199
- अवधेश कुमार
देश के 750 लोगों ने न्यूजक्लिक के पक्ष में बयान जारी कर कहा है कि उसका उत्पीड़न हो रहा है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। उनके अनुसार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में न्यूज़क्लिक के विरुद्ध किसी कानून का उल्लंघन करने की बात नहीं कही गई है। इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, इतिहासकार रोमिला थापर, जोया हसन, जयती घोष, हर्ष मंदर, अरुणा राय, एन राम, कॉलिन गोंजाल्विस, प्रशांत भूषण ,आनंद पटवर्धन आदि शामिल हैं। न्यूज़क्लिक के पक्ष में इनके खड़े होने से किसी को आश्चर्य नहीं होगा। जब-जब किसी संदिग्ध संस्थान पर कोई कानून सम्मत कार्रवाई हुई है ऐसे लोगों का समूह उसके पक्ष में खड़ा होकर इसी भाषा का इस्तेमाल करता रहा है। एक लोकतांत्रिक खुले समाज एवं व्यवस्था में सरकार के समर्थक विरोधी, मध्यमार्गी, निष्पक्ष, सापेक्ष सभी प्रकार की अभिव्यक्ति के मंचों के लिए जगह होनी चाहिए। इसलिए न्यूजक्लिक सरकार का समर्थन करता है , विरोध करता है यह मायने रखता है केवल इस रूप में कि इसे लेकर उसकी प्रतिबद्धता क्या है? अगर वह संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राजनीतिक पार्टी के रूप में भाजपा और नरेंद्र मोदी सहित भाजपा सरकारों के विरोध को अपना एजेंडा बनाता है तो यह उसका अधिकार है। पर उसका वैचारिक विरोध होगा और होना भी चाहिए। अगर वह एजेंडा चलता है तो उसके विरुद्ध भी मान्य कानूनी तरीकों में एजेंडा चल सकता है। इसे उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। आप विरुद्ध अभियान चलाएं तो अच्छा और दूसरा आपके विरुद्ध खड़ा हो तो गलत यह नहीं हो सकता। किंतु इसके आधार पर भारत सरकार की या किसी प्रदेश सरकार की एजेंसियां उसके विरुद्ध कार्रवाई करे यह स्वीकार नहीं हो सकता। क्या न्यूजक्लिक के विरुद्ध कार्रवाई वाकई उसके राजनीतिक एवं वैचारिक एजेंडे के कारण है? जिन लोगों ने न्यूज़क्लिक के समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं उनकी समाज में प्रतिष्ठा है और वह उनकी उपलब्धियों के कारण है। इसके साथ यह भी सच है कि उनका अपना वैचारिक और राजनीतिक एजेंडा एकपक्षीय राष्ट्रीय संघ, भाजपा और हिंदुत्व से घृणावाद और विरोधवाद फैलाना है। यह इनका अधिकार है। उसमें ये दुराग्रहों की सीमा पार कर उस स्तर पर चले जाते हैं कि आम व्यक्ति भी इनकी सोच और व्यवहार पर संदेह व्यक्त करने लगता है। इन्होंने इतना सच कहा है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी खोजपूर्ण रिपोर्ट में न्यूज़क्लिक द्वारा किसी कानून के उल्लंघन की बात नहीं लिखा है। इन्होंने यह तथ्य नहीं लिखा कि न्यूयॉर्क टाइम्स की छानबीन न्यूज़क्लिक पर न होकर इसके फाइनेंसर नेविले राय सिंघम, अमेरिका सहित विश्व भर में फैले मीडिया एवं गैर सरकारी संगठनों आदि के माध्यम से फैला उनका विस्तृत जाल तथा चीन के साथ उनके संबंध हैं। इन्हीं की चर्चा करते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत में न्यूज़क्लिक का उल्लेख किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स छानबीन की रिपोर्ट से साफ है कि नेविले राय सिंघम चीनी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कई हजार करोड़ की फंडिंग कर रहे हैं और उसमें न्यूज़क्लिक भी शामिल है तो फिर इसे पाक साफ कैसे कहा जा सकता है?
न्यूजक्लिक के मामले के दो पहलू है– वित्त पोषण के साथ चीनी एजेंडे का जुड़ाव और दूसरा इसमें भारतीय कानूनों का उल्लंघन। सिंघम से न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड को साल 2018 से करीब 38 करोड रुपए प्राप्त हुई है। इसको जस्टिस एंड एजुकेशन फंड इंक, यूएस; जीएसपीएएन एलएलसी, यूएस; ट्राईकॉन्टिनेंटल लिमिटेड इंक, यूएसए के अलावा सेंट्रो पॉपुलर डेमिडास, ब्राजील से भी फंड मिला। सारी सिंघम से जुड़ी हुई कंपनियां हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि अमेरिकी अरबपति सिंघम की विश्व भर में चीन का बचाव करने और उसका प्रोपेगेंडा आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका है और उनके पास भरपूर धन है। यह कैसे काम करता है इसका एक उदाहरण देखिए। इसने लिखा है कि कोल्ड वॉर ग्रुप के बारे में माना जाता था कि यह अमेरिका और ब्रिटिश एक्टिविस्टों का बिगड़ा हुआ समूह है। इसके अनेक प्रदर्शन होते थे।
ईडी या प्रवर्तन निदेशालय की छानबीन से मोटा -मोटी जो जानकारी सामने आई उसके अनुसार न्यूज पोर्टल को आए धन में से 52 लाख कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बप्पादित्या सिन्हा को दिए गए। बप्पादित्या सिन्हा कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के ट्विटर हैंडल भी संभालते हैं। धन का एक हिस्सा गौतम नवलखा के पास गया। निश्चित रूप से ये भुगतान उनके लेख या रिपोर्ट आदि के लिए ही गया होगा। यह देखना प्रवर्तन निदेशालय का काम है कि जो धन आए उनमें कानून और भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का पालन हुआ या नहीं? न्यूज क्लिक ने अपने बयान में साफ कहा कि उसने इनका पालन करते हुए ही धन लिया है। हो सकता है। कानूनी रूप से शायद कुछ गलत न हो, पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के बाद भी यदि भारतीय होने के नाते इसकी टीम को कोई समस्या नहीं है तो देश अवश्य इनसे प्रश्न करेगा? संघ भाजपा मोदी विरोध के नाम पर क्या न्यूजक्लिक के पक्ष में हस्ताक्षर करने वालों ,अभियान चलाने वालों से पूछा जाएगा कि हमारे देश के नामचीन लोग चीन के वैश्विक एजेंडे को भी सही मानते हैं? जब सिंघम से जुड़े मीडिया समूह एक दूसरे से कंटेंट का आदान-प्रदान करते हैं तो उसका आधार होगा? यानी एक संस्थान को कोई मीडिया कंटेंट मिला और उसके संकेत के साथ सभी ने उसको प्रकाशित कर दिया। यह संभव नहीं कि संस्थान में काम करने वाले सभी लोगों को उसके निहित उद्देश्यों के बारे में जानकारी हो। ऐसे लोगों के लिए क्या शब्द दिया जाए यह आप तय करिए।