143
- प्रोफेसर रवीन्द्र नाथ तिवारी
भारत माता के महान सपूत और राजनीति के अजातशत्रु श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेयी था। वाजपेयी जी ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने ग्वालियर से स्नातक तथा कानपुर से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उनका साहित्य के प्रति आकर्षण होने के कारण स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषा-आधारित विषयों का अध्ययन करना चुना। उन्होंने अपने कॉलेज के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ता नारायण राव टार्टे से काफी प्रभावित होकर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया। ग्वालियर में रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में अपने दायित्व निभाये। 1943 में, उन्होंने कॉलेज यूनियन के सचिव के रूप में कार्य किया और बाद में 1944 में उपाध्यक्ष बने।
वाजपेयी जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से छात्र जीवन के दौरान राष्ट्रवादी राजनीति में पहली बार प्रवेश किया। उन्होंने अपना करियर एक पत्रकार के रूप में शुरू किया और बाद में 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसी कई प्रभावशाली पत्रिकाओं का संपादन किया, जो राष्ट्रीय गौरव की एक मजबूत भावना का प्रतीक थे। 1957 में, भारतीय जनसंघ से उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट में अटल जी ने लोकसभा चुनाव में अपनी पहली जीत हासिल की। इसके पश्चात्ा उनकी उपलब्धियों को देखते हुए जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। अटल जी ने 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री के रूप में वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। अप्रैल, 1980 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1996 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने देश में अपनी पहली बार सरकार बनायी और अटल जी 6 मई से 21 जून, 1996 तक 13 दिनों की संक्षिप्त अवधि के लिए भारत के दसवें प्रधानमंत्री के रूपमें कार्यरत रहे।
वाजपेयी जी के राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र ने उनके व्यक्तिगत जीवन में सफलता में योगदान दिया। इन वर्षों के दौरान, वह एक ऐसे नेता के रूप में उभरे, जो प्रगतिशील विश्वदृष्टिकोण और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को महत्व देता था। महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समानता का समर्थन करने वाले वाजपेयी जी भारत को एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में देखते थे। वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति को देश के भविष्य की कुंजी मानते थे। भारत की सामरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए अटल जी के कार्यकाल में 11 मई 1998 को पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किये गये। 15 अगस्त 1998 को अटल जी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए ‘जयजवान, जय किसान और जय विज्ञान’ का नारा दिया। अटलजी ने ‘स्वर्णिम चतुर्भुज योजना’ शुरू की, जिसका उद्देश्य प्रमुख शहरों को सड़कों के माध्यम से जोड़कर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था। अटल जी साहित्यिक और काव्यात्मक पारिवारिक माहौल में पले-बढ़े, कविता के प्रति उनका जुनून उनकी रंगों में बहता रहा। उनकी पहली कविता, जिसका शीर्षक ‘ताजमहल’ था, किशोरावस्था के दौरान लिखी गई थी। छोटी उम्र में, अटल जी ने राष्ट्रीय हितों के प्रति अपने प्रारंभिक झुकाव को प्रदर्शित करते हुए ‘हिंदू तन-मन हिंदू-जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचय’ नामक कविता लिखी। राजनीति में अपने करियर के दौरान, उन्होंने लगातार समाज और राष्ट्र के प्रति व्यक्तिगत संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया। अटलजी 1994 में भारत के ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुने गए। उनके पचास वर्षों से अधिक समय तक देश और समाज के प्रति उनकी समर्पित सेवा के लिए 1992 में भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण मिला। 27 मार्च 2015 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनके आवास पर अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया। अपने नाम के अनुरूप अटलजी एक प्रमुख राष्ट्रीय नेता, भावुक राजनीतिज्ञ, निस्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, प्रभावशाली वक्ता, कवि, लेखक, पत्रकार और बहुमुखी व्यक्ति थे। पूरा देश राजनीति, समाज और संस्कृति के क्षेत्र में अटलजी के योगदान की हमेशा सराहना करेगा। कृतज्ञ राष्ट्र अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी पुण्य तिथि पर शत-शत्ा नमन करता है।