर्ण बहुमत से संशोधित करके राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की है। लेकिन यह दुःखद है कि सर्वोच्च न्यायालय में इन अनुच्छेद के संशोधन के विरुद्ध सुनवाई चल रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद से पारित राष्ट्रहित में किया गये संवैधानिक संशोधन को न्यायालय में चुनौती देना क्या राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में नहीं आना चाहिए?
    ऐसा संशोधन करके स्वतंत्र भारत के इतिहास में सत्ता में बैठे शासकों ने सम्भवतः प्रथम बार राजनीति को राष्ट्रनीति में परिवर्तन करने का संकल्प दिखाया था। तीन मूर्ति मोदी-शाह-डोभाल ने राष्ट्र निर्माण की चिकीर्षा का अद्भुत परिचय दिया। देश के साथ विश्वासघात करके अनुच्छेद 35ए व 370 को संविधानिक बना कर विभाजनकारी नीतियों को यथावत बनायें रखने में किसे लाभ हो रहा था ?
    यह नेहरू, शेख अब्दुल्ला व लार्ड माउंटबेटन की भारत के विकास में रोड़ा बनाये रखने की कुत्सित मानसिकता थी। इन विवादित राष्ट्र तोड़क अनुच्छेदों के कारण भी पाकिस्तान व पाक परस्त इस्लामिक जिहादी कश्मीर को ‘गेटवे आफ आतंकवाद’ बना कर भारत में इस्लामीकरण का बीजारोपण करने का दुःसाहस करते आ रहे है। भारत का मुकुट कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर पर आतंकवादियों, अलगाववादियों व भ्रष्टाचारियों के अनगिनत प्रहारों से दशकों से बहता हुआ लहू भारत की अस्मिता को ललकार रहा था। वह चीख चीख कर पुकार रहा था कि जब तक चोटिल व घायल माथे की चिकित्सा नहीं होगी तब तक कोई कैसे स्वस्थ रह सकेगा? फिर भी ‘कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है’ व ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है’ आदि नारे दशकों से हजारों बार लगाने वाले राजनेताओं ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि जब तक संविधान के अनुच्छेद 35 ए व 370 को निष्प्रभावी नहीं किया जाएगा तब तक यह लुभावने नारे देशवासियों के साथ विश्वासघात है।
    इन अनुच्छेदों के दुष्परिणामों को अनेक विशेषज्ञों व लेखकों ने बार बार विस्तार से लिख वर्षों से देशवासियों को जागरूक करने में बहुत बड़ी भूमिका निभायी। भारतीय जनसंघ से बनी भारतीय जनता पार्टी ने भी इस विभाजनकारी व्यवस्था को निरस्त करके अपने अटूट एजेंडे को मूर्तरूप देकर करोड़ों देशवासियों के ह्रदयों में भारतभक्ति का भाव भरकर वर्षों पुराने घाव को भरने का कार्य किया।
    स्वतंत्र भारत के इतिहास में 5 अगस्त 2019 का दिन भी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 के पूरक के रूप में माना जाय तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि सन1947 में पश्चिम पाकिस्तान से आये हजारों हिन्दू शरणार्थियों के परिवारों की चार पीिढ़यांभारतीय नागरिक होकर भी सामान्य नागरिक अधिकारों से वंचित हो रही थी। अब उनको भी स्वाभिमान के साथ एक सामान्य जीवन जीने का शेष भारतीयों के समान स्वतंत्र अधिकार मिला। वर्तमान शासकों की कार्य प्रणाली से इतिहास की राष्ट्रघाती भूलों को सुधारने की दृढ़ इच्छाशक्ति का आभास हुआ है। राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली जम्मू-कश्मीर सम्बंधित ऐसी व्यवस्था को निष्प्रभावी करके मोदी सरकार ने राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संचार किया है। इन विवादित अनुच्छेदों को संशोधित करके जम्मू-कश्मीर व लद्धाख को केंद्र शासित राज्य व क्षेत्र घोषित करके भारत के नव निर्माण में एक नये संकल्प का परिचय दिया। वर्तमान अनुकूल स्थितियों में विवादित राष्ट्रतोड़क संवैधानिक प्रावधानों पर प्रहार करके जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर को भारत के अभिन्न अंग होने का स्थायित्व दिया है वह अपने आप में एक सशक्त शासकीय व प्रशासकीय कार्य है।

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