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लक्षद्वीप के कारण ही 20000 वर्ग किमी समुद्री क्षेत्र पर भारत का अधिकार

  • सुदेश गौड़
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और उसके उपरांत सोशल मीडिया पर जारी फोटो वीडियो ने एक बार फिर लक्षद्वीप को देशवासियों के बीच ही नहीं अंतरराष्ट्रीय चर्चा का बिंदु बना दिया है। 36 द्वीपों का यह समूह लक्षद्वीप अपने शांत व सुरुचिपूर्ण समुद्र तटों और हरे भरे लैंडस्केप के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्नॉर्कलिंग की अपनी तस्वीरें शेयर करते हुए भारतीयों से लक्षद्वीप घूमने जाने की अपील भी की। उन्होंने कहा जो लोग एडवेंचर पसंद करते हैं, उनकी सूची में लक्षद्वीप शीर्ष पर होना चाहिए। भारत-पाक विभाजन के समय लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना, ये कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। बात अगस्त साल 1947 की है जब भारत और पाकिस्तान का बटंवारा हुआ था।भारत के गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 500 से ज्यादा रियासतों को एक करने में अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने पंजाब, सिंध, बंगाल को पाकिस्तान में मिलाने की भरपूर कोशिश की। मगर किसी का भी ध्यान लक्षद्वीप पर नहीं गया। आजादी के बाद लक्षद्वीप भारत और पाकिस्तान में से किसी के भी अधिकार क्षेत्र में नहीं था। दोनों ही पहले मुख्यभूमि के राज्यों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे थे। अगस्त के आख़िरी सप्ताह में पाकिस्तान के लियाकत अली खान ने सोचा कि लक्षद्वीप मुस्लिम बहुल इलाका है और भारत ने अभी तक इसपर दावा भी नहीं किया है तो क्यों न अपना अधिकार जमा लिया जाए।
    इतिहासकार बताते हैं कि भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल भी लक्षद्वीप के बारे में पहले से ही सोच रहे थे।हालांकि दोनों देशों में थोड़ा भ्रम था कि वहां अभी किसी ने दावा किया है या नहीं। इसी भ्रम के बीच पाकिस्तान ने अपना एक युद्धपोत लक्षद्वीप के लिए भेज दिया। इधर सरदार पटेल ने भी मुदलियार बंधुओं आर्कोट रामास्वामी मुदालियर और आर्कोट लक्ष्मणस्वामी मुदालियर को सेना ले जाकर जितनी जल्दी हो सके लक्षद्वीप पर कब्जा कर भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराने का आदेश दिया। आखिरकार भारत की सेना पहले पहुंच गई और तिरंगा फहरा दिया गया। कुछ ही समय बाद पाकिस्तान का युद्धपोत भी वहां पहुंचा। मगर भारत का तिरंगा झंडा देखकर दबे पांव वापस लौट गया।तब से लक्षद्वीप भारत का अभिन्न अंग है। सरदार पटेल और हमारी सेना को आधे घंटे की भी देरी हो जाती तो आज स्थिति कुछ और हो सकती थी।
    भारत के लिए क्यों अहम है लक्षद्वीप?
    भारत की सुरक्षा के लिहाज से लक्षद्वीप काफी अहम माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मलेन के मुताबिक, किसी भी देश का उसके समुद्री तट से 22 किमी तक के क्षेत्र पर उसी देश के अधिकार क्षेत्र में होता है। इस कारण भारत को समुद्र में 20 हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर ज्यादा अधिकार मिल जाता है। यहां से हिंद महासागर और अरब सागर दोनों पर नजर रखी जा सकती है। राजधानी कवरत्ती में भारतीय नौसेना का बेस ‘आईएनएस द्वीपरक्षक’ तैनात है। इसे 30 अप्रैल 2012 को कमीशन किया गया था।चीन के लगातार बढ़ते दबदबे के बीच लक्षद्वीप पर भारत अपना मिलिट्री बेस तैयार कर रहा है। इससे चीन और पाकिस्तान से आने वाले किसी भी बड़े खतरे को टाला जा सकता है। 2008 में मुंबई हमले के बाद से ही यहां सैन्य ताकत बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। साल 2010 में पहले कोस्ट गार्ड स्टेशन बनाया गया। 2012 में नौसेना बेस की स्थापना की गई।
    क्या विशेष है लक्षद्वीप में
    प्राकृतिक परिदृश्य, रेतीले समुद्र तट, वनस्पतियों और जीवों की बहुतायत लक्षद्वीप की सौंदर्यात्मक श्रीवृद्धि प्रदान करती है। मलयालम और संस्कृत में लक्षद्वीप का अर्थ होता है ‘एक लाख द्वीप’।भारत का सबसे छोटा संघ राज्यक्षेत्र लक्षद्वीप एक द्वीपसमूह है जिसमें 12 एटोल, तीन रीफ, पांच जलमग्न बैंक और दस बसे हुए द्वीप हैं। द्वीपों का कुल क्षेत्रफल केवल 32.62 वर्ग किमी है। इसकी राजधानी कवरत्ती है।2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप की जनसंख्या कुल 64473 है, इसमें 96% मुस्लिम आबादी है। यहां की साक्षरता दर 91.82 फीसदी है, जो भारत के कई बड़े बड़े शहरों से ज्यादा है। ये सभी द्वीप केरल के तटीय शहर कोच्चि से 220 से 440 किमी दूर अरब सागर में स्थित हैं। द्वीप अच्छी तरह से कोच्चि से नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। हेलीकॉप्टर हस्तांतरण पूरे साल अगाती से कवारती तक उपलब्ध है। लक्षद्वीप का औसत तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस है। अप्रैल और मई 32 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान के साथ सबसे गर्म रहता है।मानसून के दौरान जहाज आधारित पर्यटन बंद रहता है। अक्टूबर से मार्च तक द्वीपों पर यात्रा का आदर्श समय है।

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