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- महेश वर्मा
विश्वभर मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की बनी पहचान को अगर कहीं ज्यादा मजबूती मिली है तो उसमे निश्चित रूप से हमारी साझी संस्कृति से जुड़ा एक देश विएतनाम भी है। जहां विकास द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। पिछले दस साल में भारत से मिले सहयोग से इस देश ने प्रगति के एक नए पथ को प्रशस्त किया है। दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की विस्तारवादी नीति का शिकार हमारा पड़ोसी देश विएतनाम भी रहा है। चीन से भय ही उसकी तरक्की के रास्ते में बाधा बना हुआ था, अन्यथा ऊर्जा के विशाल स्त्रोत और विविध खाद्य पदार्थों की बहुलता के जरिए विएतनाम काफी आगे निकाल सकता था। भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के बाद विएतनाम को नया संबल मिला है। चीन से मिल रही आर्थिक और सामरिक चुनौती को विएतनाम काफी हद तक कमजोर करने में सफल हुआ है। भारत के साथ मिलकर वह अपनी साझी सामरिक शक्ति को लगातार बढ़ा कर अपने लिए एक सुरक्षित ढांचा तैयार कर लिया है। सब मरीन से लेकर अन्य सैन्य साजो समान से लैस विएतनाम की सेना को भारत से लगातार प्रशिक्षण मिल रहा है। विएतनाम के बंदरगाहों का विकास भी त्वरित तरीके से हो रहा है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को युद्ध मे परास्त करने वाले इस देश को रूस से ज्यादा अब भारत की साझेदारी पर भरोसा है। विएतनाम एक कम्युनिस्ट देश है। वहां की वेशभूषा और रहन-सहन या फिर कहें कि भौगोलिक परिस्थिति के कारण जापान, साउथ कोरिया या फिर चीन जैसे देशों का प्रभाव दिखता है। इसके बावजूद आज विएतनाम भारत के साथ सहज महसूस अगर कर रहा है तो उसके पीछे हाल के दिनों में भारत की सांस्कृतिक विरासत को लेकर किया जा रहा काम है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के बाद हुई है।