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भारत के गौरवशाली अतीत व भावी पुनरुत्थान की चेतना का समय

  • डॉ. राघवेंद्र शर्मा
    एक समय था जब भारत में विदेशियों का साम्राज्य स्थापित था। स्वयं को आजादी का पुरोधा कहने वाला देश का बहुत बड़ा राजनीतिक खेमा अंग्रेजी हुकूमत के आभामंडल से प्रभावित था। ऐसे में एक असाधारण व्यक्तित्व नरेंद्र, जिन्हें सम्मान के साथ स्वामी विवेकानंद कहा जाता है। वे भारत के गौरवशाली अतीत और उसके भावी पुनरुत्थान को लेकर देश के बाहर भीतर अलख जगा रहे थे। यह वही समय था जब उन्होंने शिकागो में अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में उद्बोधन देते हुए भारतीय स्वाभिमान को जागृत कर दिखाया। यही वह मंच था जहां खड़े होकर स्वामी विवेकानंद ने भारतीय युवाओं का आवाहन किया था कि जागो उठो और आगे बढ़ो, जब तक कि लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। यह उनके उद्बोधन का ही प्रभाव था, जब स्वयंभू स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की एक पीढ़ी येन-केन प्रकारेण सत्ता का सुख भोगने हेतु लालायित होकर अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की नीति का अनुसरण करते हुए तुष्टिकरण की राह पर चल पड़ी थी, तब युवाओं में जोश पैदा हुआ और वह मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए सर कटाने आजादी के पथ पर निकल पड़े। इनमें से कई अंग्रेजों की गोलियों का शिकार बने तो अनेक बलिदानियों ने स्वयं ही फांसी के फंदे चूम लिये। फल स्वरुप देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुई। किंतु दुख की बात यह हुई कि सत्ता का सुख भोगने को लालायित कांग्रेसी नेताओं ने खंडित आजादी सहज ही स्वीकार कर ली। जिसके चलते भारत को पड़ोस में ही एक स्थाई शत्रु देश बैठे-बिठाए मिल गया। यही नहीं, गलत विदेश नीति के चलते कश्मीर का एक बहुत बड़ा भूभाग पाकिस्तान के अनाधिकृत कब्जे का हिस्सा बन गया। तुष्टिकरण की राजनीति ने अल्पसंख्यकों के हृदय में असुरक्षा का भाव स्थापित किया, वहीं हिंदुओं के अधिकारों पर डाका डालते रहने की परंपराएं स्थापित हुईं। नतीजा यह निकला कि आजाद भारत से विकास और आत्मनिर्भरता के पथ पर जिस तीव्रता की अपेक्षा युवाओं को थी, वह दिवा स्वप्न ही बनी रही। खूबसूरत संजोग यह रहा कि 20 वीं सदी में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की अटल सरकार बनी। उसने देश की कमान संभाली तथा पोखरण परमाणु विस्फोट कर देश को आत्मनिर्भरता के पथ पर स्थापित कर दिखाया। विकास की रफ्तार को और अधिक तीव्र गति प्रदान की गई। वैश्विक स्तर पर व्यापार विनिमय एवं उद्योग प्राप्ति के नए मानदंड स्थापित हुए। देशवासियों को एक बार फिर उस वक्त निराश होना पड़ा, जब एक दशक के कालखंड में पुनः तुष्टिकरण की विदेश परस्त नीतियों पर चलने वाले राजनीतिक दलों का समूह केंद्र सरकार पर काबिज हो गया। फल स्वरुप पूरा देश आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान, सशक्त विदेश नीति और आत्म सम्मान की रक्षा करने वाली सरकार की प्राप्ति हेतु का कसमसा उठा। इसी का नतीजा है कि जब भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव संचालन समिति ने भावी प्रधानमंत्री पद हेतु श्री नरेंद्र मोदी का नाम प्रस्तावित किया तो पूरा देश उमंग और उत्साह से भर उठा। एक ऐतिहासिक जनादेश के साथ केंद्र में स्पष्ट बहुमत वाली नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार स्थापित हो गई। यही वह सरकार है जिसने अपने कार्यकाल के प्रारंभ होते ही नरेंद्र दत्त यानि कि स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूतियां के दर्शन को अपना आदर्श बनाया। जागो, उठो और आगे बढ़ो, जब तक कि लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। इस उद्घोष के साथ सरकार के मजबूत कदम आगे बढ़ चले। मजबूत और आधारभूत सकारात्मक परिणाम समूचे विश्व के सामने हैं। श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में नित नए प्रगति के सोपान गढ़ रही है। सुई से लेकर फाइटर विमान तक अब भारत में ही सृजित हो रहे हैं। दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले एक से एक खतरनाक शस्त्र स्वदेशी संयंत्रों में निर्मित हो रहे हैं। चांद पर उतरने और सूरज को छूने के नए आयाम सर्व विदित हैं। अनेक क्रीडा क्षेत्रों में भारतीय युवक युवतियां अब संघर्ष से आगे बढ़कर जीत के झंडे गाड़ते हुए स्वर्ण और रजत पदको के ढेर लगाते देखे जा सकते हैं। योग के रूप में समूचा विश्व हमारी सनातन संस्कृति का सम्मान कर रहा है। भारत की बात अब वैश्विक मंचों पर गंभीरता के साथ सुनी जाती है। वर्तमान भारतीय नेतृत्व में दुनिया की अगुवाई करने की संभावनाएं तलाशी जाने लगी हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला भारत तथा कथित ठेकेदार देशों से सहायता मांगने की बजाय अब अपने मित्र देशों की सुरक्षा हेतु भी सान्निध हो चला है। इसे भारतीय तरुणाई की छवि नहीं तो और क्या कहेंगे? पहले छोटे-मोटे शत्रु देश हमें आंखें तरेर कर डरा लिया करते थे। परंतु अब हम उन्हें घर में घुसकर ठीक करने की सामर्थ्य रखते हैं। यही नहीं, अपनी सीमा से उन्हें सहज ही धकेलने में सफल हैं, जो साठ के दशक में भारतीय स्वाभिमान का मर्दन करने हेतु उत्साहित नजर आते थे। विभिन्न महामारियों के दौर में विदेशी महाशक्तियों की ओर आशा भरी निगाहों से निहारने की बजाय वर्तमान भारत कोरोना महामारी के दौरान रक्षक बनकर उभरता है। अपने नागरिकों के साथ-साथ दुनिया भर के कोरोना पीड़ितों को जीवन रक्षक दवा उपलब्ध कराने की क्षमता दिखाता है। दशकों बाद वहां विकास के प्रति युवाओं में उमंग और उत्साह स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। तुष्टिकरण से प्रभावित कार्यप्रणाली की आदी सरकारों के भेदभाव पूर्ण रवैये के चलते हमारे सम्मान के प्रतीक जो धार्मिक स्थल दुर्दशा के शिकार थे, अब पुर्नजागृत हो रहे हैं। मध्य प्रदेश का महाकाल लोक और अयोध्या के श्री राम मंदिर नए भारत की सनातनी कार्य प्रणाली के जीवंत प्रमाण हैं। नूतन और पुरातन के बीच सामंजस्य स्थापित कर, विकास और आत्मनिर्भरता के संतुलित प्रयास, शासन स्तर पर केवल और केवल नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार में ही देखने को मिल रहे हैं। उपरोक्त समस्त परिदृश्यों को देखने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि जो सपना 18वीं और 19वीं सदी के संधिकाल में एक नरेंद्र ने देखा था, उनमें रंग भरने का काम 21वीं सदी के नरेंद्र द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

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