Home » गाजा पट्टी में युद्ध विराम की जरूरत

गाजा पट्टी में युद्ध विराम की जरूरत

  • ललित गर्ग
    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को, ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध और मानवीय पीड़ा पर विराम लगाने के लिए, तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने और तमाम बन्धकों की तत्काल व बिना शर्त रिहाई की मांग करने वाला एक नया प्रस्ताव पारित कर दिया है। यह प्रस्ताव, 11 मार्च को शुरू हुए रमजान के महीने की करुण एवं मानवीय पुकार है, साथ ही, इसराइल पर हमलों के दौरान बन्धक बनाए लोगों में से शेष 130 लोगों को रिहा किए जाने की मांग है। हमास एवं इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध को विराम देकर, शांति का उजाला करने, अभय का वातावरण, शुभ की कामना और मंगल का फैलाव करने के लिये को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दृढ़ता से शांति प्रयास एवं युद्ध विराम को लागू करना ही चाहिए। मनुष्य के भयभीत मन को युद्ध की विभीषिका से मुक्ति देनी चाहिए। इन दोनों देशों को अभय बनकर विश्व को निर्भय बनाना चाहिए। निश्चय ही यह किसी एक देश या दूसरे देश की जीत नहीं बल्कि समूची मानव-जाति की जीत होगी। यह समय की नजाकत को देखते हुए जरूरी है और इस जरूरत को महसूस करते हुए दोनों देशांे को अपनी-अपनी सेनाएं हटाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। ग़ाज़ा में विशाल स्तर पर उपजी आवश्यकताओं और ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय सहायता पहुँचाएं जाने की भी जरूरत है, क्योंकि वहां के लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच चुके है।
    छह महीने से जारी इस भयंकर जंग के दौरान यह पहला मौका है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने युद्धविराम का प्रस्ताव पारित किया है। यह इसलिए संभव हुआ कि अमेरिका ने इसे वीटो करने से परहेज किया। निश्चित रूप से सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव विश्व जनमत से उपजे दबाव की अभिव्यक्ति है। बड़े शक्तिसम्पन्न राष्ट्रों को इस युद्ध विराम देने के प्रस्ताव को बल देना चाहिए और इसे लागू करने के प्रयास करने चाहिए। पिछले सात अक्टूबर को हमास की ओर से किए गए आतंकी हमले के खिलाफ जब इस्राइल ने कार्रवाई की बात कही तो अमेरिका और भारत समेत तमाम देशों की सहानुभूति उसके साथ थी। लेकिन इस्राइल ने जिस तरह से गाजा में हवाई हमले शुरू किए और वहां से आम लोगों के हताहत होने की खबरें आने लगीं, उसके बाद यह आवाज तेज होती गई कि इस्राइल को अपने अभियान का स्वरूप बदलना चाहिए। अब तक गाजा में करीब 32 हजार लोगों के मारे जाने की खबरें हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। भारत हमेशा युद्ध-विरोधी रहा है, युद्ध-विराम की उसकी कोशिशें निरन्तर चलती रही है। किसी भी देश में यह भ्रम पैदा नहीं होना चाहिए कि भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है। भारत ने उचित ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यह भी बता दिया है कि वह सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है और उनसे बातचीत की मेज पर लौटने का आग्रह कर रहा है। निस्संदेह, भारत को मानवता के पक्ष में शांति, युद्ध-विराम और राहत के प्रयासों में जुटे रहना चाहिए। भारत के ऐसे प्रयासों का ही परिणाम है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने युद्धविराम का ऐसा प्रस्ताव पारित किया है।
    गाजा पट्टी में हिंसक टकराव पर विराम लगाने के लिए सुरक्षा परिषद की कई बैठकें हो चुकी हैं, मगर फिलहाल यह सम्भव नहीं हो पाया है। नवम्बर 2023 में एक सप्ताह के लिए लड़ाई रोकी गई थी और गाजा से बंधकों और इस्राइल से फलस्तीनी बंदियों की अदला-बदली हुई थी। मगर, इसके बाद लड़ाई फिर भड़क उठी और इसमें तेजी आई है। गाजा में मृतक संख्या और भूख व कुपोषण से प्रभावित फलस्तीनियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इसके मद्देनजर लड़ाई को जल्द से जल्द रोके जाने और मानवीय पीड़ा पर मरहम लगाने की मांग भी प्रबल हो रही है। दुनिया के किसी भी हिस्से में मानवता का इस तरह पीड़ित एवं मर्माहत होना शर्म की बात है। इस शर्म को लगातार ढ़ोते रहना शक्तिसम्पन्न एवं निर्णायक राष्ट्रों के लिये शर्मनाक ही है। अब एक सार्थक पहल हुई है तो उसका स्वागत होना ही चाहिए। समूची दुनिया और उसके देश हमास एवं इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध को विराम देने की अपेक्षा महसूस करते हुए लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन अफसोस की बात थी कि अलग-अलग देशों में हो रहे प्रदर्शनों में व्यक्त होती जनभावना एवं मानवता की पुकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के रूप में बाहर नहीं आ पा रही थी। खुद अमेरिका इससे पहले गाजा युद्ध विराम से जुड़े तीन प्रस्ताव को वीटो कर चुका था।

Swadesh Bhopal group of newspapers has its editions from Bhopal, Raipur, Bilaspur, Jabalpur and Sagar in madhya pradesh (India). Swadesh.in is news portal and web TV.

@2023 – All Right Reserved. Designed and Developed by Sortd