- सुदेश गौड़
पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी अग्रणी भूमिका और भविष्य की संभावनाओं का लोहा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान लिया है। वह दिन दूर नहीं है जब भारतीय पारंपरिक चिकित्सा व जड़ी बूटियों का डंका विश्व भर में बजेगा।भारत की इसी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुजरात के जामनगर में भारत की पहल पर पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक केंद्र (Global Centre of Traditional Medicines, GCTM) की स्थापना की है। यह केंद्र दुनिया के 170 देशों में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का मानव प्रजाति के लिए हित में कैसे उपयोग किया जाए, इसपर समग्र एवं सर्वसमावेशी शोध कराएगा।ये केंद्र दुनिया में अपनी तरह का पहला व एकमात्र होगा।
इस केंद्र के लिए भारत सरकार ने 250 मिलियन डॉलर की मदद की है। इस सेंटर को बनाने के पीछे का उद्देश्य मानव समाज और पृथ्वी माता की सेहत में सुधार लाना है और लोगों को पारंपरिक चिकित्सा के तरफ मोड़ना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस केंद्र के रूप में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका को देखते हुए एक नई दीर्घकालिक साझेदारी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में , ”भारत जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐेसे कालखंड में जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक केंद्र का जो ऐतिहासिक शिलान्यास हुआ है, वो शिलान्यास आने वाले 25 साल के लिए विश्व भर में पारंपरिक चिकित्सा के युग का आरंभ कर रहा है।”
पांच दशक से भी ज्यादा समय पहले, जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। सन् 1967 में स्थापित, आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए), दुनिया भर में आयुर्वेद के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह वैश्विक केंद्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में जामनगर को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई देगा।
भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं रही है। बल्कि ये जीवन का एक समग्र विज्ञान है। आयुर्वेद में उपचार के अलावा सामाजिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, आनंद, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, करुणा, सहानुभूति और उत्पादकता सब कुछ शामिल है। इसलिए हमारे आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूप में समझा जाता है। सनातन धर्म में वर्णित चार वेदों के बाद आयुर्वेद को पांचवा वेद तक कहा जाता है।
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आठवाँ संस्करण मनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग विश्व भर में प्रचलित हो रहा है और दुनिया भर में लोगों को मानसिक तनाव कम करने में, मन-शरीर-चेतना में संतुलन कायम करने में मदद कर रहा है।
जामनगर में भारत के सहयोग से स्थापित पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक केंद्र को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसके तहत प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पारंपरिक चिकित्सीय विद्याओं के संकलन कर उनका डेटाबेस बनाना है।
केन्द्र पारंपरिक औषधियों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक भी बनाने का काम करेगा। ऐसा होने पर विश्व के हर देश में लोगों का भरोसा इन औषधियों पर और बढ़ेगा। इस केंद्र को एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा जहां विश्व की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञ एक साथ आकर, एक साथ अपने अनुभव साझा करेंगे।
इसके साथ ही केंद्र में होने वाली रिसर्च को निवेश से जोड़ा जाएगा। ऐसा होने से केंद्र में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च के लिए फंडिंग की समस्या का समाधान भी हो जाएगा। योजना है कि केंद्र कुछ विशेष बीमारियों के लिए होलिस्टिक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल विकसित करेगा जिससे मरीज को आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा, दोनों का कम खर्च पर फायदा मिल सकेगा। स्वास्थ्य देखभाल को पहुंचाने में पारंपरिक चिकित्सा एक प्रमुख स्तंभ है और ये न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाल के वर्ष में पारंपरिक चिकित्सा उपचारों ने भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, तकनीकी नवाचारों के उपयोग के रूप में एक बड़ा परिवर्तन देखा है, जिसने इसे जनता के लिए अधिक सुलभ बना दिया है। पारंपरिक चिकित्सा के लाभों को आधुनिक विज्ञान की उपलब्धियों के साथ एकीकृत करके एक व्यापक स्वास्थ्य रणनीति तैयार किए जाने की महती आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की लगभग 80% आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है। आज तक 194 संगठन सदस्य राज्यों में से 170 देशों में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।
आशा की जा सकती है, चूकिं पारंपरिक दवाओं के उत्पाद विश्व स्तर पर प्रचुर मात्रा में हैं इसलिए केन्द्र पारंपरिक चिकित्सा के वादे को पूरा करने में एक लंबा व महत्वपूर्ण सफर तय करेगा। नया केन्द्र आंकड़ों, नवाचार और निरंतरता पर ध्यान केंद्रित करेगा और पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग का अधिकतम फायदा उठाएगा।
आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का अधिकतम इस्तेमाल हो सकेगा और दुनिया भर के समुदायों के संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार संभव हो सकेगा। केन्द्र पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता को उजागर करेगा और इसके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी प्रगति का उपयोग करेगा।पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में भारत का यह प्रयास मास्टर स्ट्रोक सिद्ध होगा।
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