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दुनिया के समक्ष एक और युद्ध का संकट

  • प्रमोद भार्गव
    दुनिया अभी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच करीब 600 दिन से चल रहे युद्ध का हल तो ढूंढ ही नहीं पाई थी कि फिलस्तीन के आतंकी समूह हमास ने इजराइल में घुसकर भीषण हमला बोल दिया। यह आतंकी हमला ठीक वैसा ही है, जैसा 9/11 को अमेरिका में जुड़वां इमरतों में घटित हुआ था। नागरिकों से क्रूरता के चरम बर्ताव किए गए। हमास ने इस हमले को ‘अल-अक्सा बाढ़’ से संबोधित किया तो इजरायल ने इसे ‘लोहे की तलवारें’ (स्वाॅड्र्स आॅफ आयरन) कहते हुए आतंकियों से प्रतिशोध लेना शुरू कर दिया है। आतंकी संगठन हमास ने एक साथ इजरायल पर हवाई, जमीनी और समुद्री सीमा से आधुनिकतम तकनीकों और हथियारों का इस्तेमाल करते हुए जंग छेड़ी हुई है। गाजा पट्टी से इजरायल पर 5000 राॅकेट दागे गए। सैकड़ों आतंकियों ने पैराग्लाइडर्स से कई शहरों में उतरकर हमला बोला। इस हमले में ज्यादातर आम नागरिक मारे गए। जिनमें महिला और बच्चे भी शामिल हैं। आतंकियों ने हैवानियत की सभी सीमाएं तोड़ दी हैं। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों को भी नहीं बख्श रहे हैं। हमास और इजरायल के बीच 2001 से जंग चल रही है। जवाब में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध की घोषणा कर दी है। इजरायल ने आसमानी हमले से बचने के लिए इस्पाती छत्र (आयरन डोम) अमेरीका की तकनीकी मदद से बनाया हुआ था, लेकिन साॅफ्ट व हार्डवेयर अपडेट नहीं होने के कारण यह छत्र जवाबी हमले में नाकाम रहा है। इजरायल की खुफिया एजेंसियां भी इस हमले की खबर कानो-कान नहीं लग पाई।
    इजरायल और फिलस्तीन के बीच यह युद्ध ऐसे समय छिड़ा है, जब दुनिया रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध से परेशान तो है ही, उसका कोई समाधान भी नहीं खोज पायी है। नतीजतन युद्ध शरणार्थियों का संकट कई देशों को झेलना पड़ रहा है, वहीं अनाज, आवास और स्वास्थ्य से जुड़ी दवाओं की कमी से भी इन देशों को जूझना पड़ रहा है। बहरहाल विश्व शांति के लिए एक नया खतरा खड़ा हो गया है। इस खतरे में दुनिया दो भागों में बंटी जंग के पहले दिन से ही दिखाई देने लगी है। गोया, युद्ध की इस घड़ी में भारत, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन इजरायल के साथ खड़े है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि ‘मैं इस हमसे से स्तब्ध हूं, हम इजरायल के साथ खड़े है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों और मृतकों के परिवार के साथ है। भारत का इजराइल के साथ खड़ा होना, इसलिए तर्किक है, क्योकि यह हमला फिलस्तीन और इजराइल के बीच न होकर एक क्रूरतम आतंकवादी संगठन हमास द्वारा किया गया है। भारत आतंकवाद से तीन दशक से भी ज्यादा लंबे समय से जूझ रहा है, इसलिए आतंकी हमले की पीड़ा उससे ज्यादा कौन जान सकता है ?
    दूसरी तरफ ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के सलाहाकार ने फिलस्तीन और यरुसलाम की आजादी तक फिलस्तीन के लड़ाकों के साथ खड़े रहने की घोषणा की है। दरअसल ईरान को सऊदी अरब की इजरायल से बढ़ती निकटता खल रही है। इसीलिए उसने हमास को इजरायल पर बेवजह हमला बोलने को उकसाया है। हमास ने अरब और इस्लामी देशों से युद्ध में शामिल होने की अपील की है। हमास की इन ताकतों की मंशा है कि चूंकि अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश इजरायल के हिमायती रहे हैं, इसलिए इजरायल पर हमला कराकर इन देशों को परेशान किया जाए। अतएव लग रहा है कि एक बार फिर वैश्विक शक्तियां मुस्लिम-ईसाई-यहूदी समुदायों में बंटी दिखाई देंगी। संयुक्त राष्ट्र रूस-यूक्रेन युद्ध में जिस तरह से लाचार दिखाई दिया है, उसी तरह से इस जंग में भी दिखाई देगा। उसने हमास हमले की निंदा तो कर दी है, लेकिन युद्ध के हालातों में उसकी सुरक्षा परिषद् शांति के कोई ठोस उपाय कर पाएगी, ऐसा कहना मुश्किल है ? वैसे भी सुरक्शा परिषद् 21वीं सदी के बीत चुके दो दशकों में कोई अह्म भूमिका नहीं निभा पाई है। इसीलिए नरेंद्र मोदी बार-बार इस संस्था को अप्रासंगिक कहते हुए इसके ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन की मांग लगातार उठा रहे हैं।
    लंबे समय से चल रहे इस विवाद का कारण यरुशलम की अक्सा मस्जिद है। यहूदी और फिलस्तीनी मुस्लिम दोनों ही इस पर अधिकार का दावा करते रहे हैं। मक्का और मदीना के बाद यह इस्लाम धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। संघर्ष के संकट को टालने के लिए सातवें दशक में दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी कि गैर-मुस्लिम मस्जिद में प्रवेश तो कर सकेंगे, लेकिन इबादत की इजाजत नहीं होगी। यहूदी जब-जब प्रार्थना की कोशिश करते हैं, तब-तब जंग के हालात निर्मित हो जाते हैं। लेकिन इस बार हमास ने जिस तरह से एक साथ आसमानी, जमीनी और समुद्र से बड़ा हमला किया है, उस चुनौती ने इजरायल को सकते में डाल दिया है। पश्चिम एशियाई दृष्िट से भी देखें तो यह टकराव साधारण नहीं है। इसलिए दुनिया की निगाहें इजरायल पर टिक गई हैं कि वह इस चुनौती से कैसे निपटता है। हालांकि इजरायल ने इस क्रम में गाजा पट्टी पर मौजूद हमास के ठिकानों पर हवाई हमले करके उसे पूरी तरह नेस्तनाबूत करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। गौरतलब है इजरायल का डोम हमास के मिसाइल हमलों से कोई बचाव नहीं कर पाया और उसकी खुफिया एजेंसियों को इस हमले की भनक तक नहीं लगी। 2011 में अस्तित्व में आए जिस आयरन डोम पर इजरायल को सुरक्षित बने रहने का अभिमान था, उसके हार्डवेयर तब से अपडेट ही नहीं किए गए थे, लिहाजा वे साॅफ्टवेयर से जुड़कर कोई परिणाम नहीं दे पाए। हालांकि इस्पाती छत्र ने अब जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी है।

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