92
- डॉ. सौरभ मालवीय
हमारी प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति समस्त विश्व के सुख, समृद्धि एवं शान्ति की कामना करती है। भारतीय चिन्तन में व्यष्टि से समष्टि तक का विचार किया गया है। भारतीय पर्व इस बात का प्रतीक हैं। यहां पर प्राय: प्रतिदिन कोई न कोई लोकपर्व, व्रत, पूजा एवं अनुष्ठान का दिवस होता है, जो इस बात का प्रतीक है कि भारतीय अपने जीवन में कितने प्रसन्न रहते हैं। हमारे धर्म ग्रन्थों में भी सुख पर अनेक श्लोक एवं मंत्र हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुःखभाग भवेता।।
अर्थात सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुख का भागी न बनना पड़े। किन्तु आज भारतीय प्रसन्नता के मामले बहुत पिछड़ गए हैं। अब भारतीय पूर्व की भांति प्रसन्न नहीं रहते। वे दुखी रहने लगे हैं। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस पर जारी वार्षिक प्रसन्नता रिपोर्ट के अनुसार 137 देशों की सूची में भारत 125वें स्थान पर है। वर्ष 2022 में भारत इस सूची में 144वें स्थान पर था तथा वर्ष 2021 में 139वें स्थान पर था। प्रसन्नता के संबंध में पड़ोसी देशों की स्थिति भारत से अच्छी है। पाकिस्तान 108वें स्थान पर है, जबकि म्यांमार 72वें, नेपाल 78वें, बांग्लादेश 102वें और चीन 64वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट के अनुसार फिनलैंड विश्व का सर्वाधिक प्रसन्नता वाला देश है। विगत छह वर्षों से वह अपने इस स्थान पर बना हुआ है। डेनमार्क द्वितीय और आइसलैंड तृतीय स्थान पर है। इस सूची में इजराइल चौथे स्थान पर है, जबकि नीदरलैंड्स पांचवें, स्वीडन छठे, नार्वे सातवें, स्विटजरलैंड आठवें, लक्जमबर्ग नौवें और न्यूजीलैंड दसवें स्थान पर है। सबसे कम प्रसन्न देशों की सूची में लेबनान, जिम्बॉब्वे, द डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो आदि देश सम्मिलित हैं। इस सूची में अफगानिस्तान अंतिम स्थान पर है। उसे 137वां स्थान प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि विगत एक वर्ष से रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध चल रहा है। फिर भी इन देशों की स्थिति भारत से अच्छी है।