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एक संप्रदाय को एकतरफा समर्थन और अराष्ट्रीय तत्वों की खेती

  • राम भुवन सिंह कुशवाह
    हर तरफ हल्ला है.. मणिपुर जल रहा है लेकिन कोई नहीं जानना चाहता कि सच क्या है। सच यह है कि विद्यमान भाजपा सरकार ने मणिपुर में अफीम और अराष्ट्रीय तत्वों का धंधा ख़त्म कर दिया है। सरकार ने पिछले 5 साल में 18,000 एकड़ से ज्यादा इलाके में अफीम के खेत नष्ट करवा दी है। जिन्हे नुकसान हुआ, उन्होंने इसे कुकी और मैती के बीच जनजातीय संघर्ष बना दिया। शुरु में आम आदमी मारा जा रहा था तब सब चुप थे l फिर सेना ज़मीन पर उतरी तो आतंकवादी मारे गए। चीन को धक्का लगा, विपक्षी भांड लोकतंत्र की दुहाई देने लगे। जब वहाँ ढेरों मंदिर और स्थानीय निवासियों के पूजा स्थल जलाये गए तब सब चुप रहे, अब महिलाओं के साथ कथित अभद्रता को लेकर आंख बंदकर चिल्ला रहे हैं और मोदी तथा वीरेंद्र सिंह की सरकार को बदनाम कर रहे हैं।
    विपक्ष नहीं चाहता कि संसद में इस विषय पर चर्चा हो। चर्चा होगी तो उनकी कलई खुल जाएगी। विपक्षी अन्य दलों के नेता सोचते हैं कि इससे नरेंद्र मोदी कमजोर होंगे और उनके खिलाफ सजा की लटक रही तलवार से मुक्ति मिलेगी। इसी कारण मणिपुर हिंसा पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं सोनिया, उद्धव, ममता, केजरीवाल अखिलेश यादव । कमलनाथ, दिग्विजय सिंह भोपाल में हिंदू युवक को गले में कुत्ता डालकर कुत्ता बनाकर घुमाने वाली घटना पर दुखी नहीं है पर मणिपुर हिंसा पर बिना वाजिब कारणों के दुखी हैं।
    आइए हम समझें मणिपुर में जातीय संघर्ष का मूल कारण क्या है? स्वतंत्रता के पूर्व मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे। अनेक कमजोर मैती राजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को भारत में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर आपस में युद्ध किया। धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना शुरु करें और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुकियों ने मणिपुर की ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया और अफ़ीम की खेती करना शुरू कर दिया। मैती आदिवासियों को वहां से भगा दिया। मैती आदिवासी भागकर मणिपुर के मैदानी इलाकों में आकर रहने लगे। विदेशी कुकी और रोहिंग्या ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती और अवैध धंधों उनकी शक्ति अचानक बढ़ने लगी और चीन, बांग्ला देश और अन्य विदेशी ताकतों ने उन्हें मदद देनी आरंभ कर दी। मणिपुर की सीमा चीन और म्यांमार से लगी है। चीन ने मणिपुर पर नजरें डालना शुरु किया और भारत विरोधी दलों को सहायता देना शुरू किया, पाकिस्तान ने भी म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से मणिपुर में घुसपैठ शुरू कर दी और बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को धकेल दिया गया।
    लेकिन सबसे बड़ा षड्यंत्र रचा क्रिश्चियन मिशनरीज ने। मिशनरी ने मणिपुर के पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में 2,000 से अधिक चर्च बनाए और क्रिश्चियन मिशनरीज ने बेहद तेजी से धर्म परिवर्तन शुरू कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मैती आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चन बना दिया गया। मणिपुर में निरंतर हिस्सा हो रही थी वर्ष 1981 में भीषण हिंसा हुई इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। 10,000 से अधिक मैती आदिवासी मारे गए, उसके बाद इंदिरा गांधी जाग गई और सेना को भेजा गया तथा शांति करवाई गई। शांति समझौते में मैती मैदान में रहेंगे और कुकी ऊपर पहाड़ियों पर रहेंगे ऐसा निर्णय हुआ इस कारण शांति बनी। जिससे मूल निवासी मैती का बहुत नुकसान हो गया। धीरे-धीरे कुकी, रोहिंग्या और नगा समाजों ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की बेशुमार खेती शुरू कर दी। हजारों खेत में अफीम की खेती शुरू हो गई, खरबों रुपए का व्यापार होने लगा इस कारण नशीले पदार्थ का माफिया और आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए तथा जमकर हथियारों की आपूर्ति कर दी गई।
    वर्ष 2008 में फिर जोरदार गृह युद्ध शुरू हो गया तब सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कुकी तथा परिवर्तित ईसाईयों के साथ मिलकर मताई आदिवासियों के साथ समझौता किया और मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती को अधिकृत मान्यता देकर पुलिस कार्रवाई ना करने का आश्वासन दिया। इसके बाद मणिपुर से पूरे भारत देश में तेजी से नशीले पदार्थों को भेजा जाने लगा। मणिपुर नशीले पदार्थों का गोल्डन ट्रायंगल बन गया चीन अफगानिस्तान पाकिस्तान और म्यांमार से तेजी से आर्थिक मदद कर मणिपुर से उगाई गई अफीम को भारत के अन्य राज्यों में भेजकर पंजाब आदि राज्यों को नशीले बनाना शुरू कर दिया।
    केंद्र में वर्ष २०१४ में सरकार बदली तो केंद्र सरकार की नजरें पूरे भारत पर थीं। जहां-जहां धर्म परिवर्तन हो रहे थे, जहां पर हिंदू खतरे में दिखाई दे रहे थे, जो राज्य भारत से अलग होने की फिराक में हो रहे थे, केंद्र सरकार ने उन राज्यों को पहचान कर वह धीरे-धीरे कार्रवाई शुरू कर दी। असम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु में केंद्र सरकार ने गोपनीय तरीके से काम करना शुरू किया।जम्मू कश्मीर और असम में राष्ट्रवादी संगठन भाजपा को सफलता मिलने लगी। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार मणिपुर में सफलता मिली और कांग्रेस से बीजेपी में आए वीरेंद्र सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया। मैती समाज के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह 30 वर्षों से मणिपुर में राजनीति कर रहे हैं और उन्हें मणिपुर की मूल समस्या मालूम थी। वीरेंद्र सिंह खुद ही मैती समाज से आते हैं जो कि आदिवासी संकट को जानते थे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने वीरेंद्र सिंह को अफीम की खेती नष्ट करने और अराष्ट्रीय तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए । मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने अफीम की खेती पर हमला बोल दिया और हजारों एकड़ खेती में लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया । इससे कुकी और ईसाई मिशनरी, रोहिंग्या के साथ में चीन तथा पाकिस्तान में खलबली मच गई। वे किसी तरह मणिपुर में दोबारा अफीम की खेती आरंभ करना चाहते हैं।
    आजादी के पहले से ही मैती समाज को आदिवासी समाज का दर्जा हासिल था और वह एसटी वर्ग में आते थे। मैती समाज ने वर्ष 2010 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग की। वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने मैती समाज के दावे को मंजूर किया और मैती समाज को दुबारा आदिवासी वर्ग में शामिल करने के आदेश जारी किए। चूंकि क्रिश्चियन और कुकी हमलावर अफीम की खेती बंद करने से तथा मिशनरीज के धर्म प्रसार को रोके जाने से नाराज थे, उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश का पूरा फायदा उठाया और मणिपुर में आग लगा दी।
    आज मणिपुर जो हिंसा दिखाई दे रही है वह भारत के हित में है क्योंकि मैती समाज ने क्रिश्चियन मिशनरीज के लगभग 300 चर्च तोड़कर नष्ट कर दिए, क्रिश्चियन मिशनरी पर हमले हो रहे, कुकियो को भगाया जा रहा है अन्यथा मणिपुर जल्द ही एक नया देश बनने की राह पर था । वर्ष 2014 में सरकार नहीं बनती तो चीन धीरे-धीरे मणिपुर पर चीन का कब्जा कर लेता। लेकिन बेहद बुद्धिमत्ता पूर्वक मोदी सरकार ने मणिपुर में मूल भारतीयों को उनका अधिकार दिलाना शुरू किया यह बात विरोधियों दलो को खल गई। पिछले 70 सालों से मणिपुर पर कांग्रेस का कब्जा था तो ईसाई मिशनरी तथा अराष्ट्रीय गतिविधियों के उत्पात से खुश थे पर अब अपने हाथ से मणिपुर जाने के बाद तथा क्रिश्चियन मिशनरीज का काम रुकने से नाराज सभी विरोधी दल मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार की बदनाम कर रहे हैं। वे यह नहीं जानना चाहते कि मणिपुर को हिंसक अराष्ट्रीय तत्वों से मुक्ति अत्यंत आवश्यक है।

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