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- ओमप्रकाश मेहता
देश के सियासी क्षेत्र में पिछले कुछ समय से जारी ‘एक देश-एक चुनाव’ की सरकारी पहल में विधि आयोग ने कुछ नए प्रस्ताव पेश कर इसे और विवादित बना दिया है। विधि आयोग ने इस मसले पर पूर्व राष्ट्रªपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी को अपनी कुछ सिफारिशें सौंपी है, जिनमें कहा गया है कि तय कार्यकाल के पहले सरकार गिरने की स्थिति में अगले चुनाव तक के लिए व्यवस्था सम्बंधी दो सुझाव प्रस्तुत किए है-पहला सुझाव यह कि सरकार गिरने के समय लोकसभा या विधानसभा का कार्यकाल दो साल से कम बचा हो तो सर्वदलीय सरकार बनाई जाए। लोकसभा में इसे ‘‘राष्ट्रªीय एकता की सरकार’’ कहा जाएगा, दूसरा सुझाव यह है कि सरकार गिरने पर मध्यावधि चुनाव हो तो वह पांच साल की सरकार के लिए नहीं बल्कि बचे हुए कार्यकाल के लिए हो, साथ ही मध्यावधि चुनाव भी तभी हो जब कार्यकाल दो साल से अधिक बचा हो। विधि आयोग ने कोविंद कमेटी को बताया कि 1967 तक देश में सभी चुनाव एक साथ ही हो रहे थे।
विधि आयोग ने एक प्रमुख सुझाव यह भी दिया है कि लोकसभा विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में एक विशेष प्रावधान शामिल करना होगा, इसमें व्यवस्था हो कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद राज्य की विधानसभा चुनाव की अधिसूचनाएं जारी करने के पूरे अधिकार राज्यपाल के ही पास हो और संभव हो तो स्थानीय निकाय के चुनाव भी लोकसभा व विधानसभा चुनावों के साथ कराए जाएं। आयोग का कहना है कि संविधान में इस प्रावधान को जोड़ने की व्यवस्था मौजूद है। संसदीय माध्यम से इस प्रावधान का अनुच्छेद संविधान में जोड़ा जा सकता हैं।
विधि आयोग ने सर्वदलीय सरकार बनने की स्थिति में किस दल का उसमें कितना हिस्सा होगा, इस पर भी अपना मन्तव्य जारी किया है। आयोग ने सिफारिश की है कि सर्वदलीय सरकार में लोकसभा या विधानसभा में दलों की सदस्य संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यानी सरकार का ढांचा सदन में ताकत के हिसाब से तय होना चाहिए। आयोग ने इस तरह की सरकारों के निर्माण सूत्र भी सुझाए है। पिछले दिनों विधि आयोग तथा कोविंद कमेटी की संयुक्त बैठक में आयोग ने अपनी दलीलें पेश करते हुए साफ किया कि एक साथ चुनाव कराना संविधान के बुनियादी ढांचें, संघीय ढांचें या लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इन स्तंभों को मजबूत करता है।
देश की प्रगति, संसाधनों की बचत और जनहित में यह कदम जरूरी है। कमेटी का कहना था कि 2029 या 2034 में लोकसभा चुनाव के साथ राज्य विधानसभाओं के चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कितने राज्यों में विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना या घटाना पड़ सकता है। इस पर भी खासतौर पर ध्यान देना होगा तथा यह लक्ष्य विशेष प्रावधान के माध्यम से शामिल किया जा सकता है। कोविंद कमेटी इन मसलों और सुझावों पर गंभीर चिंतन कर रही है तथा कोविंद कमेटी अपनी जो रिपोर्ट केन्द्र सरकार को प्रस्तुत करेगी, वे भारत में अगली चुनावी राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण सिद्ध होगें।