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- शिवकुमार शर्मा
थियोसोफिकल सोसायटी के काम के सिलसिले में विदुषी एनी बेसेंट इंग्लैंड से 1893 में भारत आई थी। प्रसिद्ध लेखिका, प्रभावी वक्ता, राजनेता व समाज सुधारक एनी बेसेंट महिला मताधिकार, मजदूर संघ और राष्ट्रीय शिक्षा तथा परिवार नियोजन जैसे मुद्दों पर लेखनी चली। ‘द लॉज ऑफ़ पापू- लेशन’ नामक किताब लिखी इसी समय लंदन यूनिवर्सिटी से विज्ञान के लिए डिग्री प्राप्त की। उनकी दोस्ती आगे नहीं चली परंतु ईश्वर वादी बन गई। चार्ल्स वेवस्टर लीडबियर से मुलाकात हुई, वेअतींद्रियदर्शी बताते थे। एनी ने भी अभ्यास किया, जिसके अनुभवों के आधार पर आगे चलकर ‘आकल्ट केमिस्ट्री’ नामक प्रमुख पुस्तक लिखी। 1890 में हेलेना ब्लाबटस्की से मुलाकात हुई थियो- सोफिकल सोसाइटी में शामिल हुईं। मैडम ब्लाबटस्की की मृत्यु के बाद एच.एस.आल्काट अध्यक्ष बने। 1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में थियोसोफिकल सोसाइटी का प्रतिनिधित्व किया वहां उन्होंने स्वामी विवेकानंद के भाषण सुने। भारत आई,काशी में संस्कृत पढ़ी। गीता का अनुवाद किया । उन्होंने अपने जीवन काल में अनेक पुस्तकें लिखी भारतीय संस्कृति शिक्षा और सामाजिक सुधारों पर 48 ग्रंथों की रचना की। लुसिफर, द कॉमन व्हील,द न्यू इंडिया समाचार पत्रों का संपादन भी किया। निर्धनों की सेवा में आदर्श समाजवाद देखा। अंतर्जातीय विवाह,विधवा विवाह, के पक्ष में थी। बहु विवाह को नारी गौरव का अपमान और समाज के लिए अभिशाप मानती थी। थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष 1907 में बनी, यह जिम्मेदारी जीवन भर संभाली। सत्याग्रह में शामिल हुईं,होम रूल लीग की स्थापना की।1913 में महिलाओं के लिए वसंता कॉलेज की स्थापना की तथा 1920 में केंद्रीय हिंदू कॉलेज की स्थापना में मदद की। भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें ‘डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि से विभूषित किया गया’।अनेक संस्थाओं के माध्यम से भारत की समुन्नति के लिए के लिए जीवन समर्पित किया। उपचार के दौरान 20 सितंबर 1933 को 86 को अड्यार, चेन्नई में देहांत हो गया। उन्हें मेमसाब नहीं अम्मा कहलाना पसंद था, अमर अम्मा के भारत प्रेम को शत शत नमन।