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समाज के सच्चे प्रहरी: बिन्देश्वर पाठक

  • डॉ. रमेश ठाकुर
    कुछ लोग समाज में ऐसी अमिट छाप छोड़ जाते हैं, जिन्हें संसार कभी नहीं भूलता। उनकी यादों को विरासत की तरह संजोकर रखा जाता है। कुछ ऐसा ही कार्य करके गए हैं भारत में टॉयलेट मैन की पहचान रखने वाले बिंदेश्वर पाठक। सामाजिक क्षेत्र में उन्होंने जो करके दिखाया, उस पर लोग बातचीत करने से भी कतराते हैं। बावजूद इसके उन्होंने देशभर में सार्वजनिक शौचालय की स्थापना, उन्हें साफ-सुथरा रखने का संकल्प लिया। उस संकल्प को पूरा करके भी दिखाया।
    अपने संकल्प को सिद्धि में बदलने के लिए बिंदेश्वर पाठक ने जब शुरुआत की तो लोगों ने खिल्ली उड़ाई। जिनमें गैरों के साथ उनके अपने भी थे। एक मर्तबा उनके ससुर ने भी बोल दिया था कि अपनी बेटी का ब्याह उन्होंने गलत आदमी से कर दिया। ससुर ने बिंदेश्वर पाठक से कहा, आपको शर्म नहीं आती, पंडित होकर भी टॉयलेट साफ करते फिरते हो। लेकिन बिंदेश्वर पाठक ठान बैठे थे कि उन्हें ऐसा कुछ करना है, जिससे सबकी सोच बदले। कमोबेश, कुछ ही वर्षों में हुआ भी वैसा ही। जो लोग हंसी उड़ाते थे, बाद में उनकी प्रशंसा करने लगे। बिंदेश्वर पाठक हिंदुस्तान में सार्वजनिक शौचालयों के प्रणेता थे। देशभर में सार्वजनिक स्थानों पर उन्होंने सुलभ शौचालयों का निर्माण करवाया। विशेषकर, बस अड्डे, बाजारों, मॉल्स, पुलिस थानों आदि जगहों पर उन्होंने टॉयलेट स्थापित कर लोगों को सुविधाएं प्रदान की। हाईवे पर बने सुलभ शौचालय भी उनके मिशन का हिस्सा हैं। बिंदेश्वर पाठक का टॉयलेट मिशन कुछ ही सालों में देखते ही देखते जन आंदोलन में तब्दील हो गया। उनके जैसे इंसानों की आज बहुत कमी है। इसलिए उनके न रहने की खबर पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा। पंद्रह अगस्त को जब समूचा देश आजादी के पर्व में मग्न था, बिंदेश्वर पाठक अपने अंतिम सफर पर निकलने की शायद तैयारी कर रहे थे। तड़के दिल्ली स्थिति अपने कार्यालय पर उन्होंने स्वतंत्रता दिवस का जैसे ही ध्वजारोहण किया, उसके तुरंत बाद जमीन पर बेहोश होकर गिर पड़े। ऐसा उनके साथ एकाध दफा पहले भी हुआ, तब परिजन उन्हें अस्पताल लेकर गए और ठीक हो गए। लेकिन शायद 15 अगस्त 2023 का दिन ईश्वर ने उन्हें अपने पास बुलाने के लिए तय किया हुआ था। इस बार वो ऐसे गिरे कि उठ ना पाए।
    पाठक समाज के सच्चे प्रहरी थे, वह हमेशा औरों के लिए जीते थे। काम करने की उनकी उर्जा दूसरों को प्रेरणा देती थी। कोई काम छोटा नहीं होता, बस करने के लिए मन बड़ा होना चाहिए, इस युक्ति के साथ वो हमेशा आगे बढ़ते गए। बिंदेश्वर पाठक को उनके योगदान के लिए कई बपुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया। केंद्र सरकार ने उनको पद्म भूषण पुरस्कार दिया। इसके अलावा एनर्जी ग्लोब अवार्ड, बेस्ट प्रैक्टिस के लिए दुबई इंटरनेशनल अवार्ड, स्टॉकहोम वाटर प्राइज, पेरिस में फ्रांसीसी सीनेट से लीजेंड ऑफ प्लैनेट अवार्ड जैसे कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी उन्हें मिले। पाठक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर ‘द मेकिंग ऑफ ए लीजेंड’ पुस्तक भी लिखी थी जिसकी प्रधानमंत्री ने खुद सराहना की थी। पाठक को पुरस्कार देते हुए पोप जॉन पॉल द्वितीय ने कहा था कि वे पर्यावरण के सच्चे प्रेमी हैं, उनसे हम सभी को सीख लेनी चाहिए।

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